रेलवे स्टेशन को यूं तो एक सामान्य स्थान माना जाता है और लोग इसे अपने परिवहन के लिए एक साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अगर इन्हें विस्तार से देखा जाए तो यह काफी आकर्षक होते हैं क्योंकि उन्होंने युद्धों से लेकर शहरी विकास तक सबकुछ झेला है। खासतौर से, भारत में तो आपको ऐसे कई रेलवे स्टेशन देखने को मिल जाएंगे, जिनकी अपनी कहानी काफी दिलचस्प है। समय का उतार-चढ़ाव भले ही इनके स्वरूप में परिवर्तन लेकर आया हो लेकिन फिर भी यह रेलवे स्टेशन अपने अतीत की कहानी को खुद ही बयां करते हैं। तो चलिए आज हम आपको ऐसे ही कुछ अनोखे रेलवे स्टेशन के बारे में बता रहे हैं-
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छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, महाराष्ट्र
इस टर्मिनस को जब 19 वीं शताब्दी में बनाया गया था, तब इसे विक्टोरिया टर्मिनस के रूप में जाना जाता था। बाद में 21 वीं सदी में इसे यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल बनाया गया। रेलवे स्टेशन को विक्टोरियन गोथिक और पारंपरिक भारतीय वास्तुकला के संयोजन से तैयार किया गया है। इस स्टेशन को बनने में करीबन दस साल लगे। यह उस समय में मुम्बई में किसी इमारत को बनने में लगने वाला सबसे लम्बा समय था। इतना ही नहीं, इसी के साथ यह शहर की सबसे महंगी इमारत भी बन गई, और सबसे प्रसिद्ध में से एक भी। साल 1966 में, महाराष्ट्र के पसंदीदा नायक और राजा के बाद स्टेशन का नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कर दिया गया।
काचीगुड़ा स्टेशन, तेलंगाना
तेलंगाना के काचीगुडा स्टेशन का स्ट्रक्चरल व ऐतिहासिक महत्व बहुत अधिक है। इस स्टेशन को पहली बार 1916 में निजाम उस्मान अली खान के समय में गोदावरी वैली लाइट रेलवे के हिस्से के रूप में बनाया गया था। इस स्टेशन को बनाने का मुख्य उद्देश्य मुंबई जैसे पश्चिमी शहरों में राज्य के लिए व्यापक व्यापार की कनेक्टिविटी बनाना था। इसका आर्किटेक्चर को शानदार था ही, साथ ही यहां पर महिलाओं के लिए भी एक अलग स्थान था, जो महिलाओं को गोपनीयता के साथ गाड़ी बदलने में सहायक था। स्टेशन पर मौजूद रेलवे संग्रहालय भी यात्रियों के लिए निजाम के राज्य रेलवे के इतिहास के बारे में जानने का एक बेहतरीन मौका प्रदान करता है।
बारोग स्टेशन, हिमाचल प्रदेश
बरोग कालका-शिमला ट्रेन लाइन पर स्थित एक छोटा रेलवे स्टेशन है। यहां से आपको बेहतरीन पहाड़ी के दृश्य देखने को मिलती है और इसी खूबी के चलते लोग यहां पर आना पसंद करते हैं। 1898 में, कर्नल बारोग को कालका-शिमला सुरंग के निर्माण का प्रोजेक्ट सौंपा गया था। ब्रिटिश सरकार के आने तक सब ठीक रहा, लेकिन बाद में बारोग के खिलाफ एक आरोप लगाया गया और निर्माण में त्रुटि करने के लिए उस पर जुर्माना लगाया गया। इस घटना ने बारोग को अंदर तक हिला दिया और उसने अपना मानसिक संतुलन खो दिया और उन्होंने अधूरी सुरंग के अंदर खुद को गोली मार ली और उसके पास ही उन्हें दफनाया गया। तब से माना जाता है कि टनल नं 33 हॉन्टेड है।
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हावड़ा स्टेशन, पश्चिम बंगाल
लाल ईंटों से बना पश्चिम बंगाल का हावड़ा स्टेशन दूसरा सबसे पुराना स्टेशन है और भारत के सबसे बड़े रेलवे परिसरों में से एक है। इसके 23 प्लेटफार्म इसे भारत के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में एक बनाते हैं। इस स्टेशन को बने हुए सौ वर्ष से भी अधिक समय बीत चुका है। हुगली नदी के तट पर बनाया गया यह स्टेशन रोमनस्क और पारंपरिक बंगाली शैलियों का मिश्रण है। बंगाल के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी व स्वतंत्रता सेनानी योगेश चन्द्र चटर्जी काकोरी काण्ड से पूर्व ही हावड़ा रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिये गये थे। नजरबन्दी की हालत में ही इन्हें काकोरी काण्ड के मुकदमे में शामिल किया गया था और आजीवन कारावास की सजा दी गयी थी।
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