अगर आपसे पूछा जाए कि आपका फकवरेट स्नैक कौन सा है तो शायद आपका जवाब समोसा ही होगा। भारत में समोसा ऐसा स्नैक है जो छोटे से लेकर बड़े फंक्शन तक में खूब पसंद किया जाता है। सुबह का नाश्ता हो या शाम की चाय, समोसा कहीं भी एडजस्ट हो जाता है। भारत में अगर सर्वे किया जाए तो स्नैक लवर्स को सबसे ज्यादा समोसा ही पसंद होगा इतना ही नहीं छोटे गांव या कस्बे की बात हो या बड़े मेट्रो शहर की, कश्मीर की वादियां हों या फिर साउथ का समंदर भारत में ऐसी कोई जगह नहीं है जहां समोसे नहीं मिलते हों। मगर आश्चर्य की बात तो यह है कि समोसा अब भारत में ही नहीं बल्कि भारत की सीमाओं को लांघ कर सात समंदर पार ब्रिटेन पहुंच गया है।
हैरानी की बात तो यह है कि भारत के इस स्नैक का अपने देश में स्वागत भी ब्रिटेन खास तरह से कर रहा है। ब्रिटेन के लिए यह स्नैक बेहद अनोखा है। मगर दुनिया भर में समोसे की लोकप्रियता को देखते हुए ब्रिटेन में इस स्नैक को वहां के नागरिकों के बीच अनोखे ढंग से पेश किया जा रहा है। दरअसल ब्रिटेन में समोसे को इंट्रोड्यूस करने के लिए 'नेशनल समोसा डे' मनाया जा रहा है। यह ईवेंट 9 अप्रैल से 13 अप्रैल तक होगा। इसमें देश के छह शहर भाग लेंगे. यह एक तरह से चैरिटी प्रोग्राम होगा जिसमें भाग लेने वाले लोग समोसा बनाएंगे, बेचेंगे और खाएंगे भी.इस अभियान में बर्मिंघम, मैनचेस्टर, कॉवेंट्री, नॉटिंघमशायर और रैडेलेट के लोग हिस्सा ले रहे हैं. इस कार्यक्रम में समोसा-इटिंग कॉन्टेस्ट, पॉप अप समोसा और टेस्टिएस्ट समोसा अवॉर्ड्स का आयोजन किया जा रहा है.
कहां से आया आइडिया और क्यों?
यह आडिया पाकिस्तान मूल के पत्रकार रोमेल गुलजार का है। एक मीडिया संस्थान को इंटरव्यू देने के दौरान उन्होंने कहा, 'समोसा भारत का फेवरेट टी टाइम स्नैक है मगर अब इसकी लोकप्रीयता इतनी बढ़ चुकी है कि यह दुनिया भर में मशहू हो चुका है। वैसे समोसा वीक बनाने का मकस्द दुनिया भर को एशियन फूड का स्वाद चखाना है और एशियन फूड में सबसे ज्यादा लोकप्रियता समोसे की है तो इस लिए हमने समोसे से शुरुआत की है।' वैसे इस मुहिम को मेंटल हेल्थ चैरिटी कैंप और केयर ऑफ पुलिस सरवाइवर्स (सीओपीएस) ने शुरू किया है जिसका मकसद उन पुलिस अधिकारियों के परिवार को मदद पहुंचाना है जिन्होंने काम के दौरान अपनी जिंदगी गंवा दी है।
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भारत कैसे हुई समोसे की एंट्री
अगर इतिहास खंगाला जाए तो समोसे का कनेक्शन ईरान से मिलता है। सबसे पहले समोसा ईरान में व्यंजन के तौर पर शुरु किया गया था वहीं की भाषा में इसे संबोसाग कहा जाताह है। इतिहसकारों की माने तो भारत में जब मोहम्मद गजनबी आया तो उसके दरबार में नमकीन के तौर पर संबोसाग परोसा जाता था। वहीं से भारतीयों को इस व्यंजन के बारे में पता चला और उन्होंने अपनी भाषा में इसे समोसा कहना शुरु कर दिया। गजनबी के दरबार में जो संबोसाग परोसा जाता था उसमें कीमा, मीट और सूखा मेवा भरा होता था मगर भारतीय शाकाहारी थे इसलिए उन्होंने समोसे में आलू की फिलिंग करना शुरु कर दी। ऐसा भी कहा जाता है कि भारत में समोसा 2 हजार साल पहले आर्य के साथ आया था। जब समोसा भारत पहुंचा तो उसमें काफी बदलाव किए गए। सबसे पहला बदला यही था कि उसमें आलू और मिर्च मसालों का मिश्रण भर कर बनाया जाने लगा। वैसे यहा एक तथ्य यह भी मिलता है कि पहले समोसे में आलू की जगह सूखी मेवा ही भरी जाती थी मगर जब पुर्तगाली भारत में आलू लाए तब से समोसे में आलू भरा जाने लगा।
कहां का समोसा है बैस्ट
लिसेस्टर स्थित एक न्यूज सर्विस पुकार न्यूज के संपादक गुलजार को लगता है कि दुनिया का सबसे स्वादिष्ट समोसा दिल्ली में बनता है, इसीलिए वे इंग्लैंड में समोसा सप्ताह आयोजित कर इसे लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं. राष्ट्रीय समोसा सप्ताह के विजेताओं को लिसेस्टर करी अवॉर्ड्स 2018 दिया जाएगा जिसका आयोजन 22 अप्रैल को किया जाएगा. इसमें अलग-अलग शहरों के 22 चुनिंदा रेस्त्रां हिस्सा लेंगे.
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