रामायण, हिन्दू धर्म में इस ग्रंथ की बहुत मान्यता है। इस ग्रंथ पर बहुत सारी फिल्में, कार्टून और टीवी सीरियल्स तक बन चुके हैं। इस ग्रंथ के 5 प्रमुख पात्रों के चारित्र के बारे में भारत में रहने वाले लगभग हर धर्म के लोग जानते हैं। जहां राम को हीरो और रावण को इस ग्रंथ का विलन समझा जाता है वहीं लक्ष्मण और हनुमान को साइड एक्टर। इन पात्रों में एक महिला पात्र भी है, जिसका नाम सीता है। सीता इस ग्रंथ की नायका है। वो नायका जिसके इर्द गिर्द पूरी रामायण घूमती है। भारत में सीता को बहुत महान महिला समझा जाता है। बेशक वह महान थीं। उनके बलिदान और साहस की कहानियां भारत भर में मशहूर है, मगर सीता की महानता अगर इस दौर की महिलाएं दोहराएं तो शायद जीवन जीना उनके लिए आसान नहीं होगा।
दरअसल, आज भी जब घर में बेटे की शादी होती तो सास की चाहत होती है कि उनके घर सीता जैसी आज्ञाकारी बहु आए। पुरुषों को ऐसी पत्नी चाहिए होती है जो, सुख दुख में उनके साथ कदम से कदम मिला कर चल सके और बच्चों की अच्छी परवरिश कर सके। मगर सवाल यह उठता है कि आप तो सीता बन जाएंगी मगर क्या आपको राम जैसा ही लाइफ पार्टनर चाहिए? हो सकता है कि हमारे इस सवाल से आपके मन में काफी उथल पुथल मच गई हो, मगर आज हम आपका ध्यान सीता के जीवन से जुड़ी उन गलतियों की ओर आकर्षित करेंगे, जिसे आज के दौर में अगर आपने दोहराया तो आपको इसकी अच्छी खासी कीमत चुकानी पड़ सकती हैं।
पार्टनर का लें एबिलिटी टेस्ट
आजकल लव मैरिज का जमाना है, जाहिर है आप देवी सीता की तरह स्वयंवर नहीं करेंगी, मगर लव मैरिज करते वक्त भी केवल पर्सनालिटी देख कर लाइफ पार्टनर न चुने, जिस तरह देवी सीता केवल धनुष तोड़ देने पर राम को पति चुन लिया था। आज के दौर में बहुत जरूरी है कि पार्टनर चुनते वक्त इस बात का ध्यान दिया जाए कि उस पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं और क्या वो आप पर भरोसा करेगा या नहीं।
पति के फैसले को ही न समझें आखरी फैसला
जब माता केकई के कहने पर महाराजा दशरथ ने राम को 14 वर्ष के बनवास जाने का आदेश दिया तो राम ने तुरंत ही इस आदेश को स्वीकार कर लिया। राम के साथ सीता ने भी बनवास पर जाने का निर्णय लिया और 14 वर्ष तक जंगलों में दिन गुजारे। मगर आज के दौर में यह संभव नहीं है। पति यदि कोई फैसला लेता है तो उसे मानने की जगह उसे समझाएं कि इसके क्या नुकसान हो सकते हैं। खुद कभी पति के गलत फैसले में साथ न दें। पति अपना फैसला थोपे तो उसे बड़े प्यार से समझाएं कि आप उनके इस फैसले में उनके साथ नहीं हैं।
सोच समझ कर करें जिद
बनवास के दौरान देवी सीता ने अपने पति राम को एक हिरण के शिकार पर जिद करके भेजा था। उसके बाद जो हुआ उसी पर पूरी रामाण लिखी गई है। सीता जैसा एक्सपीरियंस आपको न हो इसलिए सोच समझ कर जिद करें। आपकी जिद आपको ही मुसीबत में डाल सकती है। इसके साथ ही जिद उसी चीज की करें जो आपकी लाइफ में एक बड़ा इफेक्ट डाल रही हो।
सही वक्त और सही जगह दिखाएं स्वाभीमान
हरण करने के बाद रावण ने देवी सीता को एक वाटिका में रखा था। देवी सीता को रावण के कैद से छुड़ाने के लिए राम ने अपने दूत हनुमान को भेजा था मगर सीता ने हनुमान से कहा कि वह तब ही जाएंगी जब स्वयं राम उन्हें लेने आएंगे। सीता के इस स्वाभीमान की ही वजह से इतना बड़ा युद्ध हुआ। अगर कभी इस तरह की सिचुएशन में आप पड़ जाएं तो आप खुद को मुसीबत से निकालने के लिए उपाय तलाशिएगा स्वभीमान में समय नष्ट मत करिएगा।
पति को समझाएं उनकी जिम्मेदारियां
वनवास से वापिस लौटने के बाद जब राम और सीता अयोध्या आए तो प्रजा ने सीता के हरण्को लेकर सवाल उठाने खड़े कर दिए । सीता को लेकर लोगों के बीच फैले भ्रम के कारण राम ने उन्हें त्याग दिया। जिस वक्त राम ने सीता को त्यागा था उस वक्त सीत जी गर्भावती थीं मगर सीता जी ने पति के त्याग को उनकी आज्ञा समझकर उसका पालन किया । बच्चों के जन्म के बाद भी सीता ने सिंगल मदर बन कर दोनों बच्चों का पालनपोषण किया। मगर क्या आज के दौर में यह संभव है। सिंगल मदर होने में कोई बुराई नहीं है मगर पिता के होते हुए बच्चे की पूरी जिम्मेदारी उठाने की जरूरत नहीं है। बच्चे की जिम्मेदारी को दोनों को ही बराबर से उठाना चाहिए। महिला ने बच्चे को जन्म दिया तो इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चे के सारे काम वही करेगी। अपने पति को शुरु से ही उनके हिस्से की जिम्मेदारियों का अहसास कराएं।
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