हम सभी एक आरामदायक जीवन जीना चाहते हैं। इसलिए, इनवेस्टमेंट पर भी फोकस करते हैं। जब हम अपनी कमाई के कुछ हिस्से को इनवेस्ट करते हैं तो वास्तव में हम अपनी ही आमदनी को बढ़ा रहे होते हैं। वर्तमान में किया गया इनवेस्टमेंट भविष्य में हमारी आमदनी के रूप में सामने आता है। हालांकि, कुछ इनवेस्टमेंट ऐसी भी होती हैं, जिनमें आपको बहुत अच्छा रिटर्न कम समय में मिलने की संभावना होती है। लेकिन वहीं दूसरी ओर ऐसे इनवेस्टमेंट में रिस्क बहुत अधिक होता है और पैसे डूबने का खतरा भी बना रहता है।
आमतौर पर, मिडिल क्लास लोग अपने पैसे को इनवेस्ट तो करना चाहते हैं। लेकिन साथ ही इससे जुड़े रिस्क को भी कम से कम रखना चाहते हैं। हो सकता है कि आपकी भी ऐसी ही सोच हो। तो चलिए आज इस लेख में दिल्ली के अशोक विहार ब्रांच के एचडीएफसी बैंक के डिप्टी मैनेजर प्रिंस पांचाल आपको इनवेस्टमेंट से जुड़े रिस्क को कम करने के कुछ आसान तरीकों के बारे में बता रहे हैं-
पहले करें रिसर्च
कभी भी इनवेस्ट करने से पहले आपको सही तरह से रिसर्च करनी चाहिए, जिससे आप किसी तरह के स्कैम में ना आ जाए। इक्विटी में इनवेस्टमेंट से अच्छे रिटर्न मिल सकते हैं। लेकिन किसी भी तरह का निवेश करने से पहले कंपनी की ग्रोथ, डेट (Debt) टू इक्विटी रेशो आदि का एनालिसिस अवश्य करना चाहिए। इससे आपको काफी हद तक यह समझ में आ जाता है कि आपका पैसा कितना सुरक्षित है और भविष्य में उसकी कितनी अधिक ग्रोथ होने की संभावना है।
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रिस्क लेने की क्षमता के अनुसार करें इनवेस्ट
जब भी आप इनवेस्ट करते हैं तो उसके रिस्क की टॉलरेंस आपकी एज और फाइनेंशियल गोल्स आदि पर भी निभर्र करती है। मसलन, अगर आप यंग एज में हैं तो ऐसे में आप इक्विटी में पैसे लगा सकती हैं। यह एक हाई रिस्क एसेट क्लास है, लेकिन अक्सर इससे रिटर्न डेट के मुकाबले अधिक बेहतर आते हैं। वहीं, अगर आप रिटायरमेंट की उम्र के पास हैं तो ऐसे में आपको फिक्स्ड इनकम एसेट जैसे एफडी आदि में इनवेस्ट करने पर विचार करना चाहिए। (इन बैड मनी हैबिट्स से आज ही कर लें किनारा)
अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करें
अगर आप सच में अपने इनवेस्टमेंट को लो रिस्क रखना चाहती हैं तो इसका सबसे अच्छा तरीका होता है कि आप अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई करने का प्रयास करें। कभी भी सारा फंड एक ही तरह के इनवेस्टमेंट में नहीं लगाना चाहिए। आपको अलग-अलग सेक्टर, एसेट क्लास आदि में फंड इवनेस्ट करने पर फोकस करना चाहिए। इसका लाभ यह होता है कि अगर आपका एक इनवेस्टमेंट कम रिटर्न देता है तो आप दूसरे इनवेस्टमेंट की मदद से उसे बैलेंस कर पाएंगी। इससे आपके पैसे का रिस्क काफी कम हो जाता है। (लोन लेकर खरीदने जा रही हैं स्कूटी तो 3 जरूरी बातों का रखें ध्यान)
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अपनाएं लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी
अगर आप लो रिस्क के साथ बेहतर इनवेस्टमेंट करना चाहती हैं तो ऐसे में आपको थोड़ा सब्र से काम लेना चाहिए। दरअसल, जब आप शॉर्ट टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी अपनाती हैं तो इससे इनवेस्टमेंट रिस्क कई गुना बढ़ा जाता है। वहीं, मार्केट कभी भी एक जैसी नहीं रहती है। ऐसे में अगर आपके लॉन्ग टर्म गोल्स होंगे तो इससे मार्केट की उठा-पटक का असर आपकी इनवेस्टमेंट पर नहीं पड़ेगा। लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी से निवेश में नुकसान होने की संभावना ना के बराबर होती है।
तो अब आप भी इन छोटे-छोटे टिप्स को अपनाएं और बेहद आसानी से अपने पैसे को इनवेस्ट करके बेहतर रिटर्न पाएं।
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Image Credit- Freepik
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