जानें क्यों पंजाबी दुल्हनों के लिए खास होता है चूड़ा और कलीरे

चूड़ा और कलीरे न केवल दुल्हन की खूबसूरती को बढ़ाते हैं बल्कि इनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी होता है।

  • Hema Pant
  • Editorial
  • Updated - 2022-03-07, 10:29 IST
chooda and kalire significance

शादी हर इंसान के लिए बेहद ही खूबसूरत एहसास है। शादी न सिर्फ दो लोगों का मिलन है बल्कि इससे दो परिवार आपस में एक-दूसरे से जुड़ते हैं। इसलिए तो इसे सात जन्मों का रिश्ता माना जाता है। इसके साथ ही जीवन के इस नए पड़ाव में दूल्हा-दुल्हन के लिए लोगों का आशीर्वाद बेहद महत्वपूर्ण होता है।

भारतीय शादी कई रस्मों को पूरी करके सपंन्न होती है। यह रस्में न केवल दूल्हा-दुल्हन के लिए जरूरी होती है बल्कि यह सांस्कृति और धार्मिक महत्व भी रखती हैं। इसलिए तो लोग आज भी अपनी परंपरा से जुड़े हैं। जैसे हर धर्म में कोई न कोई चीज दुल्हन के लिए शुभ मानी जाती है उसी तरह पंजाबी दुल्हनों के लिए चूड़ा और कलीरे सेरेमनी बेहद अहम मानी जाती है। इस सेरेमनी को खासतौर पर दुल्हनों के लिए ही आयोजित किया जाता है लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि दुल्हनें चूड़ा और कलीरे क्यों पहनी हैं और इसे पंजाबी दुल्हनों के लिए खास क्यों माना जाता है तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

चूड़ा की सुंदरता

kalire and chooda

पंजाबी शादी में चूड़ा रस्म बेहद खास मानी जाती है। इस रस्म में दुल्हन के मामा और मामी दुल्हन के लिए लाल/ मैरून और सफेद रंग में 21 चूड़ियों का एक सेट चुनते हैं। इसी चूड़ियों के सेट को चूड़ा कहा जाता है। चूड़ा के इस सेट को मामा-मामी सेरेमनी के दौरान दु्ल्हन को गिफ्ट देते हैं। इसके साथ ही अक्सर लहंगे के साथ चूड़ा को दुल्हन को दिया जाता है।

चूड़ा पहनाने की रस्म

बता दें कि दुल्हन को चूड़ा पहनाने के लिए रस्म आयोजित की जाती है जिसे चूड़ा सेरेमनी कहा जाता है। चूड़ा सेरेमनी के दौरान पूजा या हवन किया जाता है। पूजा के दौरान ही 21 चूड़ियों के इस सेट को दूध और गुलाब की पंखुड़ियों से साफ किया जाता है। चूड़ियों को साफ करने के बाद सभी रिश्तेदार चूड़ा को छूते हैं। चूड़ा को रिश्तेदारों के द्वारा छूना दुल्हन के लिए आशीर्वाद माना जाता है। इसके बाद मामा द्वारा दुल्हन को चूड़ा पहनाया जाता है। चूड़ा पहनाने के बादा दुल्हन की कलाई को सफेद कपड़े से ढक दिया जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि दुल्हन को शादी के दिन तक चूड़ा नहीं देखना चाहिए।

चूड़ा का महत्व

chooda and kalire

चूड़ा को दुल्हन के सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है। क्योंकि लाल रंग शादीशुदा महिलाओं के लिए शुभ माना जाता है। इसलिए भी चूड़े का महत्व बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि चूड़ा दूल्हा-दुल्हन के बीच के संबंध को मजबूत बनाता है और समृद्धि लाता है। यही कारण है कि चूड़े को दुल्हनें शादी के बाद कम से कम 40-45 दिनों तक पहनती हैं।

कलीरे

kalire

अक्सर आपने देखा होगा कि दुल्हनें चूड़ा (बेस्ट चूड़ा मार्केट) के साथ कलीरें पहनती हैं। कलीरे न केवल देखने में खूबसूरत लगते हैं बल्कि यह पंजाबी दुल्हनों के लिए बेहद खास होते हैं। कलीरे छतरी के आकार के होते हैं जिसे चूड़ा के साथ पहना जाता है। कलीरे अक्सर गोल्डन और सिल्वर कलर के होते हैं। बता दें कि पहले के समय में कलीरे सूखे नारियल और मखाने (कमल के बीज) से बने होते थे।

इसे भी पढ़ें:सिंदूर से लेकर बिंदी और लहंगे तक जानिए लाल रंग का भारतीय दुल्हनों से क्या है संबंध?

कलीरे का महत्व

कलीरे को भी जोड़े के बीच प्रेम का प्रतीक माना जाता है और बता दें कि कलीरे (बेस्ट कलीरे डिजाइन्स देखें) को केवल दुल्हन की बहनें और दोस्त ही चूड़े के साथ दुल्हन के हाथ पर बांधती हैं। इसके साथ ही ऐसा कहा जाता है कि यह दुल्हन को शुभकामनाएं देने का एक तरीका है और दुल्हन द्वारा यह बताने का एक तरीका है कि वह अपने भाई और दोस्तों को छोड़कर चली जाएगी। इसके अलावा अगर आपने कभी कलीरे को गौर से देखा हो तो आपको उसमें नारियल शेप दिखेगी जिसका मतलब होता है कि वह जिस घर में जा रही है वहां उसे कभी खाने की कमी नहीं होगी। जबकि कलीरे में लगे धातु धन और समृद्धि का प्रतीक है।

दुल्हन द्वारा कलीरे तोड़ना

kalire for punjabi bride

इस रस्म के बारे में शायद आप में से ज्यादातर लोग जानते होंगे। लेकिन, फिर भी आपको बता दें कि पंजाबियों में एक रस्म होती है जिसमें दुल्हन अविवाहित लड़कियों के सिर पर कलीरे को दोनों हाथों से तोड़ने की कोशिश करती है। अगर इस दौरान कलीरे का कोई हिस्सा किसी लड़की पर टूटकर गिर जाए तो माना जाता है कि जल्द ही उस लड़की की भी शादी हो जाएगी। इसके अलााव शादी के अगले दिन कलीरे का एक हिस्सा मंदिर में दे दिया जाता है और बाकी कलीरे को दुल्हन द्वारा अपने माता-पिता के घर और शादी के दिन की याद के रूप में अपने पास रख लेती है।

इसे भी पढ़ें:भारतीय शादी की कुछ ऐसी रस्में जो इसे बनाती हैं औरों से जुदा

चूड़ा और कलीरे का बदलता चलन

बता दें कि पहले के समय में चूड़ा और कलीरे केवल पंजाबी दुल्हनें ही पहना करती थीं। लेकिन, समय के साथ-साथ अब यह हर दुल्हन के श्रृंगार का अहम हिस्सा बन चुका है। इसके साथ ही पहले चूड़ा केवल लाल रंग में आते थे, लेकिन अब रंगो में भी बदलाव आ गया है। कई दुल्हनें चूड़ा में लाल रंग का चुनाव करने की बजाय गुलाबी और नारंगी जैसी रंग चुनती हैं। इसके साथ ही अब कलीरे के डिजाइन में भी काफी बदलाव आ गए हैं। बाजार में आपको फूल वाले कलीरे, कस्टमाइज्ड कलीरे, पालकी वाले कलीरे आदि आसानी से में मिल जाएंगे। इसके साथ ही दुल्हनें अब अपनी पसंद अनुसार ही चूड़ा की संख्या का भी चुनाव करती हैं। क्योंकि पहले 21 चूड़ियों के सेट को ही चूड़ा कहा जाता था । लेकिन, अब ऐसा नहीं है।

तो अब आपको पता चला कि क्यों पंजाबी दुल्हनों के लिए चूड़ा और कलीरे खास होता है। उम्मीद है कि आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया होगा और इसी तरह के अन्य आर्टिकल पढ़ने के लिए हमें कमेंट कर जरूर बताएं और जुड़े रहे हमारी वेबसाइट हरजिंदगी के साथ।

Image Credit: Google.Com

HzLogo

HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!

GET APP