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मां काली का ऐसा मंदिर जहां देवी सती का गिरा था पैर और भगवान कृष्ण का हुआ था मुंडन

हरियाणा की इस जगह में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जहां देवी सती का दायां पैर गिरा था और भगवान कृष्ण का मुंडन किया गया था।
Her Zindagi Editorial
Updated:- 2018-10-15, 19:31 IST

हरियाणा की इस जगह में मां काली का एक ऐसा मंदिर है जहां देवी सती का दायां पैर गिरा था और भगवान कृष्ण का मुंडन किया गया था। ये मंदिर भारत के उन प्राचीन मंदिरों में से एक है जिससे जुड़ी कथाओं के चर्चें आज भी होते हैं। 

ये मंदिर हरियाणा राज्य के कुरुक्षेत्र में स्थित है और माता के 52 शक्तिपीठों में से एक है जिसे देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का संबंध भगवान कृष्ण से भी है। साथ ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में इस मंदिर की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी। 

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देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ कथा 

देवीकूप भद्रकाली शक्तिपीठ के पीछे की कहानी ये है कि जब माता सती ने अपने पिता के अपशब्दों से आहत होकर आत्मदाह किया तो भगवान शिव उनके वियोग को सह नहीं सके और उनका शरीर लेकर ब्रम्हांड में घूमने लगे। 

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तब भगवान विष्णु ने अपने चक्र सुदर्शन से उस शरीर को 52 खण्डों में विभाजित कर दिया था और सभी 52 खंड पृथ्वी पर अलग-अलग स्थान पर जाकर गिरे जिससे उन स्थानों पर शक्तिपीठ का निर्माण हुआ। 

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देवी सती का दायां पैर गिरा था 

इस स्थान पर माता सती के दाहिने पैर के घुटने के नीचे का भाग गिरा था और इसी कारण से इस मंदिर का पौराणिक महत्व है। इस मंदिर में साल की दोनों नवरात्रि बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है। 

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अर्जुन ने की थी पूजा 

महाभारत युद्ध के पूर्व भगवान कृष्ण ने अर्जुन से युद्ध में विजय की कामना से यहीं पर माता भद्रकाली की पूजा करने को कहा था। तब अर्जुन ने अपनी आराधना के समय युद्ध में विजय हासिल करने के बाद माता को घोड़ा चढ़ाने का प्रण लिया था। 

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अर्जुन ने कहा कि आपकी कृपा से मेरी विजय हो और युद्ध के उपरांत मैं यहां पर घोड़े चढ़ाने आऊंगा। शक्तिपीठ की सेवा के लिए श्रेष्ठ घोड़े अर्पित करूंगा। श्रीकृष्ण व पांडवों ने युद्ध जीतने पर ऐसा किया था तभी से मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालु भी ऐसा करते हैं।

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भगवान कृष्ण का हुआ था मुंडन 

ऐसा माना जाता है कि इस शक्तिपीठ के प्रसिद्ध होने का एक वजह यह भी है कि यहां भगवान कृष्ण का मुंडन हुआ था। इसी कारण से लोग अपने बच्चे का मुंडन कराने के लिए इस मंदिर में आते हैं। 

 

 

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