बचपन में बहुत से बच्चे बुलींग के शिकार होते हैं। स्कूल और आस पड़ोस में बुलींग की घटनाओं का बच्चों पर बहुत बुरा असर पड़ता है और कई बार यह चीज है बच्चों के मानसिक विकास को भी प्रभावित करती हैं। हालांकि इस समस्या से बच्चे और उनके पेरेंट्स काफी परेशान होते हैं, लेकिन अभी तक इस पर कोई बड़ा एक्शन नहीं लिया गया है। शिलांग की 9 साल की बेटी Meaidaibahun Majaw, जो क्लास 4 में पढ़ती है, के सामने भी ऐसी ही स्थिति आई। उसे बार-बार बुलींग का शिकार होना पड़ा, जिससे उसकी हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ने लगा। लेकिन उसने इस पर खामोश रहने या डरने के बजाय इस बहादुर लड़की ने ऐसा कदम उठाया, जिससे अब हर तरफ उसकी सराहना हो रही है। इस लड़की ने बुलींग से लड़ने के लिए एक ऐप बनाया है, जिसके जरिए पीड़ित अपने टीचर, पेरेंट्स और अपने दोस्तों से बिना अपनी पहचान जाहिर किए अपनी प्रॉब्लम के बारे में बता सकते हैं।
Majaw ने पीटीआई को दिए इंटरव्यू ने बताया, 'मैं नर्सरी से ही बुलींग का सामना कर रही हूं। इसकी वजह से मैं बहुत ज्यादा परेशान हुई। मैं हमेशा सोचती थी किसका क्या हल निकल सकता है। किसी दूसरे बच्चे को उन हालात से नहीं गुजरना पड़ा होगा, जिनसे मैं गुजरी हूं।' मैंने जो ऐप तैयार किया है, उससे पीड़ित खुद से जुड़ी जानकारियां, परेशान करने वाले लोगों, उनसे जुड़े मैसेज जैसी चीजें प्रशासन से जुड़े किसी व्यक्ति को भेज सकते हैं। इससे प्रशासन को गलत करने वालों के खिलाफ एक्शन लेने में मदद मिलती है।
Majaw के प्रयासों को एजुकेशन मिनिस्टर Lahkmen Rymbui ने सराहना की है। उन्होंने Majaw की सराहना करते हुए कहा, 'यह लड़की बड़े होकर देश की एक जिम्मेदार नागरिक बनेगी।'
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उन्होंने यह भी कहा, 'Majaw को सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए मेरी तरफ से बेस्ट ऑफ लक। मैं उसके पेरेंट्स को भी बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने उसे सही तरीके से गाइड किया। साल 2017 मैं The Teacher Foundation की तरफ से किए गए एक सर्वे में पाया गया कि भारत के स्कूलों में 42 फीसदी बच्चे बुलींग के शिकार होते हैं। अपने बुरे एक्सपीरियंस का जिक्र करते हुए Majaw ने बताया, 'एक बार स्टूडेंट्स के एक ग्रुप ने मेरे खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था। वे मेरा बायकॉट करने लगे थे। उनमें से एक तो मेरे पैर पर भी चढ़ गया था।' Majaw के कुछ दोस्तों को भी इसी तरह बुलींग का शिकार होना पड़ा है।
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Majaw ने जिस तरह से बुलींग के खिलाफ ऐप तैयार किया है, उससे इस समस्या की शिकार होने वाली देश की तमाम लड़कियों को हिम्मत मिलेगी और उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा। उनकी मां Dasumarlin Majaw, जो पूर्वी खासी हिल्स में एक रिजल्ट चलाती हैं, ने मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया, 'पिछले साल सितंबर में मेरी बेटी ने ऐप डेवलपमेंट कोर्स के लिए एनरोलमेंट कराया था और कुछ ही महीनों में वह इसमें एक्सपर्ट हो गई। Dasumarlin ने आगे बताया, 'मेरी बेटी हर दिन 1 घंटे का क्लास लेती थी। बाद में हमें पता कि Majaw 40 ऐप तैयार कर चुकी थी।
Majaw अपने कामयाबी से एक्साइटेड हैं। उसे उम्मीद है कि वह भारत के युवा कोडिंग एक्सपर्ट में शामिल हो सकती है और सिलीकान वैली में इन्वेस्टर्स से स्कॉलरशिप भी पा सकती है। मीडिया को दिए इंटरव्यू में Majaw ने बताया, 'मैंने एक और ऐप तैयार किया है, जिससे Tyrna में हमारे रिजॉर्ट में ठहरने वाले कस्टमर्स को बिना किसी इंसानी रोकटोक के फूड ऑर्डर प्लेस करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा भी मैं कई और एप्स तैयार कर रही हूं।' अगर आप इसी तरह की और इंस्पायरिंग स्टोरीज पढ़ना चाहती हैं तो विजिट करती रहें HerZindagi, यहां आपको महिलाओं में जोश भरने वाली ढेर सारी प्रेरक कहानियां जानने को मिलेंगी।
Image Courtesy: Thenortheasttoday, Pexels
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