ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों और सेब के बागों से गुलजार नग्गर एक समय में कुल्लू राजशाही की राजधानी हुआ करता था। मनाली, केलॉन्ग, मंडी, सुंदरनगर और हमीरपुर इसके आसपास के इलाके हैं। गर्मियों में यहां का मौसम सुहावना बना रहता है, वहीं सर्दियों में यहां बर्फबारी का भरपूर मजा लिया जाता है। लगभग 1400 साल पहले यह कुल्लू के राजाओं की राजधानी हुआ करता था। इसे विशुद्ध पाल ने स्थापित किया था
नगर कैसल
नग्गर का पॉपुलर टूरिस्ट डेस्टिनेशन है नगर कैसल, जहां यहां के राजा का निवास हुआ करता था। यह महल करीब 500 साल पहले बना था। इस महल की खास बात यह है कि भूकंप रोधी तकनीक पर आधारित है। इसी वजह से यह 1905 में आए भूकंप को झेल गया, जबकि इसके आसपास की सभी इमारतें नष्ट हो गईं। कहा जाता है कि व्यास नदी पर ह्यूमन चेन बनाकर पत्थर लाए गए थे और उन्हीं से इस महल का निर्माण हुआ था। इस महल में पत्थर और लड़कियों को जिस तरह से लगाया गया है, वह इसे बेहतरीन आर्कीटेक्चर देने के साथ-साथ मजबूती भी देता है। इस महल से व्यास नदी और नग्गर की छोटी-बड़ी इमारतें काफी खूबसूरत नजर आती हैं।
निकोलस रोरिक की आर्ट गैलरी
नग्गर की बात करते हुए निकोलस रोरिक का जिक्र होना लाजमी है। दरअसल इस महान रूसी पेंटर की वजह से नग्गर को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली। रोरिक दुनिया के अलग-अलग इलाकों की सैर किया करते थे और इसी सिलसिले में वह तिब्बत भी पहुंचे, लेकिन तिब्बत में राजनीतिक स्थितियां खराब होने के चलते उन्होंने भारत में नग्गर का रुख किया और फिर वह यहीं के होकर रह गए। यहां उन्होंने अपना घर बनाया। एक चित्रकार के रूप में उन्हें यहां ख्याति मिली और उसी को देखते हुए उनकी मौत के बाद उनका घर म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया। इस म्यूजियम में उनके नायाब चित्र देखने को मिलते हैं। दिलचस्प बात ये है कि घर बंद ही रहता है और दर्शकों को खिड़की दरवाजों से झांककर अंदर के चित्र देखने को मिलते हैं। एक दुर्लभ तस्वीर में देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी नजर आते हैं।
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त्रिपुरा सुंदरी मंदिर
त्रिपुरा सुंदरी मंदिर नग्गर का प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह पगोडा शैली में बना हुआ है। मंदिर में तीन छत हैं, जिसमें एक लकड़ी से बना स्ट्रक्चर काफी खूबसूरत नजर आता है। मंदिर में कई हिंदू देवी और देवताओं की मूर्तियां नजर आती हैं। यहां भगवान गणेश की विशेष पूजा का भी आयोजन होता है। साथ ही इस मंदिर में भगवान ब्रह्मा की भी विधि-विधा से पूजा होती है। ऊंचे पहाड़ों पर स्थित नग्गर में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है लेकिन इस मंदिर तक पहुंचने में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। अगर आप इस मंदिर के दर्शन करना चाहें तो शहर में चलने वाली बसें आपको बहुत कम दाम में यहां तक पहुंचा देंगी।
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