Unknown Facts: आखिर क्यों और किस वजह से काले कपड़े से ढक दिया गया था ताजमहल?

क्या आप जानते हैं एक समय ऐसा आया था जब ताजमहल को काले कपड़े से ढक दिया गया था? अगर नहीं, तो आइए यहां जानते हैं कि आखिर क्यों और किस वजह से सरकार को ताजमहल को ढकना पड़ा था।
Unknown Facts of Taj Mahal

मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया था। यही वजह है कि ताजमहल को प्यार की निशानी भी कहा जाता है। सूरज की रोशनी से लेकर चांद तक, सफेद संगमरमर की यह इमारत हर रोशनी में बेहद खूबसूरत लगती है। ताजमहल का दीदार करने के लिए हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। लेकिन, आज हम यहां ताजमहल की खूबसूरती नहीं, बल्कि ऐसे फैक्ट्स के बारे में बात करने जा रहे हैं जिनके बारे में बहुत कम लोगों को पता है। जी हां, इन्हीं में से एक फैक्ट है, जब ताजमहल को भारत सरकार ने काले रंग के कपड़े से ढक दिया था।

ताजमहल को कब काले कपड़े से ढका गया था?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1965 में भारत और पाकिस्तान के युद्ध के दौरान ताजमहल को काले कपड़े से ढक दिया गया था। माना जाता है कि इस दौरान पाकिस्तान ताजमहल पर बम गिराना चाहता था और इसे ध्वस्त करना चाहता था।

युद्ध में बचाने के लिए काले कपड़े से ढक दिया गया था ताजमहल!

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मीडिया रिपोर्ट्स और आगरा के कई लोगों के मुताबिक, जब 1965 में भारत-पाकिस्तान का युद्ध हुआ था, तब पाकिस्तान की तरफ से आगरा में करीब 16 बम गिराए थे, जिनमें से कई भारतीय एयरफोर्स परिसर में गिरे और कई पास के खेतों में गिरे थे। रिपोर्ट्स की मानें तो उस समय भारतीय सरकार ने पूरे देश में ब्लैकआउट घोषित कर दिया था।

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ब्लैक आउट के बावजूद सफेद संगमरमर की इमारत ताजमहल रात के समय चमक रहा था। भारत सरकार ने तब सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ताजमहल के गुंबद और उसकी चारों मीनारों को काले कपड़े से ढकने का फैसला लिया था। रिपोर्ट्स की मानें तो ताजमहल को काले कपड़े से ढका गया था और उसके फर्श को पेड़ों की पत्तियों और घास से कवर किया गया था। इसके पीछे सरकार की रणनीति थी कि अगर हवाई हमला होता है, तो ताजमहल को किसी तरह का नुकसान न हो।

ताजमहल से जुड़े अन्य फैक्ट्स

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ताजमहल का निर्माण साल 1632 में शुरू हुआ था और यह साल 1953 में पूरा हुआ था। उस समय इसके निर्माण में लगभग 32 करोड़ रुपये की लागत आई थी।

ताजमहल के तहखाने के रास्ते साल 1970 से पहले खुले थे और पर्यटक भी वहां आ-जा सकते थे। लेकिन, अब इन्हें बंद कर दिया गया है। इतिहासकार ईबा कोच ने अपनी किताब द कंप्लीट ताजमहल एंड रिवरफ्रंट गार्डंस ऑफ आगरा में किले से नाव में बैठकर ताज पहुंचने का जिक्र किया है। ऐसा माना जाता है कि मुगल बादशाह शाहजहां भी ताजमहल में इसी रास्ते से जाता था।

ताजमहल के गुंबद के चारों तरफ बनी मीनारों के झुके होने के पीछे भी खास वजह है। ऐसी मान्यता है कि ताजमहल की मीनारों को इस तरह से बनाया गया है कि अगर भूकंप आता है, तो वह मुख्य गुंबद पर न गिरें।

पब्लिक डोमेन में मौजूद जानकारी के मुताबिक, शाहजहां ताजमहल के सामने एक काले पत्थर की इमारत बनाना चाहता था और उसमें अपनी कब्र बनवाने की ख्वाहिश रखता था। इस काले पत्थर की इमारत का निर्माण भी उसने शुरू करवा दिया था। लेकिन, तब औरंगजेब ने शाहजहां को कैद कर लिया था।

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अलग मौसम में ताजमहल का अलग-अलग रंग दिखाई देता है। सूरज जब उगता है, तब उस समय इसकी चमक गुलाबी रंग की होती है। तेज धूप में ताजमहल सफेद रंग का दिखाई देता है और चांदनी रात में इसकी चमक सुनहरी हो जाती है। यही वजह है कि पूर्णिमा की रात पर ताजमहल को देखने के लिए देश नहीं, विदेश से भी लोग आते हैं।

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Image Credit: Freepik

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