भारत में घूमने के लिए कई जगह हैं। कई टूरिस्ट स्पॉट तो इतने फेमस हैं कि वहां आपको हज़ारों लोगों की भीड़ मिल जाएगी। पर हमारे विशाल और खूबसूरत देश में कुछ टूरिस्ट स्पॉट ऐसे भी हैं जो घोस्ट टूरिज्म (Ghost tourism) के लिए प्रसिद्ध हैं, यहां लोग अलौकिक चीज़ें देखने और महसूस करने आते हैं। आप भानगढ़ के बारे में तो जानती ही होंगी जो देश के सबसे अहम लेकिन अजीबोगरीब टूरिस्ट स्पॉट्स में से एक है। ऐसी ही कई जगह हैं जहां कुछ न कुछ रहस्य छुपा हुआ है। ऐसे ही देवताओं की शक्ति का रूप माना जाता है कामाख्या देवी और महाकाल को जहां कुछ चमत्कार देखने को मिलते हैं।
इन जगहों के रहस्यों के बारे में कोई वैज्ञानिक कारण समझ नहीं आता फिर भी कम से कम वो जगहें लोककथाओं में प्रसिद्ध तो उनके रहस्यों के कारण ही हैं। किसी जगह को भूत का डेरा माना जाता है तो किसी को देवताओं का आशीर्वाद। तो चलिए आपको बताते हैं कि भानगढ़ के अलावा हमारे देश में ऐसे कौन से 5 स्थान हैं जो अपने आप में अनूठे हैं।
क्या आपने कुलधरा गांव के बारे में सुना है। राजस्थान का ये गांव काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। इस गांव में आपको इंसान नहीं सिर्फ खाली घर और खंडहर दिखेंगे। कहा जाता है कि 200 साल पहले ये गांव 1500 पालिवाल ब्राह्मणों का घर था। इस गांव के लोगों पर जैसलमेर का दीवान सलीम सिंह अत्याचार करता था। वो मनचाहा कर वसूल करता था। इसके बाद सलीम सिंह की नजर गांव के मुखिया की बेटी पर पड़ी। सलीम सिंह ने गांव वालों पर बहुत ज्यादा कर लगाने की धमकी दी। लड़की को बचाने और सलीम सिंह के डर से बाहर निकलने के लिए रातों-रात पूरा गांव खाली हो गया। हालांकि, किसी ने भी गांव के 1500 लोगों को जाते नहीं देखा। कहा जाता है कि इस गांव को वो लोग श्राप देकर गए थे कि यहां अब कोई नहीं बस पाएगा। अगर आप कभी राजस्थान धूमने का प्लान बनाएंगे तो कुलधरा गांव के बारे में जरूर सोचिएगा। ये गांव जैसलमेर से सिर्फ 18 किलोमीटर दूर है।
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केरल का एक गांव जहां के रहस्य को विज्ञान भी नहीं सुलझा पाया। मल्लापुरम जिले में मौजूद कोदिन्ही गांव ऐसा है जहां 200 से ज्यादा ट्विन्स हैं। जी हां, यहां हर दूसरे घर में जुड़वां बच्चे होते हैं। इसके अलावा, तिड़वे बच्चे भी देखने को मिलते हैं। इस गांव को सरकार भी ‘Village of Twins’ कहती है। कोदिन्ही के साथ एक बात और अजीब है। यहां की महिलाएं अगर किसी और गांव में शादी करके जाती हैं तो भी उनके जुड़वा बच्चे होते हैं। इसपर कई वैज्ञानिकों ने भी रिसर्च की है और अभी तक जवाब नहीं मिला है, उनका मानना है कि ये यहां के पानी की वजह से है। स्थानीय लोगों का मानना है कि ये देवताओं का आशीर्वाद है। कोझीकोड (कालीकट ) अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से कैब बुक कर कोदिन्ही पहुंचा जा सकता है। ये गांव एयरपोर्ट से 40 किलोमीटर दूर है। केरल टूरिज्म का एक अहम हिस्सा ये गांव भी बनता जा रहा है।
हर साल सर्दियों के बाद जैसे ही बर्फ पिघलती है वैसे ही रूपकुंड तालाब में मानव कंकाल तैरने लगते हैं। 16,500 फिट की ऊंचाई पर मौजूद इस तालाब को 1942 में ढूंढा गया था। तब से लेकर अब तक ये गांव एक रहस्य बना हुआ है। रूपकुंड तालाब में कई फॉरेंसिक और रेडियोकार्बन टेस्ट किए गए और वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां मौजूद कंकाल कम से कम 1200 साल पुराने हैं। किसी को नहीं पता कि ये यहां कहां से आए। लोककथा कहती है कि ये कन्नौज के राजा जसधवल और उनकी प्रेग्नेंट रानी और उनके सभी नौकरों का काफिला है जो नंदा देवी के दर्शन को निकले थे, लेकिन रास्ते में तूफान की चपेट में आ गए।
रूपकुंड ट्रेक आजकल बहुत फेमस ट्रेकिंग एक्सपीरियंस माना जाता है। दिल्ली से रूपकुंड ट्रेक पर जाने के लिए कई टूर कंपनियां पैकेज देती हैं।
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असम में एक छोटा सा गांव है जतिंगा। इसके बारे में ज्यादातर किस्से यहां के स्थानीय लोग सुनाते हैं। इसके अलावा, आपको इसके बारे में कई आर्टिकल पढ़ने को मिल जाएंगे। इस हरे भरे इलाके में हर साल मानसून के अंत में एक अजीबोगरीब वाक्या होता है। सूरज ढलने के बाद यहां हज़ारों की संख्या में पक्षी एक एक कर मरने लगते हैं। ये हर दिन होता है और स्थानीय निवासियों के अनुसार यहां पर बुरी आत्माओं का साया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि शायद पक्षी कोहरे की वजह से ठीक से देख और महसूस नहीं कर पाते और इसलिए वो पेड़ों से टकरा कर मर जाते हैं। पर फिर भी कोई ये नहीं जानता कि आखिर हर साल कई दिनों तक एक ही जगह पर ऐसा क्यों होता है।
असम के सिलचर एयरपोर्ट से ये जगह सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है।
1860 में फ्रेंच मिशनरी द्वारा बनाया गया रोज़री चर्च उस दौर की सभी कम्युनिटी एक्टिविटी का हिस्सा रहा करता था। ये सिर्फ चर्च ही नहीं एक अनाथालय और अस्पताल का काम भी करता था। हालांकि, 100 साल बाद भारत सरकार ने गोरुर डैम बनाया और इस पूरे इलाके को पानी ने अपनी चपेट में ले लिया। अधिकतर इमारतें गिर गईं और मलबा बन गईं, लेकिन इतने सालों में भी हर साल ये चर्च गर्मियों में पानी कम होने पर दिखता है और उसके बाद दोबारा पानी में लीन हो जाता है। अभी तक ये चर्च एक बेंगलुरु के पास फेमस टूरिस्ट स्पॉट बना हुआ है और कई लोगों का आस्था का केंद्र भी बन चुका है।
अगर आप यहां जाना चाहें तो बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से शेट्टीहाली 80 किलोमीटर दूर है।
अगर आप भी ऐसी किसी जगह के बारे में जानती हैं जो इस लिस्ट का हिस्सा बन सकती हैं तो हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। साथ ही साथ ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
All Image Credit: Altitude Adventure India/ Fundabook/ Trawell/ NativePlanet
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