नदी को पार करने के लिए पुल बनाए जाते हैं। आज कोई भी नदी ऐसी नहीं है जिसके ऊपर पुल ना बना हो। भारत विकास के मार्ग पर हर दिन एक नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। भारत का ऐसे कोई भी राज्य नहीं है जहां सड़क और पुल का निर्माण नहीं हुआ हो। वैसे तो भारत में लाखों पुल होंगे, लेकिन कुछ ऐसे पुल हैं जिनका निर्माण होना भारत के लिए किसी गौरव से कम नहीं है।
अगर आप यमुना पार रहते हैं, तो यकीनन आप लोहे के पुल से गुजरे होंगे या शायद नाम तो सुना ही होगा। मगर कभी आपके दिमाग में यह सवाल आया है कि बहती नदी के ऊपर आखिर पिलर को कैसे बनाया जाता है। नदी की गहराई तक पहुंचकर कैसे एक पुल को खड़ा किया जाता है? अगर नहीं मालूम तो आज हम आपके उन्हीं सवालों के जवाब देते हैं।
पहले की जाती है रिसर्च
नदी पर पुल कई तरीकों से बनाए जाते हैं और पुल को बनाने का तरीका भी अलग होता है। मगर पुल का निर्माण करने से पहले रिसर्च की जाती है। रिसर्च में पानी की गहराई, पानी के बहाव की स्पीड, पानी के नीचे की मिट्टी पर रिसर्च, पुल का भार, पुल बनने के बाद का भार, लागत और साइज पर रिसर्च की जाती है। (पानी में तैरते पुल का लेना है, यहां जाएं)
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पुल की खड़ी की जाती है नींव
यह बहुत कम लोगों को मालूम होता है कि पानी में पुल बनाने के लिए Cofferdam शैली का इस्तेमाल किया जाता है। बता दें कि कोफ्फर्डम एक घेरा है जो पानी को रोकने के लिए बनाया जाता है। इस शैली का इस्तेमाल आमतौर पर पानी के भीतर बने स्थायी बांधों, तेल प्लेटफार्मों, ब्रिज पियर्स को बनाने के लिए किया जाता है।
इसमें ड्रम या क्रेन आदि के माध्यम से पानी के एक दम बीच में स्थापित किया जाता है। इसे स्टील की बड़ी-बड़ी प्लेट्स के जरिए बनाया जाता है। हालांकि, इनका शेप अलग-अलग हो सकता है।
वर्षों बाद तैयार होता है पुल
हमें सुनने में बहुत आसान लगता है, लेकिन एक पुल को खड़ा करने में सालों लग जाते हैं। अगर पुल लोहे का बन रहा है, तो बनाने से पहले लोहे के बड़े-बड़े पाइपों को शिप के मदद से कन्ट्रशन की जगह पर ले जाया जाता है।
फिर इन पाइपों को मशीनों के द्वारा पानी के नीचे धसाया जाता है, जिसके ऊपर पुल बनाने का काम शुरू किया जाता है।(रोहडू हिल स्टेशन)
इन चीजों का किया जाता है इस्तेमाल
एक पुल को बनाने के लिए स्टील, कंक्रीट, पत्थर और डामर जैसी चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही लोहा, लकड़ी, एल्यूमीनियम, रबर और अन्य सामग्री भी शामिल की जाती है। पुल को बनाने के लिए सबसे ज्यादा मेहनत पानी के अंदर पिलर को खड़ा करने में लगती है। इसके बाद पुल को आसानी से खड़ा कर दिया जाता है।
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इस तरह पुल का निर्माण किया जाता है। अगर आपके मन में कोई सवाल है तो हमें नीचे कमेंट करके जरूर बताएं।
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