हमारी लाइफस्टाइल और फूड हैबिट्स बहुत ज्यादा बदलते जा रहे हैं। हम अपनी सेहत को बिल्कुल ही भूल जाते हैं और उसके बाद धीरे-धीरे हमारा शरीर यह समझाता है कि असल मायने में समस्या बहुत बड़ी हो सकती है। किसी भी तरह की बीमारी होने से पहले शरीर हमें कई तरह के संकेत देता है। रोजाना जंक फूड और शक्कर से भरा हुआ खाना खाने के बाद हमें समझ आता है कि उसका असर शरीर पर क्या पड़ रहा है। लाइफस्टाइल का सीधा असर लिवर पर होता है, हमारा लिवर कई तरह के फंक्शन करता है और मेटाबॉलिज्म से लेकर इम्यूनिटी तक बहुत कुछ देखता है।
डाइजेशन, बॉडी डिटॉक्स, विटामिन स्टोरेज जैसे फंक्शन्स के साथ यह कहना गलत नहीं होगा कि लिवर हेल्दी नहीं, तो कुछ भी नहीं। लिवर को ठीक करने के लिए आयुर्वेद भी कई तरह के टिप्स देता है। आजकल जहां फैटी लिवर की समस्या कई लोगों को परेशान करने लगी है, हमने कृष्णा हर्बल आयुर्वेद के डॉक्टर प्रदीप श्रीवास्तव से बात की। उनके हिसाब से लिवर का डिटॉक्सिफिकेशन ट्रेडिशनल मेडिसिन से हो सकता है।
उनके मुताबिक, इससे पहले कि हम लिवर डिटॉक्स की बात करें हमें यह समझना होगा कि शरीर में किस तरह के लक्षण दिख रहे हैं और लिवर में क्या समस्या है-
सबसे पहले चेक करें यूरिन का रंग। अगर स्किन, यूरिन और आंखें पीली हो रही हैं, तो पीलिया हो सकता है।
- अगर हाथ-पैर में दर्द के साथ पेट में दर्द है, तो लिवर की कोई बीमारी हो सकती है।
- डार्क रंग की यूरिन और बदरंगी स्टूल्स बाइल प्रोडक्शन के खराब होने का संकेत देता है।
- लगातार थकावट का होना यह समझाता है कि लिवर का फंक्शन ठीक नहीं चल रहा है।
- बहुत ज्यादा उल्टी और जी मिचलाने जैसी समस्या हो रही है, तो यह पित्त की समस्या का संकेत है।
- शरीर में नील पड़ना भी लिवर के खराब होने का एक संकेत है। शरीर में जगह-जगह नील पड़ सकते हैं या फिर वेब लाइन्स (मकड़ी के जाले जैसी रेखाएं) स्किन पर दिखने लगती हैं।
- ये सारे लक्षण आपको दिख रहे हैं, तो लिवर डिटॉक्स करना बहुत जरूरी है। डॉक्टर प्रदीप ने कुछ ऐसे तरीके बताए हैं जिससे लिवर डिटॉक्स हो सकता है।
आयुर्वेद में न्यूट्रिशन, हर्बल ट्रीटमेंट और अन्य तरीकों से लिवर बैलेंस बनाए रखने की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट्स जो आपकी मदद कर सकते हैं-
पंचकर्म
आयुर्वेदिक डिटॉक्स थेरेपी में पंचकर्म सबसे ऊपर आता है। इसमें पांच अलग डिटॉक्स प्रोसेस होते हैं जो शरीर के अलग-अलग दोष ठीक करते हैं। वामना के जरिए कफ दोष को ठीक किया जाता है, विरेचना के द्वारा शरीर का पित्त और उससे जुड़े जहर को हटाया जाता है। बस्ती से वात दोष को ठीक किया जाता है। न्यासा से नाक और सांस नली को डिटॉक्स किया जाता है और रक्तमोक्षना से खून का प्रेशर और उसके विकार दूर किए जाते हैं। इन सभी को मिलाकर पंचकर्म कहा जाता है।
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पंचकर्म के अलावा, आयुर्वेद में कई तरह के हर्ब्स का इस्तेमाल बताया गया है।
- भूमि आंवला या Dukong anak (दुकोंग अनक) शरीर के किसी भी डैमेज को कम कर सकता है। इससे लिवर को एंटीऑक्सीडेंट और एंटीवायर एक्टिविटीज मिलती हैं।
- काल मेघ भी एक ऐसी ही जड़ीबूटी है जिसे पीलिया ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह डाइजेशन प्रोसेस को ठीक करता है और गैस और टॉक्सिन को कम करता है।
- झाऊ रूट एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है और इसमें लिवर के डैमेज सेल्स को ठीक करने की ताकत होती है।
- विडांगा से लिवर की बीमारी ठीक होती है और अपच को यह कम करता है।
आयुर्वेद के जरिए शरीर का बैलेंस बना रहता है और बीमारियां दूर होती हैं। अगर आपको लिवर से जुड़ी कोई भी समस्या है या फिर आपको लगता है कि ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई हो रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क जरूर करें। आपकी हेल्थ रिपोर्ट के आधार पर ही डॉक्टर आपको सही दवा बताएगा। अपने हिसाब से कोई भी दवा लेना और खुद ही इलाज के बारे में सोचना गलत होगा।
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