सर्दियों में राजस्थान जाने का अपना ही एक अलग मजा है इस बारे में तो आपने सुना होगा। जब भी राजस्थान की बात होती है तो सबसे पहला नाम Pink City का आता है मतलब जयपुर।
इस बात में कोई शक नहीं कि जयपुर बहुत ही सुन्दर सिटी है जिसकी सुन्दरता निहारने हर साल यहां हजारों टूरिस्ट्स आते हैं लेकिन राजस्थान में एक और सिटी ऐसी है जिसे देखे बिना राजस्थान की खूबसूरत का या फिर यूं कहें कि राजस्थान की राजशाही का अंदाजा लगाना गलत है।
हम यहां बात कर रहे हैं उदयपुर की। अगर आप राजस्थान के ट्रिप पर निकली हैं तो जयपुर से थोड़ी ही दूरी पर स्थित उदयपुर तो देखना बनता है।
वैसे तो उदयपुर में ऐसी जगहों की कमी नहीं है जिसे एक बार देखने के बाद भी आप बार-बार देखना चाहेंगी लेकिन इसके बावजूद भी यहां कुछ जगहें ऐसी है जिन्हें एक बार देखने के बाद आप उसी जगह को बार-बार देखने के लिए उदयपुर आना चाहेंगी।
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चलिए आपको लेकर चलते हैं उदयपुर की खूबसूरत गलियों में
अगर आप उदयपुर गई हैं तो सिटी पैलेस को देखे बिना इस सिटी को गुड बाय ना कहें। सिटी पैलेस की स्थापना 16वीं शताब्दी में आरम्भ हुई। इसके पीछे की कहानी यह है कि इस पैलेस को स्थापित करने का विचार एक संत ने राजा उदय सिंह को दिया था।
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महाराणा उदय मिर्जा ने सिटी पैलेस का निर्माण किया था। इस महल के अंदर राजाओं के हथियार और सवारी रथ बड़ी ही खूबसूरती से प्रदर्शित किए गए हैं। इस महल में ऐसी पेंटिंग भी बहुत है जो इस महल का इतिहास बताती हैं। यह महल बहुत ही सुंदर कलाकृतियों से भरा हुआ है। सिटी पैलेस की वर्षों पुरानी आठ मूर्तियां वर्तमान में पेरिस में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मूर्त शिल्प प्रदर्शनी में पूरे हिंदुस्तान की मान बढ़ा चुकी हैं।
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इसका निर्माण राजा उड़ाई सिंह ने करवाया था। इस लेक के आसपास बहुत ही सुन्दर मंदिर भी है। अगर आप इस लेक को देखने के लिए जाएं तो उसके आसपास के मंदिर देखना ना भूलें।
लेक प्लेस को महाराणा जगत सिंह ने साल 1743 में एक ग्रीष्मकालीन निवास के रूप में इस महल का निर्माण करवाया था। अब यह महल एक 5 स्टार होटल के रूप में बदल गया है।
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इस महल की इमारत इतनी ज्यादा सुंदर है जिसे एक बार देखने के बाद इन पर से नजर हटाने का मन नहीं करता है। वर्ल्ड के सबसे सुंदर पैलेस की लिस्ट में इस महल का नाम भी शामिल है। इस महल के कमरे गुलाबी पत्थर, पुते शीशे, मेहराब, और हरे कमल के पत्ते के साथ सजे हैं।
मानसून पैलेस सज्जनगढ़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है। इस पैलेस के ऊपर से झील का सुंदर नजारा भी दिखाई देता है। इसका निर्माण महाराजा राजवंश ने करवाया था। मानसून पैलेस के नाम से पहचान रखने वाला सज्जनगढ़ समुद्री तल से 3100 फीट ऊंचाई पर है। शहर में इससे ज्यादा ऊंचाई पर कोई भी इमारत नहीं है। जिसे खास तौर पर मानसून के बादलों को देखने के लिए बनाया था।
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इस मंदिर के पीछे की कहानी कुछ ऐसी है कि महाराणा अमर सिंह ने पहली बार इस महल का निर्माण शुरू किया। बाद में महाराणा कर्ण सिंह ने इसका काम करवाया। महाराणा जगत सिंह प्रथम ने महल के निर्माण कार्य को पूरा किया। इसके बाद जग मंदिर के रूप में अंतिम राजा महाराणा जगत सिंह के नाम पर इसका नाम रखा गया। जग मंदिर में गुल महल मुगल राजकुमार खुर्रम के लिए बनवाया गया था। इमारत के अंदर हॉल, अदालतें और आवासीय स्थान हैं। इस मंदिर में फूलों का एक बहुत बड़ा बगीचा है जिसमें लगने वाले फूल देखने लायक होते हैं।
बगोरे की हवेली में वर्ल्ड की सबसे बड़ी बताई जाने वाली पगड़ी टूरिस्ट्स के आकर्षण कारण बनी हुई है। बड़ौदा के आवंती लाल चावला द्वारा तैयार की गई यह पगड़ी 3 राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश व गुजरात के किसानों द्वारा बांधी जाती पगडिय़ों के स्टाइल है।
इस पगड़ी का बायां भाग गुजराती किसानों, दायां मध्य प्रदेश और मध्य भाग राजस्थान के किसानों के पगड़ी बांधने के स्टाइल को दर्शाता है। बगोरे की हवेली के अजायब घर में रखी गई यह पगड़ी 30 इंच ऊंची है जिसका घेरा 11 फुट व भार 20 किलो है और वह 7 इंच मोटी है।
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