हिंदू धर्म में होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होलिका दहन के दिन लोग लकड़ियों और उपलों का ढेर बनाते हैं और उसे जलाते हैं। लोग होलिका की पूजा करते हैं और भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेते हैं।
होलिका दहन के अगले दिन रंगों का त्योहार होली मनाई जाती है। आपको बता दें, कई घर-परिवार में लोग नई फसल की फली जलाते हैं। अब ऐसे में इस दिन नई फसल की फली जलाने का महत्व क्या है। इसके बारे में इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद त्रिपाठी से विस्तार से जानते हैं।
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। नई फसल की फलियों को अग्नि में डालकर, लोग नकारात्मकता को दूर करने और सकारात्मकता का स्वागत करने की प्रार्थना करते हैं। होलिका दहन के समय नई फसल की बालियां, जैसे कि गेहूं और चने की फलियां, अग्नि में डाली जाती हैं। यह आने वाली फसल के लिए अच्छी पैदावार की कामना का प्रतीक है। इतना ही नहीं, ऐसा माना जाता है की होली की आग में गर्म करके गन्ने को खाने से कई बीमारियां खत्म होती हैं और गन्ने को गर्म करके खाने पर घर में सुख-शांति और तन के सारे रोग दूर होते हैं। इसलिए होलिाका दहन के दिन नई फसल की फली जलाने की परंपरा है।
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Image Credit- HerZindagi
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