भारत के लगभग हर राज्य का इतिहास उठाकर देखा जाए तो एक चीज सभी राज्यों में बराबर दिखाई देती है, और चीज है-महल, फोर्ट, पैलेस आदि का होना। लगभग हर राज्य में ऐतिहासिक किला, इमारत आदि मौजूद है। मध्यकाल से लेकर ब्रिटिश काल तक भारत में कुछ ऐसे पैलेस का भी निर्माण हुआ, जो आज किसी विश्व धरोहर से कम नहीं है। देश की प्रथम राजधानी पश्चिम बंगाल में भी कुछ ऐसे ही पैलेस का निर्माण हुआ है, जो आज लाखों सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। जी हां, हम बात कर रहे हैं कोलकाता में मौजूद 'मार्बल पैलेस' के बारे में। ये पैलेस कोलकाता के इतिहास के लिए बहुत ही मायने रखता है। आज इस लेख में हम आपको इस पैलेस के बारे में करीब से बताने जा रहे हैं, और साथ में ये भी बताने जा रहे हैं कि क्यों अधूरा है कोलकाता का इतिहास इस एक पैलेस के बिना। तो आइए जानते हैं।
मार्बल पैलेस का इतिहास
मार्बल पैलेस जिसे संगमरमर का महल के नाम से भी जाना जाता है। इस खूबसूरत और अद्भुत पैलेस का निर्माण वर्ष 1835 के आसपास पश्चिम बंगला के एक अमीर व्यापरी ने करवाया था। इस व्यापारी का नाम राजा राजेंद्र मुलिक बताया जाता है। कहा जाता है कि राजेंद्र मुलिक को एक व्यापारी ने गोद लिया था, और राजेंद्र मुलिक जब बड़े हो गए, तो गोद लिए पिता की व्यापार में शामिल हो गए। शामिल होने के बाद उन्होंने सोचा कि अपने लिए एक विशाल महल का निर्माण करवाना है। तब मुलिक ने मार्बल पैलेस बनवाने का निर्णय लिया।
पैलेस की वास्तुकला
लगभग नाम से भी अधिक इस पैलेस की वास्तुकला प्रसिद्ध है। संगमरमर की दीवारें, फर्श, मूर्तियां आदि के लिए ये पैलेस बेहद ही फेमस है। इस पैलेस के अंदर मौजूद एंटीक झूमर, यूरोपियन एंटीक, ग्लास, पुराने पियानो आदि इस पैलेस को और भी खास बनाते हैं। कहा जाता है कि जगह-जगह लगभग 126 से भी अधिक अलग-अलग पत्थरों का भी इस्तेमाल किया गया है इस पैलेस के निर्माण में। (मैसूर पैलेस) इस पैलेस में कई पश्चिमी मूर्तियां और विक्टोरियन फर्नीचर भी है जो इसकी वास्तुकला में चार चांद लगाते हैं। इस पैलेस के अंदर एक तालाब भी है।
क्यों है कोलकाता के लिए खास?
1835 में इस पैलेस के निर्माण के कुछ वर्षों बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने भी राज किया। इस पैलेस से कई वर्षों तक कोलकाता शहर पर नियंत्रण रखा था। लेकिन, राजधानी बनाने के बाद कई वर्षों तक कोलकाता सरकार ने भी इस पैलेस को अपने नियंत्रण में रखा और यहीं से कई बड़े अधिकारिक फैसले लिए गए। आज ये पैलेस कोलकाता सरकार के अधीन है और एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल भी है।(लालगढ़ पैलेस से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें)
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पर्यटकों के लिए
इस महल के अंदर घूमना किसी भी सैलानी के लिए आसान नहीं है। इसके अंदर घूमने के बकायदा स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेनी होती है। इस लेख के अनुसार इस पैलेस में एक दिन में 4 हज़ार से अधिक सैलानी घूमने के लिए नहीं जा सकते हैं। यहां सुबह 10 बजे के लेकर शाम के 5 बजे के बीच कभी भी घूमने के कोई भी जा सकता है। (लक्ष्मी विलास पैलेस) आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये पैलेस कोलकाता के मुक्ताराम बाबू गली में स्थित है।
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