आजकल हर व्यक्ति एक व्यस्त जीवनशैली जी रहा है। ना खाने का वक्त है,ना सोने का यहां तक की लोग टॉयलेट तक वक्त पर नहीं जाते हैं। आजकल लोगों को ऐसा करना बेहद नॉर्मल लगता है। लोग ऐसा मानते हैं कि वक्त पर काम होना चाहिए,ये सारी चीजें तो होती ही रहेगी, और यहीं करते हैं हम अपनी सेहत के साथ खिलवाड़।
आयुर्वेदिक डॉक्टर dr.nambi बताते हैं कि आयुर्वेद ऐसा मानता है कि अगर आप शरीर के नेचुरल कॉल को बार बार नजरअंदाज करते हैं तो इससे दिल पर गहरा असर पड़ता है.इस आर्टिकल में हम जानेंगे हमारे शरीर के सभी 14 नेचुरल कॉल (Natural Urges) के बारे में।
कितने तरह के होते हैं नेचुरल कॉल ?(Natural Urges)
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- फार्टिंग
- डकार लेना
- मल त्याग
- यूरिन पास करने की इच्छा
- छींक
- प्यास
- भूख
- नींद
- खांसना
- उबासी लेना
- आंसू
- वॉमिटिंग
- ऑर्गेज्म
- हांफना
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दिल को क्यों नुकसान पहुंचता है नेचुरल कॉल को नजरअंदाज करना
एक्सपर्ट बताते हैं कि इनमें से अगर आप 10 नेचुरल कॉल को इग्नोर करने हैं तो दिल पर इसका बहुत ही बुरा असर पड़ता है। जैसे इनमें से सबसे जरूरी है बर्पिंग यानी डकार लेना, मल त्याग को रोकना, फार्ट करने में हिचकिचाहट महसूस होना। अब आप सोच रहे होंगे की दिल का इससे क्या लेना देना है तो आपको बता दें कि डॉक्टर बताते हैं कि शरीर में वेगस नाम की एक तंत्रिका होती है जो नेचुरल कॉल को कंट्रोल करती है। और यही वेगस तंत्रिका हृदय को भी नियंत्रित करती है। वेगस तंत्रिका आपके हृय गति और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करती है, ऐसे में अगर आप अपने नेचुरल कॉल को कंट्रोल करते हैं तो इससे दिल को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचता है
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Image Credit- freepik
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