जगन्नात मंदिर जितना चमत्कारी है उतना ही रहस्यमयी भी है। जगन्नाथ मंदिर में होने वाली हर घटना के पीछे कोई न कोई संकेत होता है जो स्वयं भगवान जगन्नाथ द्वारा दिया जाता है। ठीक ऐसे ही एक संकेत है गरुड़ का मंदिर के शिखर पर बैठना। शास्त्रों के अनुसार, गरुड़ भगवान विष्णु के परम भक्त और उनके वाहन हैं। भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार और श्री कृष्ण के जगन्नाथ स्वरूप में गरुड़ देव कई प्रकार से उनकी लीला में सहायक रहे हैं। फिर ऐसा क्यों है कि जगन्नाथ मंदिर पर उनके ही परम भक्त माने जाने वाले गरुड़ का बैठना अशुभ होता है। इस बारे में आइये जानते हैं ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से।
हिन्दू धर्म में 18 पुराणों का उल्लेख मिलता है। इन्हीं 18 पुराणों में से एक है गरुड़ पुराण जिसमें व्यक्ति की मृत्यु से लेकर उसके बाद आत्मा की यात्रा, उसके पुनर्जन्म, आत्मा के कर्म फल आदि इन सब के बारे में वर्णित है।
इससे यह स्पष्ट है कि गरुड़ का संबंध मृत्यु से है। ऐसे में गरुड़ का जगन्नाथ मंदिर के ऊपर बैठना मृत्यु का सूचक ही माना जाता है। उदाहरण के तौर पर आप उस घटना को याद कर सकते हैं जब गरुड़ मंदिर की ध्वजा ले उड़ा था।
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इस घटना के कुछ समय बाद ही अहमदाबाद में प्लेन क्रैश की घटना घटित हुई थी। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह लोगों द्वारा मानी जाने वाली धारणाएं हैं। यहान तक कि मंदिर के पुजारियों द्वारा भी इन दोनों घटनाओं को जोड़ा गया था।
अगर इस घटना का उल्लेख हम न भी करें या मंदिर पर गरुड़ बैठने की अशुभता से इस घटना को न भी जोड़ें तब भी शास्त्रों में भी यह बताया गया है कि जगन्नाथ मंदिर पर जब-जब गरुड़ विराजेंगे, कोई न कोई अप्रिय घटना घटित होगी।
इसके अलावा, एक पौराणिक कथा के अनुसार ऐसा माना जा है कि प्राचीन समय में जब जगन्नाथ मंदिर का निर्माण हो चुका था तब समुद्र में स्नान के लिए साधु-संत आया करते थे ताकि स्नान के बाद ही मंदिर में प्रवेश कर दर्शन कर सकें।
समुद्र में अनेकों सर्पों का बसेरा था और जब भी कोई साधु-संत समुद्र में स्नान के लिए जाते तो सर्प उन्हें हानि पहुंचाने लगते हैं। एक बार एक दिव्य संत जब समुद्र स्नान के लिए पहुंचे तब उन्होंने गरुड़ देव का आवाहन किया।
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गरुड़ देव प्रकट हुए और उन्होंने सभी सर्पों का वध कर दिया। गरुड़ देव इतने आक्रोश में आ गए कि उन्हें रोकने स्वयं हनुमान जी को आना पड़ा। इसी घटना से बाद से यह प्रचलित हुआ कि गरुड़ का जगन्नाथ मंदिर के आसपास उड़ना या बैठना मृत्यु का सूचक होगा।
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