हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत पड़ता है। शास्त्रों में बताया गया है कि प्रदोष व्रत की पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा बरसाते हैं और घर में सुख-समृद्धि एवं सौभाग्य का आगमन होता है। ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने हमें बताया कि इस साल जुलाई का पहला और आषाढ़ माह के अंतिम प्रदोष व्रत चातुर्मास में पड़ने वाला है तो चलिए जानते हैं कि चातुर्मास एवं जुलाई के पहले प्रदोष व्रत की सही तिथि, क्या है भगवान शिव की पूजा का समय और साथ ही, जानेंगे इसका महत्व।
आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 7 जुलाई, सोमवार को रात 11 बजकर 11 मिनट से हो रहा है। वहीं, इसका समापन 8 जुलाई, मंगलवार के दिन रात 12 बजकर 39 मिनट पर होगा।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, आषाढ़ माह का आखिरी और जुलाई का पहला प्रदोष व्रत 8 जुलाई को रखा जाएगा। मंगलवार होने के कारण यह भौम प्रदोष व्रत कहलाएगा।
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जुलाई के पहले प्रदोष व्रत यानी कि 8 जुलाई के दिन ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 9 मिनट से आरंभ होगा और सुबह 4 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप सुबह की पूजा के लिए स्नान आदि कर सकते हैं, व्रत का संकल्प ले सकते हैं और भगवान शिव का ध्यान कर सकते हैं।
जुलाई के पहले प्रदोष व्रत के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शिव जी की पूजा करना शुभ रहेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 8 जुलाई को प्रदोष काल नहीं बन रहा है। ऐसे में अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना उत्तम होगा।
जुलाई के पहले प्रदोष व्रत के दिन रवि योग दोपहर 3 बजकर 15 मिनट से अगले दिन 9 जुलाई को सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त का निर्माण दोपहर 2 बजकर 45 मिनट से हो रहा है और दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर इसका समापन हो जाएगा।
जुलाई के पहले प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव के मंत्रों का विशेष रूप से जाप करने के लिए या फिर शिवलिंग जलाभिषेक के लिए संध्या मुहूर्त भी बन रहा है जो शाम 7 बजकर 23 मिनट से रात 8 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शिव पूजन का अक्षय फल मिलेगा।
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प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का फल प्राप्त होता है, लेकिन चूंकि यह आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है यानी कि चातुर्मास में पड़ने वाला पहला प्रदोष व्रत तो ऐसे में इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस प्रदोष व्रत में पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि के आगमन के साथ-साथ शिव कृपा बरसती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है। भाग्य का साथ मिलने लगता है।
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