ताजमहल के पीछे छुपा है ऐतिहासिक बत्तीस खंबा, मुगल काल में था लाइट टावर

अगर आप आगरा सिर्फ किला या महल देखने के लिए जाते हैं, तो अब ऐसा न करें और इस बार ऐतिहासिक 32 खंबा देखकर जरूर आएं। यकीनन आपकी ट्रिप न सिर्फ यादगार बन जाएगी, बल्कि आपको मजा भी आ जाएगा। 
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आगरा एक ऐसा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक शहर है, जो भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है। यह शहर ताजमहल की वजह से दुनियाभर में फेमस है। यह शहर भारतीय इतिहास के कई महत्वपूर्ण घटनाओं का गवाह रहा है और मुगल काल का खास केंद्र भी रहा है। मगर क्या आपको पता है कि आगरा में कुछ बेहतरीन ऐतिहासिक स्थल हैं, जो आज भी मुगल कालीन सभ्यता के लिए जाने जाते हैं।

इसी लिस्ट में से एक बत्तीस खंबा इमारत भी है। यह इमारत ताजमहल के पीछे स्थित है, जो एक ऐतिहासिक है। कहा जाता है इसे बनाने के लिए मुगलकालीन संरचना का इस्तेमाल किया गया था। अगर आपने अभी तक इस इमारत को नहीं देखा है, तो एक बार जरूर देखें। यकीनन आपका ट्रिप यादगार बन जाएगा, जिसे आप बार-बार देखना पसंद करेंगे। तो आइए इस लेख में इस खंबा के बारे में विस्तार से जानें-

बत्तीस खंबा का परिचय

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बत्तीस खंबा एक ऐतिहासिक और वास्तुशिल्प धरोहर है, जो भारत के क्षेत्रों में पाए जाने वाले प्राचीन स्मारकों में से एक है। इसका नाम बत्तीस खंबा इस संरचना में इस्तेमाल किए गए 32 खंभों से पड़ा है। यह स्थल अपने धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

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कहा जाता है कि यह खुला प्रांगण एक सभा स्थल और धार्मिक स्थलों के लिए उपयोग किया जाता था। इसे ख्वाजासरा बुलंद खान ने बनवाया था, जो मुगल साम्राज्य में एक प्रभावशाली दरबारी थे।

ख्वाजासरा बुलंद खान के बार में जानें

अब सवाल यह है कि ख्वाजासरा हैं कौन? तो बता दें ख्वाजासरा बुलंद खान मुगल साम्राज्य में एक जरूरी व्यक्तित्व थे। ख्वाजासरा जो शाही हरम और दरबार के प्रमुख कार्यों को संभालते थे, उस वक्त प्रशासन और शाही मामलों में जरूरी भूमिका निभाते थे।

बुलंद खान अपनी निष्ठा, कुशलता और प्रशासनिक क्षमता के लिए जाने जाते थे। बत्तीस खंबा उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं का प्रतीक है।

कैसी है वास्तुकला और डिजाइन?

History of Battis Khamba

बत्तीस खंबा की वास्तुकला मुगल काल का एक बेहतरीन उदाहरण है। इसकी संरचना रेड सैंड स्टोन व लाखौरी ईंटों से बनाई गई है, जो इस वक्त काफी महंगी तकनीक है। यह छतरी ख्वाजासरा बुलंद खान के बागका ही हिस्सा थी। इसलिए यह बुलंद खान जहांगीर के दरबार में लगभग साल 1606-23 तक रहा था।

अगर इसकी वास्तुकला की बात करें, तो यह एक पांच मंजिल इमारत है। मगर इस इमारत के 32 खंबे हैं, जो न सिर्फ खूबसूरत है बल्कि एक ऐतिहासिक भी है। इस इमारत की दीवारों पर फूल- पत्तियों को डिजाइन किया गया है। इसलिए जब भी आप आगरा जाएं, तो इस इमारत को जरूर एक्सप्लोर करें।

मुगलों का लाइट टावर था

आपको सुनकर थोड़ी हैरानी हो सकती है, लेकिन यह सच है कि यह उस दौर का लाइट टावरथा। उस दौर में दिल्ली से प्रयागराज तक यमुना व्यापार का जरिया हुआ करती थी। इसलिए तमाम व्यापार करने वाले यात्री इसी मार्ग से सफर किया करते थे।

कई बार सफर करते वक्त रात हो जाती थी। तब ऐसे वक्त में बत्तीस खंबा का इस्तेमाल लाइट चलानेके लिए किया जाता था। यहां पास में ही नूरजहां की सराय थी, जहां व्यापारी रहा करते थे। तभी से यह टावर लाइट टावर के नाम से भी जाना जाने लगा।

बत्तीस खंबा है ख्वाजासरा बुलंद खान का प्रतीक

बत्तीस खंबा न सिर्फ अपनी वास्तुकला, बल्कि ख्वाजासरा बुलंद खान की याद भी दिलाता है। यह स्मारक सामाजिक और सांस्कृतिक भूमिका का प्रतीक भी है। यह संरचना उस समय ख्वाजासरों की महत्ता को दर्शाती है, जब वे न सिर्फ शाही हरम का प्रबंधन करते थे, बल्कि शाही परिवार के विश्वासपात्र और सलाहकार भी थे।

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मिल गया एएसआई का संरक्षण

Khwajasara Buland Khan

शुरुआत से कई साल इस स्मारक का कोई संरक्षण नहीं मिला था। इसलिए आसानी से यहां पर असामाजिक तत्वों का डेरा लगा रहता था। लोगों ने इस स्मारक को खराब कर दिया, लेकिन इसके ऐतिहासिक महत्व को देखते हुए एएसआई ने संरक्षण दिया।साथ ही, स्मारक की चारदीवारी करते हुए ग्रिल लगवाई, ताकि लोगों को यहां आने से रोका जा सके।

बत्तीस खंबा का इतिहास काफी रोचक रहा है। हालांकि यहां पर बहुत कम लोग आते हैं, लेकिन हम आपसे कहेंगे जब भी आप जाएं तो इस जगह को जरूर एक्सप्लोर करें। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।

Image Credit- (@citytales instagram)

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