Eid Special 2024: ईद की नमाज मस्जिद और ईदगाह दोनों जगह अदा की जा सकती है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि ईद की नमाज मस्जिद में नहीं बल्कि ईदगाह में ही अदा करना होता है। चुकी ईदगाह शब्द भारतीय मूल का है। यह आमतौर पर एक पब्लिक प्लेस के तौर पर ही होता है, जिसका इस्तेमाल साल किसी समय में प्रार्थनाओं के लिए नहीं किया जाता। ईदगाह में नमाज पढ़ने की शुरुआत मोहम्मद साहब के जमाने से हुई थी।
ईदगाह में नमाज पढ़ने की ये वजहें बताई जाती हैं
एक शहर में कई मस्जिदें होती हैं, लेकिन ईदगाह एक या दो ही होती है। यहां सभी लोग एक साथ नमाज पढ़ने आते हैं और एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं। माना जाता है इससे आपसी मोहब्बत और भाईचारा बढ़ती है। ईद की नमाज सुबह (फज्र के बाद) अदा की जाती है। मुस्लिम समुदाय के लोग एक साथ जमाअत यानी मंडली में नमाज अदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
ईद की नमाज मस्जिद के बजाय ईदगाह में अदा करने के कई कारण हैं
इसका ऐतिहासिक पहलू ये माना जाता है कि इस्लाम के आखिरी और सबसे खास पैगंबर मुहम्मद ने ईद की नमाज मस्जिद के बजाय खुले मैदान में अदा की थी। यह परंपरा उनके समय से ही चली आ रही है।
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ईद की नमाज से जुड़ी कुछ सुन्नतें
हदीस के मुताबिक, पैगंबर मोहम्मद घर से ईदगाह तक हमेशा पैदल जाया करते थे। इसलिए, इसे मोहम्मद साहब की सुन्नत माना जाता है। आपको बता दें कि सुन्नत एक अरबी शब्द है, जिसका मतलब है 'परंपरा' या 'तरीका' इस्लाम में, सुन्नत का मतलब है पैगंबर मुहम्मद की परंपराएं और प्रथाएं। सुन्नत, इस्लामी समुदाय के पारंपरिक सामाजिक और कानूनी रीति-रिवाज और अभ्यास का हिस्सा है। कुरान और हदीस के साथ, यह शरीयत या इस्लामी कानून का एक खास साधन है।
- ईद की नमाज से पहले स्नान करना यानी गुस्ल करना भी सुन्नत है।
- नमाज के बाद खजूर खाकर दिन की शुरुआत करना भी सुन्नत है।
- ईद की नमाज के लिए ईदगाह जाते समय रास्ते में सामान्य तकबीर कहते हुए जाना।
- अच्छे से अच्छा कपड़ा पहनना और अच्छी खुशबू लगाना।
- ईद की नमाज के बाद इमाम के लिए खुतबा देना और नमाजियों को इसे सुनना सुन्नत होता है।
- ईद की नमाज सूरज निकलने के बाद शुरू होती है।

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मस्जिद और ईदगाह में ये अंतर है
- मस्जिद में रोज पांच वक्त नमाज पढ़ी जाती है। वहीं, ईदगाह में सिर्फ ईद और ईद अल-अजहा की नमाज पढ़ी जाती है।
- मस्जिद में नमाज के लिए आमतौर पर एक बड़ा कमरा या हॉल होता है। वहीं, ईदगाह आम तौर पर एक खुलि जगह होती है, इसका इस्तेमाल साल भर में एक या दो बार किया जाता है।
- मस्जिद और ईदगाह में आमतौर पर मेहराब और मिम्बर होते हैं। मेहराब वह जगह है, जहां इमाम नमाज पढ़ाते हैं और मिम्बर पर इमाम खुतबा देते हैं।
- ईदगाह एक खुली जगह होती है, जहां अक्सर लोग किसी धार्मिक समारोह, जैसे जलसा के दौरान इकट्ठा होते हैं।
- वहीं, मस्जिद और ईदगाह में एक समानता यह है कि दोनों इमारत का मेहराब मक्का की दिशा यानी भारत में पश्चिम दिशा में नमाज पढ़ी जाती है।
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