जानिए क्या है रिस्क टॉलरेंस, ताकि आप सही तरह से कर सकें इनवेस्ट

अमूमन लोग बेहतर रिटर्न के लिए इनवेस्ट करते समय बहुत अधिक रिस्क ले लेते हैं। लेकिन भी स्कीम या फंड में निवेश करने से पहले आपको रिस्क टॉलरेंस के बारे में समझ लेना चाहिए। 

meaning of tolerance

आज के समय में हर व्यक्ति कम से कम समय में अधिक से अधिक पैसा कमाना चाहता है और इसलिए वह तरह-तरह की इनवेस्टमेंट करता है। हालांकि, हर तरह की इनवेस्टमेंट में कुछ हद तक रिस्क जरूर होता है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह किस हद तक रिस्क ले सकता है।

रिस्क टॉलरेंस वास्तव में व्यक्ति की समय के साथ उनके इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो की वैल्यू में उतार-चढ़ाव का सामना करने की क्षमता और इच्छा से है। इसके बारे में अच्छी तरह समझना बेहद जरूरी होता है।

जब आप यह समझ जाते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है। साथ ही साथ, अगर इनवेस्टमेंट पोर्टफोलियो में कोई उतार-चढ़ाव आता भी है तो भी आपको फाइनेंशियली परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको रिस्क टॉलरेंस के बारे में विस्तारपूर्वक बता रहे हैं-

रिस्क टॉलरेंस क्या है?

risk tolerance meaning

रिस्क टॉरलेंस का अर्थ किसी भी इनवेस्टमेंट के संभावित रिटर्न की अनिश्चितता से है। इसमें बाजार की अस्थिरता, आर्थिक स्थिति या फिर अन्य कारक जिम्मेदार हो सकते हैं। इसलिए, जब भी इनवेस्ट किया जाता है, तो व्यक्ति को उस पोर्टफोलियो के रिस्क व अपने रिस्क टॉलरेंस को एक बार जरूर चेक करना चाहिए।

जब आप अपने रिस्क टॉलरेंस को समझ जाते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना काफी कम हो जाती है। इतना ही नहीं, कोई नुकसान होने पर आपको आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना नहीं करना पड़ता है।

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रिस्क टॉलरेंस का ऐसे करें आकलन

अगर आप अपने रिस्क टॉलरेंस का आकलन करना चाहते हैं तो ऐसे में कुछ ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की मदद ले सकते हैं। ये आपको आपकी फाइनेंशियल सिचुएशन, इनवेस्टमेंट गोल्स व पर्सनल प्रेफरेंस के आधार पर रिस्क टॉलरेंस का आकलन करने में मदद करते हैं।

इसके अलावा, अगर आप चाहें तो किसी फाइनेंशियल एडवाइजर या इनवेस्टमेंट प्रोफेशनल से भी कंसल्ट कर सकते हैं। वे आपकी स्थिति के आधार पर आपको रिस्क टॉलरेंस के बारे में बताते हैं। साथ ही साथ, वे आपको सही तरह से इनवेस्ट करने के लिए स्ट्रैटेजी बनाने में भी मदद करते हैं।

रिस्क टॉलरेंस और इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी

risk tolerance strategy

एक बार जब आप इनवेस्टमेंट के लिए रिस्क टॉलरेंसको समझ जाते हैं तो इसके बाद आपके लिए अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी बनाना अधिक आसान हो जाता है। मसलन, अगर आपकी रिस्क टॉलरेंस कम है तो ऐसे में आप लो रिस्क एसेट्स जैसे सरकारी बांड, हाई क्वालिटी कॉर्पोरेट बांड या फिर स्टेबल भुगतान वाले स्टॉक में इनवेस्ट कर सकते हैं।

वहीं, अगर आपका रिस्क टॉलरेंस मॉडरेट है तो आप स्टॉक से लेकर बॉन्ड तक में इनवेस्ट करके अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं। इसी तरह हाई रिस्क टॉलरेंस होने पर आप अपने पोर्टफोलियो का एक महत्वपूर्ण हिस्सा ग्रोथ स्टॉक्स, उभरते बाजारों आदि में लगा सकते हैं। इनसे कम समय में बहुत अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना रहती है।

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रखें इसका ध्यान

आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति का रिस्क टॉलरेंस समय के साथ बदलता रहता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि समय के साथ व्यक्ति की फाइनेंशियल स्थिति, इनवेस्टमेंट गोल्स और पर्सनल प्रेफरेंस भी बदलती है। इसलिए व्यक्ति को समय-समय पर अपने रिस्क टॉलरेंस को रिव्यू करते रहना चाहिए और उसी के अनुसार अपनी इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजी बनानी चाहिए।

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Image Credit- freepik

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