3 जुलाई 2025 से अमरनाथ यात्रा का शुभारंभ हो चुका है और पहले दिन करीब 4500 श्रद्धालुओं को जत्था अमरनाथ गुफा के लिए रवाना हो चुका है। यह यात्रा केवल धार्मिक नहीं है, बल्कि यह श्रद्धा, तपस्या से जुड़ी हुई है।
हर साल लाखों भक्त 14000 फीट की ऊंचाई चढ़कर बाबा बर्फानी के दर्शन करने पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव अमर कथा माता पार्वती को सुनाने के लिए अमरनाथ गुफा की तरफ आगे बढ़े थे, तो उन्होंने रास्ते में 5 चीजों का त्याग कर दिया था। ये चीजें न सिर्फ़ उनके त्याग और वैराग्य का प्रतीक हैं, बल्कि हर एक चीज एक आध्यात्मिक संदेश देती है। भक्तों का मानना है कि अमरनाथ यात्रा के दौरान आपको इन चीजों का अनुभव हो सकता है। आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने वाले हैं कि भगवान शिव ने कौन-कौन सी 5 वस्तुओं को छोड़ दिया था और उनका क्या आध्यात्मिक महत्व है।
शिव पुराण के अनुसार, जब भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य (अमर कथा) सुनाने का निर्णय लिया, तो उन्होंने सोचा कि यह बात किसी और को नहीं पता चलनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने बेहद शांत और एकांत जगह चुनी, जो थी अमरनाथ गुफा। लेकिन गुफा की तरफ बढ़ते हुए उन्होंने नंदी, चंद्रमा, सांप, गणेश और पंचतरणी का त्याग कर दिया था, जो सांसारिक बंधनों, अहंकार और जिम्मेदारियों से मुक्ति के प्रतीक थीं।
इसे भी पढ़ें- अमरनाथ यात्रा के लिए तत्काल टोकन की सुविधा हुई चालू, यहां जानें पूरा प्रोसेस
भगवान शिव का वाहन नंदी बैल है और यह शक्ति, समर्पण और निष्ठा का प्रतीक माना जाता है। जब भोलेनाथ की पूजा की जाती है, तो वहां पर नंदी की भी मूर्ति होती है। नंदी की मूर्ति शिवलिंग के समाने विराजमान रहती है। आमतौर पर लोग अपनी मनोकामना को नंदी के कान पर कहकर चले जाते हैं ताकि वह भगवान शिव तक उनकी मनोकामना को पहुंचा सकें। शिव पुराण के मुताबिक, जब भगवान शिव अमर कथा सुनाने जा रहे थे, तो उन्होंने सबसे पहले नंदी को पहलगाम में छोड़ दिया। यही से उनकी त्याग यात्रा शुरू हुई थी।
भगवान भोलेनाथ की जटाओं पर बंधा चंद्रमा, समय, शीतलता और जीवन चक्र का प्रतीक माना जाता है। चंद्रमा भगवान भोलेनाथ की शांत, स्थिर और संतुलित ऊर्जा को दर्शाता है। पौराणिक कथानुसार, भगवान शिव ने नंदी को पहलगाम में छोड़ने के बाद, चंद्रमा को चंदनवारी में त्याग दिया। यह अमरनाथ यात्रा का दूसरा मुख्य पड़ाव है।
भगवान भोलेनाथ की गर्दन पर सांप लिपटा रहता है, जो साहस, इच्छाओं पर कंट्रोल और मौत से भय नहीं होने का प्रतीक है। शिव जी को संहार कर्ता कहा जाता है। शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने अपने सांपों को शेषनाग झील पर उतार दिया था। यह अमरनाथ यात्रा का तीसरा प्रमुख पड़ाव है। आज भी शेषनाग झील पहाड़ों से घिरी हुई है और बहुत खूबसूरत है।
इसे भी पढ़ें- माता पार्वती के सो जाने के बाद किसने सुनी अमरनाथ गुफा में शिव जी से अमर कथा? जानें यहां
भगवान शिव और माता पार्वती ने अपने छोटे पुत्र गणेश जी को भी छोड़ दिया था। गजानन को बुद्धि, सफलता और हर नई शुरुआत के देवता माना जाता है। शिव पुराण के मुताबिक, भगवान शिव ने अमर कथा सुनाने से पहले अपने पुत्र गणेश को 'महागुणास दर्रा' (Mahagunas Top) पर छोड़ा था। महागणेश टॉप शेषनाग से पंचतरणी के बीच का रास्ता है, जहां बर्फ, कम ऑक्सीजन और मौसम श्रद्धालुओं की आस्था की परीक्षा लेता है।
हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश। जीवन इन्हीं तत्वों से शुरू होता है और मृत्यु के बाद शरीर इन्हीं में विलीन हो जाता है। गुफा की तरफ प्रस्थान करते हुए शिव जी ने अपनी अंतिम सांसारिक पहचान का त्याग कर दिया था। यह स्थान पंचतरणी है , जहां पांच धाराओं का संगम है और अमरनाथ गुफा से ठीक पहले का एक बेहद सुंदर और पवित्र पड़ाव है।
हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
Image Credit - freepik, twitter
Herzindagi video
हमारा उद्देश्य अपने आर्टिकल्स और सोशल मीडिया हैंडल्स के माध्यम से सही, सुरक्षित और विशेषज्ञ द्वारा वेरिफाइड जानकारी प्रदान करना है। यहां बताए गए उपाय, सलाह और बातें केवल सामान्य जानकारी के लिए हैं। किसी भी तरह के हेल्थ, ब्यूटी, लाइफ हैक्स या ज्योतिष से जुड़े सुझावों को आजमाने से पहले कृपया अपने विशेषज्ञ से परामर्श लें। किसी प्रतिक्रिया या शिकायत के लिए, [email protected] पर हमसे संपर्क करें।