आपके बाल आपके व्यक्तित्व में अहम भूमिका निभाते हैं... ये बात तो आप सभी जानते होंगे, पर क्या आप ये जानते हैं कि आपके बाल आपकी सेहत का हाल भी बयां करते हैं? जी हां, आपको बता दें कि किसी व्यक्ति के बालों के टेक्सचर से काफी हद तक उसकी सेहत और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लग सकता है।
दरअसल, बालों का निर्माण और विकास पूरी तरह से आपकी शारीरिक संरचना पर निर्भर करता है। आपकी वर्तमान शारीरिक स्थिति और इसमें होने वाले बदलाव के साथ ही आपके बालों का टेक्सचर निर्धारित होता है। ऐसे में जब कभी आप किसी शारीरिक समस्या का शिकार होते हैं या फिर शरीर में पोषक तत्वों की कमी होती है तो उसका असर आपके बालों में दिखने लगता है। इस तरह से देखा जाए तो बालों में होने वाले बदलाव, शारीरिक समस्याओं का स्पष्ट संकेत देते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं कि कैसे बालों में दिखने वाले आम बदलाव या लक्षण, गंभीर शारीरिक समस्याओं का संकेत हो सकते हैं।
एक्सपट्स की माने तो हर रोज 40 से लेकर 100 की संख्या में बालों का झड़ना सामान्य है, लेकिन इससे अधिक संख्या में बालों का गिरना आपके लिए रेड अलर्ट है कि आप किसी न किसी स्वास्थ्य समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। बता दें कि बालों के झड़ने के लिए एनीमिया, थायरॉयड या एस्ट्रोजन जैसे अन्य हार्मोन्स का असंतुलन के साथ अधिक तनाव लेना भी जिम्मेदार हो सकता है। इनके अलावा शरीर में प्रोटीन और आयरन जैसे पोषक तत्वों की कमी से भी बाल झड़ने की समस्या हो सकती है। वहीं महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद, गर्भनिरोधक गोलियों के सेवन के कारण या मेनोपॉज के दौरान भी बाल तेजी से गिरते हैं।
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बालों में रूखेपन की बड़ी वजह शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होती है। प्रोटीन जहां बालों के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है वहीं बालों के सही विकास के लिए आयरन, जिंक और विटामिन जैसे पोषक तत्व भी जिम्मेदार होते हैं। ऐसे में इनमें से किसी भी पोषक तत्वों की शरीर में कमी के चलते बालों का टेक्सचर खराब हो सकता है। खासकर रूखें बालों की समस्यां इन पोषक तत्वों की कमी के कारण ही देखने को मिलती है।
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समय से पहले सफेद होते बाल, स्पष्ट रूप से शारीरिक समस्याओं का संकेत माने जाते हैं। खासतौर पर समय से पहले सफेद बालों का कारण अत्यधिक तनाव माना जाता है। असल में तनाव की स्थिति में शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का बढ़ जाता है और ये हार्मोन प्रोटेयोग्लाईकैन्स और ह्यालूरोनन जैसे तत्वों के विकास में बाधा बनता है। बता दें कि प्रोटेयोग्लाईकैन्स और ह्यालूरोनन सीधे तौर पर बालों के विकास के लिए सहायक स्किन एल्मेंट्स् होते हैं, ऐसे में तनाव के चलते इनके विकास में उतपन्न गतिरोध बालों की सेहत पर असर डालता है। यही वजह है कि तनाव लेने वाले लोगों में समय से पहले सफेद बालों की समस्या पेश आती है।
बालों में डैंड्रफ की समस्या तो वैसे तो शुष्क मौसम के चलते के कारण देखने को मिलती है। लेकिन इसके लिए ऑयली स्किन की समस्या, तनाव और मोटापा भी कारण बनते हैं। वहीं कई बार डैंड्रफ, एक्जिमा जैसी स्किन समस्याओं का भी परिणाम होते हैं। ऐसे में डैंड्रफ को अनदेखा करना फंगस जैसी गंभीर स्किन समस्याओं का बढ़ावा दे सकता है। इसलिए बालों में डैंड्रफ की समस्या होने पर डर्मेटोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करें।
बालों का अत्यधिक ऑयली होना भी सेहत संबंधी गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। दरअसल, बालों के नियमित साफ-सफाई के बावजूद अगर बाल ऑयली हो रहे हैं तो इसके लिए आपका अनियमित खानपान जिम्मेदार हो सकता है। दरअसल, ऑयली फूड के सेवन से सीबम का उत्पादन बढ़ता है, जिससे आपका स्कैल्प ऑयली होता है। इससे बचने के लिए आपको ऑयली फूड के सेवन से परहेज करना चाहिए और पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित भोजन लेना चाहिए। इसके अलावा मानसिक तनाव भी सीबम का उत्पादन बढ़ाता है, इसलिए तनाव पर नियंत्रण भी जरूरी है।
अगर आपको अपने बालों में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो सबसे पहले इसकी वजह को जानने की कोशिश करें और फिर उस मूल समस्या का उचित उपचार करें। उम्मीद करते हैं कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी, इस लेख के बारे में अपनी राय हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं। जानकारी से भरपूर लेख पढ़ने के लिए जुड़े रहिए आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ।
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