जरा सोचिए कि आप समुद्र के बीच बने एक पुल पर सफर कर रहे हों। वो पुल जो किसी नाव के आने पर खुल जाता है और उसके जाने के बाद वापस पहले जैसा हो जाता है। ये पुल इसलिए और भी ज्यादा खास है क्योंकि ये 100 साल पहले बना है। 1988 तक ये ब्रिज एकमात्र तरीका था रामेश्वरम को अन्य जगहों से जोड़ने का। यहां बात हो रही है भारत के सबसे अनोखे रेल रूट में से एक रामेश्वरम-पमबन ब्रिज रेल रूट की।
इसे इंजीनियरिंग का एक अनूठा नमूना कहा जाता है। ये 2009 तक भारत का सबसे लंबा समुद्री ब्रिज था। इससे ट्रेन जाती थी और ये काफी कम ऊंचाई पर जाती है। अब बांद्रा-वर्ली सीलिंक सबसे लंबा समुद्री ब्रिज बन गया है। इस रेल रूट की खासियत ये है कि बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है साथ ही साथ इसे भारत के कुछ खतरनाक ब्रिज में से एक माना जाता है। अगर समुद्र अशांत हो तो लहरें ऊपर तक आ जाती हैं।
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क्या खास है इस रेल रूट में-
आपकी आंखें जहां तक देख सकेंगी वहां तक आपको सिर्फ नीला पानी दिखेगा। ये ट्रेन सफर आपको याद रहेगा। ये ब्रिज 2.5 किलोमीटर लंबा है और 1 मीटर चौड़ा है। क्योंकि ये ब्रिज इतना सकरा है इसलिए आपको ऐसा लगेगा कि ट्रेन पानी में ही चल रही है। ये एक एडवेंचर भरी यात्रा हो सकती है। ये ब्रिज 143 खंबों की मदद से समुद्र पर टिका हुआ है। ये अपने आप में किसी ट्रैवल डेस्टिनेशन से कम नहीं है।
कहां मौजूद है और कब जाएगी ट्रेन-
ये रामेश्वरम तक पहुंचने के सबसे प्रसिद्ध मार्गों में से एक है। इस रेल रूट पर ज्यादा ट्रेन नहीं जातीं हैं इसलिए आपको अपनी ट्रिप पहले से ही प्लान करनी होगी। टिकट बुक करवाने के पहले ध्यान रखें। इस रेल रूट पर सफर करने का सबसे अच्छा तरीका है रामेश्वरम चेन्नई एक्सप्रेस के जरिए। ये शाम को 5 बजे हर रोज़ रामेश्वरम स्टेशन से गुजरती है। Pamban junction एक और रेलवे स्टेशन है जहां से आप इस ट्रेन में चढ़ सकते हैं।
इस रेल रूट के अनोखे फैक्ट्स-
1. इस ब्रिज को बनाने की शुरुआत 1911 में हुई थी और इसमें से पहली ट्रेन 1914 में 24 फरवरी को हुई थी। ये 2007 में metre-gauge से broad-gauge में बदला गया है।
2. इसे जर्मन इंजीनियर Scherzer ने डिजाइन किया है। इस ब्रिज के नीचे से करीब 10 से 15 नाव हर महीने गुजरती हैं। ये देखना एक बेहतरीन अनुभव है।
3. ये ब्रिज 1964 के चक्रवात को झेल गया था। ये वो समय था जब लोगों को लगा था कि न तो ये ब्रिज बचेगा न ही यहां से ट्रेन गुजर पाएंगी। इसके पास बसे गांव धनुषकोडी को इस चक्रवात ने पूरी तरह से तबाह कर दिया था।
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4. इसी चक्रवात के दौरान एक बुरा ट्रेन एक्सिडेंट हुआ था। ये तेज़ हवाओं के कारण हुआ था। इसके बाद इस ब्रिज में सेंसर लगाए गए जो हवा को मापते हैं। इससे जब भी हवाएं 58 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा होती है तो ट्रेन रोक दी जाती है।
ये रेल रूट बहुत खास है और तमिलनाडु में पर्यटन का एक अनोखा साधन है। इसे देखने और ट्रेन में सफर करने देश विदेश से टूरिस्ट आते हैं। जब ब्रिज को खोला जाता है और उसके नीचे से नाव निकलती है तब तो ये पिकनिक स्पॉट जैसा लगता है। ये अनोखा आकर्षण देखना यकीनन आपके लिए अच्छा होगा। अगर लॉकडाउन के बाद आप तमिलनाडु की ट्रिप प्लान कर रही हैं तो ये ब्रिज आपके लिए एक अलग अनुभव हो सकता है।
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