भारतीय रेलवे देश की लाइफलाइन है। तकरीबन हर गांव, हर शहर से जुड़ी रेल सेवा की मदद से लोग एक जगह से दूसरे जगह पहुंचते हैं। वहीं, ट्रेन में सफर करने का मजा ही अलग होता है और इसलिए ज्यादातर लोगों को ट्रेन में सफर करना अच्छा लगता है। वैसे तो पटरियों पर दौड़ती छुक-छुक गाड़ी की यात्रा हमेशा ही यादगार होती है। लेकिन कई बार इस सफर के दौरान कई ऐसी चीजें देखने या सुनने को मिलती हैं, जो पूरी जिंदगी हमारे दिमाग में रह जाती हैं। इन्हीं में से एक है स्टेशनों के नाम। भारत में कुछ रेलवे स्टेशनों के नाम बड़े ही अलग और मजेदार हैं। कुछ के तो नाम ऐसे हैं कि आप चाहकर भी अपनी हंसी रोक नहीं पाएंगी। तो चलिए जानते हैं उन अजीबो गरीब स्टेशनों के बारे में।
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दक्षिण-मध्य रेलवे में विजयवाड़ा डिवीजन का यह रेलवे स्टेशन तेलंगाना में है। यह स्टेशन तेलंगाना के भुवानागिरी जिले में स्थित है। इसका किसी भी व्यक्ति की बीबी से कोई लेना देना नहीं है।
नाम से तो यह ही लग रहा है कि यह सभी स्टेशनों के बाप हैं, पर ऐसा नहीं है, क्योंकि यह बहुत छोटा स्टेशन है।
बाप है तो नाना भी होना चाहिए, नहीं तो यह रिश्ता अधूरा रह जाएगा। नाना रेलवे स्टेशन भी राजस्थान में स्थित है। यह रेलवे स्टेशन सूबे के सिरोही पिंडवारा नामक जगह पर स्थित है। और हां आपको बता दें यह नाना पाटेकर के नाम पर भी नहीं है।
इस नाम को सुनकर लगता है कि ससुराल वालों ने राजस्थान में अपनी बाहें फैला दी हैं। यह स्टेशन जोधपुर जिले में डूडू नामक स्थान में स्थित है। यह उत्तरी-पश्चिमी रेलवे से जुड़ा हुआ है और इसका स्टेशन कोड भी SALI यानी साली ही है। चुंकि स्टेशन का नाम साली है इसलिए यहां जाते समय सिर्फ अपने जूतों का ध्यान रखें।
यह स्टेशन उत्तर-पश्चिम रेलवे के जोधपुर डिवीजन में पड़ता है। यह स्टेशन राजस्थान के पोखरण के नजदीक स्थित है। यहां चाचाजी के साथ ओढ़नी का क्या संबंध है यह समझ नहीं आ रहा।
यह रेलवे स्टेशन मध्य प्रदेश के भोपाल और इटारसी के नजदीक है। यह मध्य रेलवे के नागपुर डिवीजन में स्थित है। "मां, मैं सहेली जा रहूी हूं।" कानों को सुनने में कितना अटपटा लगता है। लेकिन यह एक बहुत ही अनुकूल जगह है, जैसा कि नाम से ही पता चलता है।
यह स्टेशन गुजरात के सूरत जिले में स्थित बहुत ही छोटा रेलवे स्टेशन है। आपको बता दें कि यहां सचिन तेंदुलकर अभी तक नहीं आए हैं।
यह रेलवे स्टेशन जालंधर के एक गांव में पड़ता है और यह सिर्फ बकरा नहीं है, बल्कि यह "काला बकरा" है।
भारत में कई चिड़ियाघर हैं, लेकिन फिर भी कुछ जानवर जैसे सुअर या काला बकरा रेलवे स्टेशन बन गए हैं।
भैंसा रेलवे स्टेशन तेलंगाना में स्थित है। आप इस नाम से किसी भी मित्र को पुकार सकती हैं और एक बहाना बना सकती हैं कि आप स्टेशन का नाम ले रही हैं।
बिल्ली जंक्शन उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में है और यह एक छोटा सा गांव है। यह एक समुदाय के सभी बिल्लियों की मिलन स्थान रहा होगा। लेकिन दुर्भाग्य से, यह सिर्फ एक बोर्डिंग स्टेशन है।
झारखंड में स्थित भागा रेलवे स्टेशन यातायात के मद्देनजर काफी अहम है और इस स्टेशन से कई सारी ट्रेनें चलती हैं। इसलिए इसके नाम पर मत जाइए, ऐसा बिल्कुल ना सोचे की यहां से भागना है या कोई भाग गया है। आपको दौड़ने की भी जरूरत नहीं है, क्योंकि यह स्टेशन कहीं भागा नहीं जा रहा है।
सिंगापुर रोड रेलवे स्टेशन उड़ीसा में स्थित है लेकिन आप चौंके नहीं इस स्टेशन का सिंगापुर से कोई लेना देना नहीं है। तो इसलिए सिंगापुर के लिए ट्रेन के जरिए जाने का सपना ना देखें।
यह रेलवे स्टेशन भी झारखंड में है। आप यहां 'दारू' परोसने की उम्मीद ना करें, यहां आपको 'दारू' बिल्कुल नहीं मिलने वाली।
यह स्टेशन हरियाणा में पानीपत के नजदीक है। यहां रोजाना दो प्लेटफार्मो पर सोलह ट्रेने रुकती हैं। यह दीवाना फिल्म से बिल्कुल प्रेरित नहीं है।
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यह रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश में है। लेकिन यकीन माने यह रेलवे स्टेशन अशुभ बिल्कुल नहीं है। अगर आपको ये जानकारी अच्छी लगी तो जुड़ी रहिए हमारे साथ। इस तरह की और जानकारी पाने के लिए पढ़ती रहिए हरजिंदगी।
Photo courtesy- (feedingtrends.com, images.assettype.com, st2.indiarailinfo.com)
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