जो भी यात्री जयपुर घूमने जाता है, वह सिटी पैलेस और हवा महल के अलावा जंतर-मंतर भी अवश्य देखता है। यह जयपुर में देखने की सबसे प्रसिद्ध जगहों में से एक है, जिसे सिर्फ स्थानीय या भारतीय ही नहीं, विदेशी नागरिक भी देखना पसंद करते हैं। महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा निर्मित जंतर-मंतर अपने आप में एक अजूबा है। यह सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया में सबसे बड़ा पत्थर से निर्मित एस्ट्रोनॉमिकल ऑब्ज़र्वेट्री है। इसका अपना एक ऐतिहासिक महत्व तो है ही, साथ ही इसका अपना एक आकर्षण है और इसके पीछे का कारण है इससे जुड़ी रोचक जानकारियां। हो सकता है कि आपने कई बार जंतर-मंतर को देखा हो लेकिन आप अभी तक इससे जुड़े इंटरस्टिंग फैक्ट्स से अनजान हों। तो चलिए आज हम आपको जयपुर के जंतर-मंतर से जुड़े कुछ मजेदार फैक्ट्स के बारे में बता रहे हैं-
जयपुर में जंतर मंतर महाराजा सवाई जय सिंह द्वारा निर्मित पांच ऑब्ज़र्वेट्रीज में से एक है, जो जयपुर के संस्थापक और एक बेहतरीन एस्ट्रोनोमर भी थे। 18वीं शताब्दी की शुरुआत के दौरान, उन्होंने भारत में नई दिल्ली, मथुरा, जयपुर, वाराणसी और उज्जैन में 5 जंतर मंतरों का निर्माण किया। जिनमें जयपुर की ऑब्ज़र्वेट्री पांच ऑब्ज़र्वेट्रीज में सबसे बड़ी और सबसे अच्छी संरक्षित है। जंतर मंतर जयपुर को दिल्ली की ऑब्ज़र्वेट्री के आधार पर बनाया गया है।
जंतर मंतर यूनेस्को द्वारा लिस्टेड वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में से एक है। जंतर-मंतर अपने नाम को सार्थक करता है। जंतर का अर्थ है “यंत्र“ और मंतर का अर्थ है “सूत्र“ या “गणना“, इसलिए जंतर मंतर का सामूहिक अर्थ है ’गणना यंत्र। जयपुर का जंतर मंतर पुराने शहर में सिटी पैलेस और हवा महलके बीच स्थित है।
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जंतर मंतर का निर्माण समय और स्थान का अध्ययन करने के लिए किया गया था। जयपुरकी यह रचना उन्नीस आर्किटेक्चरल एस्ट्रोनॉमिकल इंस्ट्रूमेंट का एक परिसर है जो अभी भी संचालन में हैं और इसका इस्तेमाल अभी भी गणना और शिक्षण के लिए किया जाता है। इसका उपयोग सूर्य के चारों ओर कक्षाओं का निरीक्षण और अध्ययन करने के लिए किया जाता है। यहां की कुछ रचनाएं पत्थर, संगमरमर और तांबे से बनी हैं। वहीं उन्नीस इंस्ट्रूमेंट में से कुछ चक्र यंत्र, दक्षिण भित्ति यंत्र, दिगंशा यंत्र, दिशा यंत्र, कनाली यंत्र और पलभा यंत्र आदि हैं।
जयपुर के जंतर मंतर की एक खासियत यह भी है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर की सूर्य घड़ी है जिसे वृहत सम्राट यंत्र कहा जाता है। यह रचना लगभग 27 मीटर ऊंची है। इस विशाल सम्राट यंत्र के निर्माण के पीछे का कारण इसकी सटीकता है। दरअसल, एक छोटा उपकरण सटीक समय बताने में विफल रहा, इसलिए उपकरण के आकार को बढ़ाने का एकमात्र विकल्प बचा था। जिसके बाद इस सन क्लॉक का निर्माण किया गया।
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यूं तो जयपुर में जंतर मंतर को देखना यकीनन एक अविस्मरणीय अनुभव है। लेकिन अगर आप यहां है तो आपको यहां एक कलेक्टिव टिकट मिलती हैं, जिसकी मदद से आप जंतर मंतर के अलावा हवा महल, नाहरगढ़ किला, आमेर का किला और अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भी देख सकते हैं। वहीं अगर आप जंतर मंतरके बारे में अधिक गहन जानकरी प्राप्त करना चाहती हैं तो ऐसे में आप जंतर मंतर पर अधिक शुल्क देकर कई भाषाओं में ऑडियो गाइड व सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
अभी कोरोना संक्रमण के कारण यहां घूमना संभव ना हो लेकिन एक बार स्थिति सामान्य हो जाने के बाद आप इस अद्भुत जगह पर एक बार जरूर जाएं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
Image credit- freepik and travel websites.
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