पम्बन ब्रिज तमिलनाडु के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। रामेश्वरम में स्थित, पम्बन ब्रिज में हर साल कई यात्री और पर्यटक आते हैं। यह आम ब्रिज की तुलना में काफी अलग है और इसलिए इस ब्रिज से जुड़ा इंजीनियरिंग चमत्कार आमतौर पर लोगों को आकर्षित भी करता है और उनके मन में खौफ भी पैदा करता है। रामेश्वरम द्वीप को मुख्य भूमि से जोड़ने वाले पम्बन पुल के बारे में ऐसी कई बातें हैं, जिसके बारे में शायद आप अब तक अनजान होंगी।
मुख्य भूमि और द्वीप के बीच 2 किमी फैले, यह मुंबई के पश्चिमी तट पर 2.3-किमी बांद्रा-वर्ली समुद्री लिंक के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा समुद्री पुल है। यह ब्रिज एक सदी पहले बनाया गया था और कई शिप व जहाज आज तक इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। यह पुल बीच में से खुलता है ताकि जहाज आसानी से आ-जा सकें। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण इस ब्रिज से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में बता रहे हैं-
बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि रामेश्वरम में स्थित पम्बन रेलवे ब्रिज भारत का पहला समुद्री पुल है, जिसे 1914 में खोला गया था। इस लिहाज से अगर देखा जाए तो यह ब्रिज अब सौ साल से भी अधिक पुराना हो चुका है। यह अपने आप में एक मुख्य टूरिस्ट अट्रैक्शन है, क्योंकि लोग यहां पर यह देखने आते हैं कि किस तरह पानी से शिप व जहाज की आवाजाही के लिए ब्रिज बीच में से खुल जाता है और फिर कुछ ही पलों में पहले जैसा हो जाता है।
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आज के समय में पम्बन ब्रिज मुंबई के पश्चिमी तट पर 2.3 किमी बांद्रा-वर्ली समुद्री लिंक के बाद भारत का दूसरा सबसे लंबा समुद्री पुल है। लेकिन 2010 तक इसकी गिनती भारत के सबसे लंबे पुल के रूप में होती थी। उसके बाद 2010 में बांद्रा-वर्ली सी लिंक को खोलने के लिए ब्रिज को खोला गया।
ब्रिज को भले ही कई साल पहले बनाया गया हो, लेकिन उससे जुड़ी एक दिलचस्प बात यह है कि यह बेहद ही ताकतवर ब्रिज है। पम्बन पुल ने 1964 में एक चक्रवाती तूफान को झेल लिया था। हालांकि पुल के कुछ हिस्सों को काफी नुकसान हुआ, लेकिन इसके रोलिंग लाइफ सेंटर को कोई नुकसान नहीं हुआ था। जबकि इस विशाल चक्रवात ने धनुषकोडि को पूरी तरह तबाह कर दिया था जो पास में स्थित है। बता दें कि इस ब्रिज को 1913 में एक जर्मन इंजीनियर Scherzer द्वारा डिजाइन किया गया था।
यह ब्रिज तमिलनाडु में लोगों के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण परिवहन माध्यम था। दरसअल, जब तक रेलवे पुल के समानांतर एक सड़क पुल का निर्माण किया गया था, पम्बन पुल रामेश्वरम और मुख्य भूमि को जोड़ने वाला एकमात्र ट्रैक था। पम्बन द्वीप में एक मंदिर है, जहाँ श्रद्धालु प्रतिदिन पुल का उपयोग करते हुए आते थे।
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प्रोजेक्ट यूनीगेज के शुरू होने के कारण, यह निर्णय लिया गया था कि पुल को बंद करना होगा क्योंकि इसमें मेट्रो गेज रेल है। इतना ही नहीं, नए पुल के लिए भारी बजट के तहत योजनाएं प्रस्तावित थीं। हालांकि, ए.पी.जे अब्दुल कलाम की देखरेख में, जो उस समय राष्ट्रपति थे 2007 में इस पुल का जीर्णोद्धार किया गया और इसे फिर से शुरू किया गया था।
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