मिलिए भारत की पहली महिला कमर्शियल पायलट से, आसमान से ऊंचे थे इनके हौंसले

भारत की पहली महिला कमर्शियल पायलट प्रेम माथुर से मिलें जिन्होंने ऊंचाइयों को सलाम कर 38 की उम्र के बाद अपना करियर शुरू किया। 

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आज़ाद भारत में ऐसी कई महिलाएं रही हैं जिन्होंने अपने दम-खम और अक्लमंदी से देश की दिशा को बदलने में मदद की है। हर फील्ड में इन महिलाओं ने कुछ खास किया है और अपने-अपने तरीके से माहौल को बेहतर बनाने और तरक्की में साथ देने की कोशिश की है। हरजिंदगी आजादी के 75 सालों में ऐसी ही 75 बेमिसाल महिलाओं के बारे में आपको कुछ ना कुछ बता रही है। ये वो महिलाएं हैं जिन्होंने अपनी-अपनी फील्ड में किसी खास काम की पहल कर इतिहास गढ़ने में मदद की है। इसी कड़ी में हम आज आपको बताने जा रहे हैं पहली महिला कमर्शियल पायलट प्रेम माथुर के बारे में।

शायद आपको याद होगा कि कुछ सालों पहले एयर इंडिया ने ऑल वुमन क्रू वाली फ्लाइट चलाई थी। उसके बाद से कई सारे एयरलाइन ऑपरेटर्स ने ऐसा किया था। अधिकतर महिलाओं को एविएशन फील्ड में पुरुषों का वर्चस्व होता है पर महिलाओं को एयरहोस्टेस जैसी जॉब्स के लिए ही चुना जाता है। पर प्रेम माथुर ने इसे बदल दिया। उन्होंने अपने कंफर्ट लेवल पर नहीं बल्कि अपने सपनों की उड़ान पर भरोसा किया।

कौन हैं प्रेम माथुर?

कैप्टन प्रेम माथुर का जन्म 1910 में हुआ था और वो भारत की पहली महिला थीं जो एक कमर्शियल प्लेन उड़ाती थीं। उस वक्त एयरलाइन्स किसी महिला को बतौर पायलट नौकरी देने का मन नहीं बना रही थीं। प्रेम माथुर को 8 एयरलाइन्स से रिजेक्शन मिला और उसके बाद 1947 में आजादी के खुमार में उनके पास एक फोनकॉल आया जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया।

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ये फोन था डेक्कन एयरलाइंस से जिसने हैदराबाद से अपना ऑपरेशन शुरू किया था। 38 साल की उम्र में उन्हें जॉब मिली और वो पहली महिला कमर्शियल को-पायलट बनीं।

इंदिरा गांधी से लेकर लेडी माउंटबेटन को करवाई सैर

पहली महिला कमर्शियल पायलट होने के कारण प्रेम माथुर को उस दौर के दिग्गजों को आसमान की सैर करवाने का मौका मिला। उन्होंने इंदिरा गांधी से लेकर लेडी माउंटबेटन तक को सैर करवाई। 1949 में अपना लाइसेंस मिलने के बस दो साल बाद ही उन्होंने नेशनल एयर रेस जीती।

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कॉन्फिडेंस मिलने के बाद उन्होंने एयरलाइन्स को कहा कि उन्हें इंचार्ज बनाया जाए, लेकिन उस दौर में उन्हें जवाब मिला कि, 'अगर लोगों को पता चला कि महिला पायलट है तो वो भाग जाएंगे।' जब उन्हें पता चला कि उन्हें अकेले नहीं प्लेन उड़ाने दिया जाएगा तो वो दिल्ली चली गईं और बिरला प्राइवेट जेट पायलट बनीं। इसके कुछ सालों बाद उन्होंने एयर इंडिया ज्वाइन कर ली।

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उन्होंने अपने करियर में बहुत सी दिक्कतों का सामना किया। उन्हें महिला होने के कारण आगे बढ़ने नहीं दिया गया। इंटरव्यू के दौरान उनसे तरह-तरह के सवाल पूछे जाते थे। वो अपने दम-खम से इसका जवाब देती थीं और आगे बढ़ती थीं।

प्रेम माथुर ने उस उम्र में अपने सपनों को जिया जिस उम्र को लोग बुढ़ापे की शुरुआत मान लेते हैं। प्रेम माथुर की शादी हरी कृष्ण माथुर से हुई थी और उनके पति ने भी उनका पूरा साथ दिया। 82 साल की उम्र में कैप्टन प्रेम माथुर का देहांत 22 दिसंबर 1992 को हुआ था।

प्रेम माथुर के जज्बे को सलाम। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

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