Kuber Temple In Uttarakhand In Hindi: भारतीय संस्कृति और भारत की पौराणिक कथा सिर्फ किसी एक शहर या एक राज्य में नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसलिए हर साल लाखों विदेशी सैलानी भी भारत की आध्यात्मिक कथा से रूबरू होने के लिए पहुंचते हैं।
उत्तराखंड भारत का एक ऐसा राज्य है जहां सबसे अधिक भक्त पहुंचते हैं, क्योंकि हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ और बद्रीनाथ आदि कई पौराणिक जगहें इसी राज्य में स्थित हैं। इसलिए इसे 'देवों की भूमि' भी कहा जाता है।
इस पौराणिक राज्य में एक ऐसा ही कुबेर मंदिर है जहां हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। (Kuber Temple In Uttarakhand In Hindi) इस मंदिर में दर्शन मात्र से भक्तों की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। आइए इस कुबेर मंदिर के बारे में जानते हैं।
उत्तराखंड में की जगह है कुबेर मंदिर
जिस कुबेर मंदिर के बारे में हम आपसे जिक्र कर रहे हैं वो उत्तराखंड में किसी और जगह नहीं बल्कि प्रसिद्ध जगह यानी अल्मोड़ा में स्थित है। पहाड़ की चोटी पर मौजूद यह यह पवित्र और फेमस कुबेर मंदिर जागेश्वर धाम में आता है। इस पवित्र मंदिर में स्थानीय लोग हर दिन पूजा-पाठ करते हैं। वहीं धनतेरस और दिवाली के दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं।
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कुबेर मंदिर का इतिहास
उत्तराखंड के इस एकमात्र कुबेर मंदिर का इतिहास काफी दिलचस्प है। इस मंदिर के इतिहास के बारे में बोला जाता है कि प्राचीन काल में जगत का जीर्णोद्धार करने के लिए बनाया गया था।
कुछ लोगों का मानना है कि इस कुबेर मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में किया गया था। वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि 7वीं शताब्दी से लेकर 14 वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान इस मंदिर का निर्माण हुआ था।(प्रसिद्ध कुबेर मंदिर)
कुबेर मंदिर की पौराणिक कथा
जिस तरह इस मंदिर का इतिहास दिलचस्प है ठीक उसी तरह इस मंदिर की पौराणिक कथा भी दिलचस्प है। कहा जाता है कि इस पवित्र मंदिर का जिक्र धार्मिक ग्रंथों में भी मौजूद है।
स्थानीय लोगों का मानना है कि जिसकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर होती है उसे इस मंदिर से एक चांदी के सिक्के को मंत्र पढ़कर पीले वस्त्र में लपेटकर दिया जाता है, जिसके बाद उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
एक अन्य मान्यता है कि जो भी भक्त मंदिर की गर्भगृह या मंदिर परिसर से मिट्टी लेकर अपनी तिजोरी में रखता है उसके घर में धन की कमी कभी नहीं होती है।(धन्वंतरि मंदिर)
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धनतेरस और दिवाली पर भक्तों की होती हैं भीड़
कहा जाता है कि इस मंदिर का असल रौनक देखना हो तो धनतेरस और दिवाली के बीच में पहुंचना चाहिए। इस कुबेर मंदिर में धनतेरस और दिवाली के बीच में सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि उत्तराखंड के लगभग हर कोने से लोग पहुंचते हैं। दिवाली के मौके पर इस मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया जाता है और कई प्रोग्राम का आयोजन भी होता है।
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