प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में ही क्यों होती है? जानें इसका कारण

शास्त्रों में बताया गया है कि जब तक प्रदोष काल में शिव जी की पूजा न हो तब तक प्रदोष व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने से क्या होता है।  
pradosh kaal mein hi kyu hoti ha pradosh vrat ki puja

प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। हर माह में प्रदोष व्रत 2 बार आता है- एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष। इस व्रत में पूजा 'प्रदोष काल' में ही करना सबसे ज्यादा शुभ माना जाता है। शास्त्रों में भी बताया गया है कि जब तक प्रदोष काल में शिव जी की पूजा न हो तब तक प्रदोष व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, प्रदोष काल में की गई प्रदोष व्रत की पूजा का दोगुन फल प्राप्त होता है. ऐसे में ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में करने से क्या होता है।

प्रदोष काल में ही क्यों होती है प्रदोष व्रत की पूजा?

'प्रदोष' शब्द का अर्थ है 'दोषों का नाश करने वाला' या 'पापों को दूर करने वाला'। यह समय दिन और रात के मिलन का होता है यानी सूर्यास्त से ठीक पहले और सूर्यास्त के ठीक बाद का समय। इस अवधि को 'गोधूलि वेला' भी कहते हैं।

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शास्त्रों के अनुसार, यह समय भगवान शिव को सबसे प्रिय होता है। मान्यता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होकर हसोन्मुख मुद्रा में कैलाश पर्वत पर माता पार्वती के साथ नृत्य करते हैं।

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इस दौरान सभी देवी-देवता भी भगवान शिव की स्तुति करते हैं और उनकी आराधना करते हैं। इसलिए, इस विशेष समय में शिव जी की पूजा करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। यह माना जाता है कि इस दौरान की गई पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है। एक और प्रचलित कथा के अनुसार, समुद्र मंथन जब हुआ था तब उस दौरान समुद्र से अत्यंत भयंकर हलाहल विष निकला था।

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इस विष को तब भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष को पी लिया था। इस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया। इसलिए उन्हें 'नीलकंठ' कहा जाने लगा। जिस समय भगवान शिव ने यह विष पिया था वह प्रदोष काल ही था। देवताओं और असुरों ने मिलकर इस समय भगवान शिव की स्तुति की थी और शिव जी ने उन्हें क्षमा कर दिया था। तभी से यह समय भगवान शिव की कृपा के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।

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image credit: herzindagi

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FAQ

  • प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को क्या अर्पित करना चाहिए?

    प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।