भारत में छोटे बच्चे से लेकर बड़े बूढ़े तक सभी को रामायण की कहानी पता है। सभी जानते हैं राम और सीता के विवाह के बाद उन्हें 14 वर्ष के लिए वनवास पर जाना पड़ा था। वनवास पर रहने के दौरान राम और सीता को कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा था। इसी दौरान लंका के राजा रावण ने सीता का हरण कर लिया था और अपने साथ लंका ले जाकर उन्हें अशोक वाटिका में कई दिन रखा था।
लंका में आज भी यह अशोक वाटिका मौजूद है और यहां ऐसे कई निशान हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं कि यहां वाकई रावण ने सीता माता को रखा था।देश में चल रहे लॉकडाउन की वजह से रामानंद सागर की रामायण को दूरदर्शन पर दोबारा टेलीकास्ट किया जा रहा है। ऐसे में लोगों के अंदर यह जानने का क्रेज बढ़ गया है कि क्या सच में रावण की कोई अशोक वाटिका थी। अगर थी तो वह कैसी दिखती थी? अब वह कहां है? तो चलिए हम आज आपको रावण की अशोक वाटिका की झलक दिखाते हैं।
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हरण के बाद इन स्थानों पर रहीं थी सीता माता
रावण ने जब सीता माता का अपहरण किया था तब वह उन्हें सीधे अपने महल लंका ले गया। वह सीता माता को रानी बनाना चाहता था मगर, सीता माता इस बात के लिए तैयार नहीं हुईं और उन्होंने महल में रहने से इंकार कर दिया। तब रावण ने सीता माता को एक गुफा के अंदर रखा जिसका सिर कोबरा सांप की तरह फैला हुआ था। इस गुफा के आसपार हल्की सी नक्काशी झलकती है। इसके बाद रावण ने सीता माता को अशोक वाटिका में रखा। यह रावण के महल में बनी हुई थी। सीता अशोक के जिस वृक्ष के नीचे बैठती थी वो जगह सीता एल्या के नाम से प्रसिद्ध है।
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वर्ष 007 में श्रीलंका सरकार एक रिसर्च कमेटी ने भी पुष्टि की, कि सीता एल्या ही अशोक वाटिका है। यह जगह आज भी वैसी की वैसी है। इतना ही नहीं सीता जी को लेने आए हनुमान जी ने जब लंका में आग लगाई थी उसके प्रमाण भी यहां मिलते हैं। हनुमान जी के लंका जलाने से भयभीत रावण ने सीता जी को अशोक वाटिका से हटा कर कोंडा कट्टू गाला में रखा था। पुरातत्व विभाग को यहां कई ऐसी गुफाएं मिली है जो रावण के महल तक जाती थी।'रामायण' में रावण का किरदार निभाने वाले 84 साल के अरविंद त्रिवेदी सीता हरण देखकर हुए भावुक
मिलते हैं हनुमान जी के पैरों के निशान
रामायण में इस बात का वरण मिलता है कि जब राम को इस बात का पता चला कि सीता का हरण रावण ने किया है तो उन्होंने अपनी वानरों की एक सेना बनाई और हनुमान जी को आदेश दिया कि वह सीता को लंका से वापिस ले आएं। भगवान राम के आदेश पर हनुमान जी लंका पहुंच गए। अशोक वाटिका में जिस वृक्ष के नीचे सीता माता बैठती थी उस पर चढ़ कर उन्होंने सीता माता को भगवान राम की अंगूठी फेंकी, जिससे सीता माता को अंदाजा हुआ कि हनुमान जी को भगवान राम ने ही भेजा है।अब ऐसे दिखते हैं रामायण के राम, सीता और लक्ष्मण
श्री लंका में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां पर हनुमान जी के पैरों के निशान हैं। हनुमान जी के पैरों के निशान जिस जिस चट्टान पर पड़ें वहां पैर के आकार के गड्ढे बन गए है। यह निशान आज भी देखे जा सकते हैं।
मिलती हैं हिमालय की दुर्लभ जड़ीबूटियां
रावण और राम के युद्ध में एक समय ऐसा भी आया था जब भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण बेहोश हो गए थे। वह केवल संजीवनी बूटियों से ही जीवित हो सकते थे। यह बूटियां केवल हिमालय में मिलती हैं और हनुमान जी इसे लेने के लिए वहंा गए थे और संजीवनी बूटी का पूरा पहाड़ा उठा लाए थे। यह पहाड़ आज भी श्रीलंका में उपस्थित है और इसमें आज भी हिमालय की दुर्लभ जड़ी-बूटियों के अंश मिलते हैं। दावा है कि इन जड़ी-बूटियों का श्रीलंका में पाया जाना रामायण काल की वास्तविकता को प्रमाणित करता है।श्रीलंका के इस स्थान पर हुआ था राम और रावण का युद्ध, और भी मिलते है रामायण से जुड़े निशान
रावण का महल
पुरातत्व विभाग को श्रीलंका में एक ऐसा महल मिला है जिसे देख कर लगता है कि वह रामायण काल में बनाया गया होगा। रामायण इस बात का वर्णन है कि भगवान हनुमान ने रावण की लंका को जला दिया था। इस वजह इस जगह की मिट्टी काली हो गई थी और यह मिट्टी आज भी काली है।यहीं से थोड़ी दूर पर रावण एल्ला नाम से एक झरना है, जो 82 फीट की ऊंचाई से गिरता है। राम द्वारा रावण का वध करने के पश्चात विभीषण को लंका का राजा बनाया गया था। विभीषण ने अपना महल कालानियां में बनाया था। यह कैलानी नदी के किनारे स्थित था। नदी के किनारे पुरातत्व विभाग को उस महल के अवशेष मिले हैं।श्री राम के जीवन में इन 5 महिलाओं का था सबसे महत्वपूर्ण स्थान
Image Credit: tripadvisor,ghumakkar.com
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