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7.5 किलो सोने के रथ को खींचने पर पूरी होती है मनोकामना, इस गणेश मंदिर में होती है गजपूजा, हाथी देता है आशिर्वाद

इस प्रसिद्ध गणपति मंदिर में सोने का रथ खींचने से पूरी होती है मनोकामना। 500 साल पुराने इस मंदिर में हुए हैं कई  चमत्कार
Editorial
Updated:- 2019-08-31, 14:12 IST

गणेश चतुर्थी आने वाली है और अब इस मौके पर हम आज भारत के एक ऐसे प्राचीन मंदिर की बात करते हैं जिसे कई बार तोड़े जाने की कोशिश की गई, लेकिन वो टूट न सका। ये मंदिर है पोंडीचेरी जिसे अब पुद्दुचेरी कहते हैं वहां। मंदिर का नाम है मानाकुला विनयागर मंदिर (Manakula Vinayagar Temple), भले ही कई लोगों को लगे कि पुद्दुचेरी एक ऐसी जगह है जहां चर्च ज्यादा होंगे, लेकिन असल में ये एक ऐसी जगह है जहां मंदिरों की भी कमी नहीं है। ये गणेश मंदिर 500 साल से भी ज्यादा पुराना है और कहा जाता है कि ये उस इलाके का सबसे पुराना मंदिर है। 

पुद्दुचेरी ट्रैवल पर जाएं तो एक बार इस मंदिर में दर्शन किए जा सकते हैं। यहां श्रद्धालु और टूरिस्ट दोनों की ही भीड़ मिल जाएगी। यहां गजराज आपका स्वागत करने भी खड़े होंगे। बाकायदा ये हाथी लोगों को आशिर्वाद देता है। वैसे तो इस मंदिर में साल भर किसी उत्सव जैसा माहौल होता है, लेकिन यहां ब्रह्महोत्सव और गणेश चतुर्थी सबसे खास है। ये उत्सव 24 दिन चलता है। 

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कई बार तोड़ने की कोशिश की गई इस मंदिर को- 

ये मंदिर 1666 के आस-पास बना था जब पुद्दुचेरी में फ्रेंच कॉलानी स्थापित थी। लोककथा के अनुसार इस मंदिर से जुड़ी कई कहानियां हैं। उस समय फ्रेंच अफरस गणपति का मजाक उड़ाते थे कि हाथी की शक्ल का देवता यहां मौजूद है। एक बार एक फ्रेंच अफसर ने इस मंदिर की मूर्ति को तोड़ने का फरमान जारी किया और कहा कि मूर्ति को समुद्र में फेंक दिया जाए।

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काम करने वालों ने ऐसा ही किया और वापस आकर देखा तो मूर्ति वहीं थी। फिर से यही किया गया और मूर्ति वापस समुद्र में फेके जाने के बाद भी अपनी जगह पर आ गई। इसके बाद मूर्ति को तोड़ने की बात की गई, लेकिन उसे तोड़ने की कोशिश करने वालों को खुद ही चोट लग गई। तबसे ही इस मंदिर की मान्यता और बढ़ गई। ये प्रसिद्ध मंदिर लोगों के बीच लोकप्रिय है। 

सोने का रथ और मान्यता- 

यहां एक सोने का रथ है जो 7.5 किलो सोने से बना है और जिस समय ये बनाया गया था तब इसकी कीमत 35 लाख थी। ये रथ 10 फिट ऊंचा और 6 फिट चौड़ा है। इसे लड़की से बनाकर तांबे की प्लेट्स से सजाया गया है और उसके ऊपर सोने के रैक्स लगे हैं। इसकी पहली झलक लोगों को 5 अक्टूबर 2003 में दिखी थी और तभी से ये मान्यता है कि इस रथ को खींचने वाले की मनोकामना पूरी होती है। इसे सिर्फ एक दिन (दशहरे पर) ही मंदिर से बाहर निकाला जाता है। बाकी दिन इसे मंदिर के अंदर ही देखा जा सकता है।  

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टूरिस्ट का होता है आना जाना-  

इसे कोई कम चर्चित टूरिस्ट स्पॉट न समझें। ये मंदिर प्राचीन काल से यहां स्थित है और श्रद्धालुओं के साथ विदेशी टूरिस्ट भी यहां आते हैं। यहां पूर्वमुखी गणेश हैं। ये सिर्फ 10 मिनट दूर है पुद्दुचेरी के प्रसिद्ध बीच Promenade Beach से।  

 

गणेश के 40 अलग रूप मौजूद हैं दीवारों पर- 

यहां जाने के लिए कोई एंट्री फीस नहीं लगती। मंदिर सुबह 5.45 पर खुलता है और 12.30 बजे दोपहर में बंद होता है। इसके बाद शाम 4 बजे खुलता है और रात 9.30 बजे बंद होता है। इस मंदिर की दीवार पर गणेश के 40 अलग-अलग रूप दीवारों पर मौजूद हैं। यहां जाकर आपको काफी शांति महसूस हो सकती है।  

 

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