भारत में एक बहुत ही प्रचलित कहावत है, कोस-कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणी। अर्थात भारत में हर एक कोस में पानी का स्वाद बदल जाता और चार कोस जाने पर भाषा या बोली बदल जाती है। इसलिए इतनी विविधता के बाद भी देश में एकता है और इसलिए इसे विविधता का देश कहा जाता है। ये तो रही भारत की विविधता की बात, लेकिन हमारे देश में इसके अलावा और भी बहुत कुछ है, जो काफी रोचक है और लोग इसे जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। ऐसे में आज हम आपको देश के उस शहर के बारे में बात करेंगे, जिसे भारत का खुशियों का शहर कहा जाता है। इस शहर का वास्तविक नाम कुछ और है, खुशियों का शहर उसका निकनेम है। भारत के इस खुशियों के शहर का यह नाम क्यों और कैसे पड़ा चलिए जानते हैं।
भारत के अलग-अलग राज्य और शहर अपनी-अपनी खासियत के लिए जाने जाते हैं। भारत में जहां पिंक सिटी, झीलों का शहर और सन सिटी जैसे कुछ प्रसिद्ध शहर हैं, जो इन निक नेम से मशहूर हैं। वहीं एक ऐसा भी शहर है, जिसे खुशियों का शहर कहा जाता है। कोलकाता शहर की खूबसूरती और यहां की विरासत के बारे में कई सारी पुस्तकों में बताया गया है। Dominique Lapierre नामक एक मशहूर लेखक ने कोलकाता शहर के ऊपर एक नोवल लिखी है और उन्होंने अपने नोवल का नाम सिटी ऑफ जॉय रखा था। इसके अलावा इस नोवल के आधार पर 1992 में एक फिल्म बनी थी। इस फिल्म में नब्बे के दशक के मशहूर अभिनेता ओम पुरी, शबाना आजमी और पैड्रिक वेज ने लीड रोल प्ले किया था।
आखिर क्यों कोलकाता को कहा जाता है खुशियों का शहर?
कोलकाता को सिटी ऑफ जॉय कहने के पीछे यहां की संस्कृति, कला, इतिहास, साहित्य, खान-पान, पर्व और त्योहारों को लेकर लोगों का उत्साह है। कोलकाता कीदुर्गा पूजादेश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है। इस त्योहार का हिस्सा बनने और इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। मां दुर्गा की पूजा को लेकर कोलकाता वासियों में बहुत उत्साह, खुशी और जोश देखने को मिलता है। त्योहार और पर्वों को लेकर यहि उत्साह और जोश इस शहर को खुशियों का शहर बनाता है।
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क्या है कोलकाता शहर का इतिहास?
कोलकाता शहर के इतिहास के बारे में बात करें, तो इससे पहले कलकत्ता के नाम से जाना जाता था। इस शहर का विकास ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था और 1911 तक यह ब्रिटिश सरकार की राजधानी रही थी। ब्रिटिश शासन के पहले तक बंगाल या कोलकातामें बंगाल सल्तनत का शासन चलता था।
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