श्री कृष्णा के बारे में ना जाने कितनी ही चर्चित कहानियां हैं जिन्हें सदियों से सुनाया जाता रहा है। हिंदू धर्म के सभी देवताओं में श्री कृष्ण का स्थान सबसे नटखट, लेकिन सदैव ज्ञान की बातें करने वाले भगवान के रूप में लिया जाता है। महाभारत में श्रीकृष्ण का बहुत ही अहम किरदार रहा है जिन्होंने बिना शस्त्र उठाए ही युद्ध को अंजाम दे दिया था। महाभारत की कई कहानियां हैं जिनमें हर एक व्यक्ति और देव के अपने अलग अनुमान हैं। आपने शायद गौर किया हो कि महाभारत में श्री कृष्ण को अर्जुन माधव कहकर पुकारते थे और द्रौपदी हमेशा गोविंद कहती थीं।
स्टार प्लस पर प्रसारित महाभारत के टीवी सीरियल में भी इस बात का जिक्र किया गया है। श्री कृष्ण का आदर करता हुआ गीत 'गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो' भी बहुत प्रचलित है, लेकिन क्या कभी आपने ये सोचने की कोशिश की है कि श्री कृष्ण का ये नाम यानि गोविंद आखिर कैसे पड़ा?
श्री कृष्ण के इस नाम का जिक्र ब्रह्मपुराण से लेकर महाभारत तक सभी में किया गया है। तो चलिए आज आपको इस नाम का मतलब समझाते हैं और ये बताते हैं कि श्री कृष्ण को गोविंद क्यों कहा जाता है।
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गोविंद नाम के पीछे का असली मतलब
गोविंद का अगर संधि विच्छेद किया जाए तो 'गो' शब्द के तीन अहम अर्थ सामने आते हैं। इसी शब्द के कारण श्री कृष्ण का नाम गोविंद पड़ा था। 'विंद' शब्द का अर्थ है आनंदित करने वाला। ऐसे में ये दोनों शब्द मिलकर तीन अर्थ निकालते हैं।(मूर्तियां घर में रखने के नियम)
गो शब्द का अर्थ है गायों को आनंदित करने वाला
कृष्ण शुरुआत से ही गाय चराने जाते थे और ग्वाले कहलाते थे। श्री कृष्ण से जुड़ी कथाएं बताती हैं कि उनकी बंसुरी की आवाज़ सुनकर सभी ग्वाल बालक और मवेशी आनंदित हो उठते थे। यही कारण है कि इन्हें गोपाल या फिर गोविंद के नाम से भी जाना जाता है। श्री कृष्ण गाय और बछड़ों को अपार सुख देते थे।
गो शब्द का दूसरा अर्थ है इंद्रियों को आनंदित करने वाला
गो शब्द का दूसरा शाब्दिक अर्थ है इंद्रियों को आनंदित करने वाला। इसलिए गोविंद नाम से श्री कृष्ण को पुकारा जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण की आवाज़, बंसुरी की मधुर तान और उनका ज्ञान सुनकर सब मंत्रमुग्ध हो जाते थे। श्री कृष्ण की शरण में जो जाता था वो 24 घंटे अपनी सभी इंद्रियों से सुख भोग सकता है। ये सारी बातें कहानियों में कही जाती हैं और इसलिए कृष्ण को गोविंद कहा जाता है।
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गो शब्द का तीसरा अर्थ है धरती को आनंदित करने वाला
गो शब्द का तीसरा अर्थ है धरती और अपने कूर्म अवतार में नारायण ने मंथरा पर्वत को अपनी पीठ में संरक्षित किया था। वराह के रूप में उन्होंने असुरों से भूमि देवी को बचाया था और धरती को उन्होंने आनंदित किया था। इसलिए भी कृष्ण को गोविंद कहा जाता है।
महाभारत की कथा बताती है कि जब द्रौपदी का चीर हरण होना था तब उन्होंने गोविंद नाम लेकर ही कृष्ण को पुकारा था। उस समय श्लोक कहा गया था, 'गोविंद पुंडरीकाक्षा, रक्षा सारंनागतम'। गोविंद का नाम इसलिए ही इतना प्रसिद्ध है। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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Image Credit: Wallpaper cave/ Starplus/Krishna wallpapers
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