यह हम सभी जानते हैं कि मां लक्ष्मी 'धन की देवी' हैं। मां लक्ष्मी को जो भक्त सच्चे मन से पूजा-पाठ करता है उसके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। इसलिए करोड़ों भक्त मां लक्ष्मी का दर्शन करने के लिए देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद लक्ष्मी मंदिर का दर्शन करने पहुंचते हैं।
धनतेरस और दिवाली के दिन लगभग हर भारतीय घरों में मां लक्ष्मी की पूजा बड़े ही उत्साह के साथ की जाती है। कहा जाता है कि जो भक्त इस दिन सच्चे दिल से पूजा पाठ करता है उसपर मां का आशीर्वाद बना रहता है।
इस लेख में हम आपको भारत स्थित एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जहां धनतेरस और दिवाली के दिन जो भी भक्त दर्शन के लिए जाता है वो खाली हाथ लौटकर नहीं आता है। (Sri Doddagaddavalli Lakshmi Devi Temple)आइए जानते हैं।
दोडगड्डवल्ली लक्ष्मी देवी टेंपल
जी हां, जिस मंदिर के बारे में हम आपसे जिक्र कर रहे हैं उस पवित्र मंदिर का नाम 'दोडगड्डवल्ली लक्ष्मी देवी टेंपल' है। कर्नाटक के हसन में स्थित यह मंदिर बेहद ही खूबसूरत और अद्वितीय सरंचना का प्रतीक है। श्री लक्ष्मी नायारण या महालक्ष्मी को समर्पित यह भारत का एक ऐसा लक्ष्मी मंदिर है जहां हर दिन भक्तों की भी रहती हैं।। खासकर धनतेरस और दिवाली के दिन यहां सबसे अधिक भक्तों की भीड़ होती हैं।
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दोडगड्डवल्ली लक्ष्मी देवी टेंपल का इतिहास
दोडगड्डवल्ली लक्ष्मी मंदिर का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। इस पवित्र मंदिर के बारे में बोला जाता है कि यह मंदिर लगभग 1 हज़ार साल से भी प्राचीन है। कई लोगों का मानना है कि इस पवित्र मंदिर का निर्माण होयसल साम्राज्य के शासक विष्णुवर्धन के काल में किया गया था। एक अन्य कहानी है कि राजा ने एक सपना देखा और अगले दिन से भी इस मंदिर का निर्माण शुरू करवा दिया।
दोडगड्डवल्ली लक्ष्मी की पौराणिक कथा
दोडगड्डवल्ली लक्ष्मी मंदिर का इतिहास जिस तरह दिलचस्प है ठीक उसी तरह इस मंदिर की पौराणिक कथा भी दिलचस्प है। कहा जाता है कि इस मंदिर में आज भी महालक्ष्मी विराजमान है। जब इस मंदिर का निर्माण हो रहा था तो कई बार आकस्मिक घटना घटित हुई, लेकिन मंदिर को कुछ नहीं हुआ।
इस पवित्र मंदिर के चारों दिशाओं में चार कक्ष का निर्माण किया गया है। गर्भगृह में स्थित देवी महालक्ष्मी के दाहिने हाथ में शंख और बाएं हाथ में चक्र है। इस पवित्र परिसर में नृत्यरत भगवान शिव, भैंसे पर सवार यम और समुद्र देवता वरुण की मूर्ति मौजूद हैं।
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दिवाली के दिन होती हैं भक्तों की भीड़
धनतेरस और दिवाली के दिन इस पवित्र मंदिर का दर्शन करने के लिए दक्षिण भारत के लगभग हर शहर से लोग पहुंचते हैं। कहा जाता है कि दिवाली के दिन जो भी यहां सच्चे मन से पूजा-पाठ करता है उसके घर कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
दिवाली से कुछ दिन पहले ही इस मंदिर को दीये से सजा दिया जाता है। इस दौरान मंदिर के आसपास कई कार्यक्रम का भी आयोजन होता है।
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Image Credit:(@wiki)
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