देश भर में गणेश उत्सव की धूम है और जगह-जगह विघ्नहर्ता को विराजमान किया गया है। देश के लगभग सभी गणेश मंदिरों को सजा दिया गया है और लोग रोज़ाना पूजा और आरती में अपना समय व्यतीत कर रहे हैं। जहां एक ओर अलग-अलग गणेश पंडालों में मूर्तियों को स्थापित करने की मान्यता अपनी जगह है वहीं प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में दर्शण करने का अपना अलग महत्व है। जैसे मुंबई के सिद्धी विनायक मंदिर के दर्शन इन दिनों बहुत शुभ मने जाते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि भारत में ही नहीं बल्कि इंडोनेशिया में भी कई गणेश मंदिर हैं और इंडोनेशिया के एक ज्वालामुखी के मुहाने पर विराजे गणेश 700 सालों से वहीं मौजूद हैं?
यहां बात हो रही है इंडोनेशिया के एक्टिव ज्वालामुखी माउंट ब्रोमो पर विराजी गणपति की एक मूर्ति की। वैसे तो ये वहां की लोककथा है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि ये मूर्ति 700 सालों से वहां है। इंडोनेशिया के 141 ज्वालामुखी में से 130 अभी भी एक्टिव हैं और उन्हीं में से एक है माउंट ब्रोमो। ये पूर्वी जावा प्रांत के Bromo Tengger Semeru national park में स्थित है।
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क्या खासियत है यहां मौजूद गणेश की मूर्ति की-
जावानीज (Javanese) भाषा में ब्रोमो का मतलब ब्रह्मा होता है, लेकिन इस ज्वालामुखी में गणेश का खास स्थान है। स्थानीय लोगों की मान्यता है कि जो मूर्ती ज्वालामुखी के मुहाने पर है वो यहां के लोगों की रक्षा करते हैं। इंडोनेशिया में हिंदुओं की संख्या बहुत ज्यादा है और यहां भी मंदिरों की कमी नहीं है। गणेश मंदिर से लेकर शिव मंदिर तक बहुत सारे भगवान यहां मिलेंगे।
जावा प्रांत में Tenggerese लोग रहते हैं। ये मानते हैं कि इन्ही के पूर्वजों ने ये मूर्ति स्थापित की थी। यहां गणपति की पूजा कभी नहीं रुकती। भले ही यहां विस्फोट ही क्यों न हो रहा हो। दरअसल ये एक परंपरा होती है। ‘याद्नया कासडा’ नाम की इस परंपरा को साल में खास दिन मनाया जाता है। ये 15 दिन तक चलने वाला त्योहार है जो स्थापना के समय से ही चला आ रहा है।
ऊपर मौजूद गणेश की मूर्ति में पूजन के साथ-साथ फल, फूल आदि और प्रसाद के तौर पर बकरियों की बलि भी चढ़ाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर ये नहीं किया गया तो ज्वालामुखी का प्रकोप यहां के लोगों को भस्म कर देगा।
चढ़ाई से पहले मिलेगा ब्रह्मा का मंदिर-
यहां चढ़ाई से पहले मिलता है ब्रह्मा का मंदिर। ज्वालामुखी के नीचे इस मंदिर के अंदर जाएंगे तो भी भगवान गणेश ही आपका स्वागत करेंगे। इस मंदिर को Pura Luhur Poten कहा जाता है।
मंदिरों में मौजूद है ज्वालामुखी के पत्थरों की मूर्तियां-
जो भी मूर्तियां इस जगह पर हैं चाहें वो ज्वालामुखी की चढ़ाई से ऊपर हो या फिर ज्वालामुखी के मुहाने पर रखी गणेश की मूर्ति ये सब यहीं के पत्थरों से बनी हुई हैं। ये मूर्तियां ज्वालामुखी विस्फोट के बाद भी वैसी की वैसी ही हैं। इसे कोई आम टूरिस्ट डेस्टिनेशन समझना सही नहीं होगा।
कैसे पहुंचे यहां-
यहां पहुंचने के लिए थोड़ी मेहनत करनी होगी। ये बाली जैसा नहीं है बल्कि यहां आने के लिए आपको पहले Surabaya International airport तक फ्लाइट लेनी होगी, इसके बाद डमरी बस लेनी होगी और Purabaya bus terminal पर उतरना होगा। यहां जाने के लिए बस वाले को पहले बोलना होगा क्योंकि ये कोई आधिकारिक बस स्टॉप नहीं है। वापस जाने के लिए मिनी वैन मिल जाएगी।
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अगर यहां रात रुकने का सोच रहे हैं तो होमस्टे सबसे बेहतर रहेगा। क्योंकि आस-पास के होटल थोड़े महंगे हो सकते हैं। लॉज वगैराह की तैयारी पहले से ही कर लें।
जाने से पहले रखें ख्याल-
जाने से पहले ख्याल रखें कि ये इलाका बेहद गर्म है क्योंकि यहां सुलगता हुआ ज्वालामुखी है। अगर आपको सांस लेने की दिक्कत नहीं है तो भी मास्क रखें साथ में क्योंकि यहां गर्मी और धूल बहुतायत में है। साथ ही, यहां एटीएम आदि आसानी से नहीं मिलेंगे इसलिए आपको कैश लेकर ही जाना होगा। वो भी इंडोनेशिया रुपया क्योंकि यहां पर करेंसी एक्सचेंज का कोई विकल्प भी नहीं है।
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