भारत के इतिहास में प्राचीन जगहों के अलावा कई ऐसे दरवाजे भी हैं, जो आज भी हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं जैसे कश्मीरी गेट, काबुली दरवाजा, दिल्ली गेट, इंडिया गेट आदि। दिल्ली के इन नामी दरवाजों का अपना अलग इतिहास रहा है। यह इतिहास दिल्ली में राज करने वाली हर हुकूमत से जुड़ा हुआ है। हालांकि, दिल्ली के अलावा भारत में ऐसे और भी कई दरवाज़े होंगे, जो वक्त के साथ घुलमिल हो चुके होंगे। लेकिन आज हम आपको दिल्ली में स्थित कुछ ऐसे प्राचीन और ऐतिहासिक दरवाजों के बारे में बताते हैं, जिनका महत्व और वास्तुकला आज भी बरकरार है।
इस दरवाजे का नाम आपने यकीनन सुना होगा और शायद देखा भी होगा। इंडिया गेट दिल्ली के सबसे पुराने दरवाजों में से एक है, जो आज भी बरकरार है। इसका पूरा नाम ऑल इंडिया वॉर मेमोरियल है। इस इमारत कानिर्माणप्रथम विश्व युद्ध और तीसरे अंग्रेज-अफगान युद्ध में शहीद हुए तमाम एंग्लो इंडियन आर्मी के जवानों की याद में किया गया था। इतिहास के अनुसार इंडिया गेट का निर्माण लगभग 1921 -33 के बीच हुआ था। इसके लिए यहां 26 जनवरी 1972 में अमर जवान ज्योति का निर्माण भी किया गया था। जहां हर साल 26 जनवरी के दिन जवानों को श्रद्धांजलि भी दी जाती है।
दिल्ली के सबसे प्राचीन और लोकप्रिय दरवाजों में तुर्कमान गेट भी आता है। बेशक अपने दिल्ली की यात्रा के दौरान तुर्कमान गेट का नाम सुना या इसे देखा होगा, क्योंकि यह दरवाजा दिल्ली के रामलीला मैदान के पास स्थित है। कहा जाता है कि इसका निर्माण साल 1650 में किया गया था और इसका नाम सूफी संत तुर्कमान बयाबानी के नाम पर रखा गया था। हालांकि, आज यह अच्छी स्थिति में नहीं है क्योंकि इमरजेंसी के समय इस गेट को काफी नुकसान पहुंचा था।
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कश्मीरी गेट दिल्ली के सबसे लोकप्रिय दरवाजों में से एक है, जो लाल किले या शाहजहानाबाद की सीमा पर बसा हुआ है। इसका निर्माण मुगल बादशाह शाहजहांने करवाया था। बादशाह दिल्ली से कश्मीर जाने के लिए इस दरवाजे का उपयोग करते थे। इसलिए इसका नाम कश्मीरी गेट रखा गया था। लेकिन आज यह मेट्रो (रेड लाइन) और इंटर स्टेट बस टर्मिनल के लिए प्रसिद्ध है।
बहादुरशाह जफर मार्ग पर दिल्ली गेट के पास स्थित इस दरवाजे को कई नामों जैसे लाल दरवाजा, खूनी दरवाजा या काबुली दरवाजा आदि से जाना जाता है। इसका निर्माण मुस्लिम सूर साम्राज्य के संस्थापक शेरशाह सूरी ने करवाया था। इस दरवाजे का निर्माण बादशाह नेफिरोजाबाद के लिए किया गया था क्योंकि उस वक्त अफगानिस्तान से आने वाले तमाम लोग इस दरवाजे से ही गुजारते थे। आज इसे काबुली बाजार के नाम से भी जाना जाता है। (ये हैं भारत के सबसे सस्ते मार्केट!) यह दरवाजा लगभग 15.5 मीटर ऊंचा है और यह दिल्ली के क्वार्टजाइट पत्थर का बना है।
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दिल्ली में इन दरवाजों के अलावा, अजमेरी गेट, अलाई दरवाजा, मोरी गेट भी हैं जो आज भी अस्तित्व में हैं। आपको ये लेख पसंद आया हो इसे लाइक और शेयर जरूर करें। साथ ही जुड़ी रहें हरजिन्दगी के साथ।
Image Credit- (@wikimedia,britannica.com)
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