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Ram Navmi Special: श्री राम के जीवन में इन 5 महिलाओं का था सबसे महत्‍वपूर्ण स्‍थान

2 अप्रैल को राम नवमी है इस विशेष दिन पर हम आपको भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ी उन 5 महिलाओं के बारे में बताएंगे जो उनके जीवन में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखती हैं। 
Editorial
Updated:- 2020-04-01, 11:50 IST

इस वर्ष 2 अप्रैल को राम नवमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन विष्‍णु अवतार भगवान श्री राम का अयोध्‍या नरेश दशरथ के घर जन्‍म हुआ था। पूरे भारत वर्ष में यह दिन धूम-धाम से मनाया जाता है। श्री राम से जुड़ी बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं। मगर, श्री राम का जीवन में महिलाओं को विशेष योगदान रहा है।

आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी 5 महिलाओं के बारे में बताएंगे जो भगवान श्री राम के जीवन में न केवल विशेष स्‍थान रखती हैं बल्कि श्री राम के जीवन को सार्थक बनाने में भी इन महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है। 

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कौशल्‍या 

श्री राम भगवान विष्‍णु का 7वां अवतार थे यह बात सभी को पता है। उन्‍होंने अयोध्‍या के राज दशरथ की पहली रानी कौशल्‍या की कोख से जन्‍म लिख था। राज दशरथ की 3 रानियां थीं। रानी कौशल्‍या के अन्‍य दो रानियों से भी बहुत मधुर संबंध थे। वह उन्‍हें अपनी छोटी बहन ही समझती थीं। अब ऐसे दिखते हैं रामायण के राम, सीता और लक्ष्‍मण

श्री राम के जन्‍म के बाद भी रानी कौशल्‍या ने हमेशा ही उन्‍हें अपनी 2 अन्‍य माताओं के आदर की शिक्षा दी। इतना ही नहीं वह श्री राम को हमेशा खुद से पहले अपनी अन्‍य दो माताओं का आदर करने की शिक्षा देती थीं। शायद यही वजह थी कि जब रानी केकई ने श्री राम को 14 वर्ष के वनवास पर जानें को कहा तो श्री राम ने माता की आज्ञा समझ उसे स्‍वीकार कर लिया। स्त्रियों का आदर करना श्री राम ने अपनी मां कौश्‍ल्‍या से ही सीखा था। 

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केकई 

राजा दशरथ की मंझली रानी केकई को लेकर लोगों के मन में अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ लोग रानी केकई को एक बुरी स्‍त्री मानते हैं, कुछ उन्‍हें निर्दई मां कहते हैं तो कुछ मतलबी महिला मगर, श्री राम के जीवन में रानी केकई का स्‍थान बहुत महत्‍वपूर्ण है। रानी केकई ने बेटे भरत के मोह में राज्‍य सत्‍ता को मोह तो जरूर दिखाया था मगर, श्री राम को वह पुत्र भरत से भी अधिक स्‍नेह करती थीं। यदि रानी केकई के आदेश पर श्री राम वनवास नहीं जाते तो शायद रावण जैसे राक्षस का वध नहीं हो पाता। यह विधि का विधान था। 

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सीता 

देवी सीता माता लक्ष्‍मी का स्‍वरूप थीं। वह एक आदर्श पुत्री होने के साथ ही एक सुशील पत्‍नी भी थीं। सीता को त्‍याग, प्रेम और समर्पण की देवी भी कहा जा सकता है। श्री राम के जीवन में देवी सीता का स्‍थान बहुत ही महत्‍वपूर्ण हैं। वनवास तो केवल श्री राम को हुआ था मगर, अपना पत्‍नी धर्म निभाते हुए देवी सीता भी कदम से कदम मिलाते हुए श्री राम के साथ वनवास पर निकल पड़ीं। बहुत सी कठिनाइयों का सामना भी किया। रावण द्वारा अपहरण करने पर देवी सीता पर अपवित्र होने का कलंक भी लगा। श्री राम का वनवास तो 14 वर्ष में खत्‍म हो गया मगर, देवी सीता का वनवास अजीवन रहा। देवी सीता की लाइफ से लें ये सबक, पति के साथ अच्‍छे होंगे रिश्‍ते

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शूर्पणखा

रावण की बहन शूर्पणखा भी श्री राम के जीवन में बहुत महत्‍व रखती है। 14 वर्ष के वनवास के दौरान श्री राम और शूर्पणखा की भेंट हुई थी। वाल्‍मीकि रामायण के अनुसार, शूर्पणखा श्री राम के मोख स्‍वरूप को देख उन पर मोहित हो जाती है और उनके आगे विवाह का प्रस्‍ताव रखती है। श्री राम शूर्पणखा से कहते हैं कि वह विवाहित हैं और इस जन्‍म में वह केवल एक ही स्‍त्री से विवाह कर सकते हैं। शूर्पणखा तब लक्ष्‍मण से विवाह करने की इच्‍छा जताती है। तब लक्ष्‍मण भी उससे यही कहते हैं कि वह विवाहित हैं और वनवास में वह केवल अपने भाई और भाभी की सेवा के लिए आए हैं। इस एक वजह के लिए रावण की मृत्यु के बाद भी सुपर्णखा सीता से मिलने आई 

 

राम और लक्ष्‍मण जब उसकी विवाह याचना को अस्‍वीकार कर देते हैं तो वह क्रोधित हो देवी सीता पर आक्रमण करने लगती है। यह देख लक्ष्‍मण क्रोध में आकर शूर्पणखा की नाक काट अपमानित करते हैं। अपने अपमान को वह सेह नहीं पाती हैं और अपने भाई एवं लंकापति से बहन के अपमान का बदला लेने की बात कहती है। शूर्पणखा के कारण ही रावण देवी सीता का अपहरण करता है और फिर राम और रावण का युद्ध होता है। श्रीलंका के इस स्‍थान पर हुआ था राम और रावण का युद्ध, और भी मिलते है रामायण से जुड़े निशान

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देवी अहिल्‍या 

रामायण की कई रोचक कथाओं में से एक है अहिल्‍या के उद्धार की कथा।  भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री देवी अहिल्‍या महर्षि गौतम की पत्‍नी थीं। इंद्र देव उन पर मोहित थे और छल से उनके साथ काम वासना करने पृथ्‍वी पर आए थे। इस बात से नाराज हो ऋषि गौतम  ने इंद्र और देवी अहिल्‍या दोनों को ही श्राप दिया। जबकि गलती देवी अहिल्‍या की थी भी नहीं। देवी अहिल्‍या श्राप के बाद पत्‍थर की एक शीला बन गई थीं। मगर, श्री राम के पैरों के स्‍पर्श से उन्‍हें उनका स्‍वस्‍प वापिस मिला। नारी के चरित्र की रक्षा कैसे करनी चाहिए श्री राम की इस कथा से लोगों को उदाहरण लेना चाहिए। यदि देवी अहिल्‍या न होती तो श्री राम जग के आगे यह उदाहरण कभी नहीं रख पाते। भारत में बलात्‍कार की पौराणिक कथाएं, सुन कर आप भी रह जाएंगी हैरान

 

तो यह थी भगवान श्री राम के जीवन से जुड़ीं वह 5 महिलाएं जिनके कारण श्री राम के जीवन को न केवल नई दिश मिली बल्कि आम लोगों के लिए श्री राम प्रेरणादयक उदाहरण भी पेश कर पाए। इन महिलाओं से जुड़ी रोचक कहानियां आपको कैसी लगीं हमें बताइएगा। 

 Image Credit: serial ramayan/youtube

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