पटियाला पैग! इस शब्द का जिक्र आपने तो कई बार सुना होगा। खैर, आज हम इस पटियाला पैग के बारे में नहीं बल्कि, पटियाला शहर के कुछ बेहतरीन प्लेसेस के बारे में जिक्र करने जा रहे हैं। पटियाला, पंजाब का एक महत्वपूर्ण शहर और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। यह पंजाब का चौथा सबसे बड़ा शहर है। सांस्कृतिक विरासत और रीति-रिवाजों से संम्पन यह शहर कई मायने में सैलानियों के लिए एक आदर्श पर्यटन स्थल है। इस शहर के बारे में कहा जाता है कि यहां वर्षों तक मुगल और राजपूत शासकों का राज था, शायद इसलिए लिए यहां आपको ऐसे कई प्राचीन मुग़ल और राजपूत महल दिख जाएंगे। इस शहर में बड़ी संख्या से सैलानी घूमने के लिए आते रहते हैं। आइए यहां की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में जानते हैं।
शीश महल
शीश महल पटियाला का एक मशहूर महल और प्रमुख पर्यटक स्थल है। इस महल का निर्माण महाराजा नरेंद्र सिंह द्वारा साल 1847 के आसपास करवाया गया था। इस महल के आकर्षण रंगीन कांच और कांच के काम की वजह से 'दर्पणों का महल' या 'पैलेस ऑफ मिरर' के नाम से भी जाना जाता है। इस महल के पास एक झील भी है, और इसी झील के पर मौजूद एक झूला भी है, जिसे 'लक्ष्मण झूला' के नाम से जाना जाता है। हर साल यहां कई सांस्कृतिक प्रोग्राम भी आयोजित होते हैं।
गुरुद्वारा श्री दुख निवारण साहिब
जब भी पंजाब में धार्मिक स्थलों की बात होती है, तो सबसे पहले गोल्डन टेम्पल का ही नाम आता है, लेकिन पटियाला का श्री दुख निवारण साहिब गुरुद्वारा भी इस मामले में कम नहीं है। यहां अलग-अलग धर्मों को मानने वाले लोग पूरी श्रद्धा व आस्था लेकर आते हैं। कहा जाता है कि जो भी भक्त पूरी निष्ठा से इसके निकट के तालाब में डुबकी लगाता है, तो उसके कष्ट ज़रूर दूर हो जाते हैं। ये भी कहा जाता है कि खासकर यहां नवविवाहित जोड़े माथा टेकने आते हैं।
बीर मोतीबाग वन्यजीव अभयारण्य
पटियाला में मुगल, राजपूत महल और गुरुद्वारा के अलावा आप बीर मोतीबाग वन्यजीव अभयारण्य भी घूमने के लिए जा सकते हैं। यह अभयारण्य मुख्य शहर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। कहा जाता है कि इस अभयारण्य में मोर, मैना और शेर प्रमुख जानवर है। इसके अंदर एक आकर्षण हिरण पार्क भी मौजूद है। इसके अंदर घूमने के लिए स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेकर आप घूमने के लिए जा सकते हैं। प्रकृति-प्रेमी के लिए यह जगह बेहद ही खास है।
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बहादुरगढ़ किला
पटियाल शहर के बाहरी इलाके में मौजूद यह किला सैलानियों के लिए प्रमुख स्थानों में से एक है। कहा जाता है कि इस महल का निर्माण यहां के पहले नवाब सैफ खान द्वारा 17वीं शताब्दी में करवाया गया था। इस महल के बारे में ये भी मान्यता है कि सिक्खों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर इस महल में रहते थे, जिसके चलते इस महल का नाम बहादुरगढ़ किला रखा गया। इस महल में आपको इस्लामिक और राजपूत वास्तुकला का अद्भुत नमूना भी देखने को मिलेगा।
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