शादी होल लाइफ का बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला होता है। क्योंकि इसके बाद पूरी लाइफ चेंज है। इसलिए बहुत जरुरी है कि ये फैसला लेने से पहले अपने होने वाले पार्टनर से कुछ बातें ज़रूर पता कर लें ताकि मैरिज के बाद आप दोनों के बीच इन बातों को लेकर झगड़े ना हो। बेहतर होगा कि मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब पहले ख़ुद से मांगें और फिर खुले दिल से पार्टनर के साथ डिसकस करें और तभी अपनी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग करें।
शादी के बाद जीवन की एक नई शुरुआत होती है। भले ही अपना करियर बना लिया हो, आत्मनिर्भर हो गई हों, पर विवाह से पहले, उनके मन में फ्यूचर फाइनेंशियल प्लानिंग को लेकर कई तरह के सवाल लड़के और लड़की के मन में होते हैं। बेहतर होगा कि मन में उठ रहे हर सवाल का जवाब पहले ख़ुद से मांगें और फिर खुले दिल से पार्टनर के साथ डिसकस करें और तभी अपनी फ़ाइनेंशियल प्लानिंग करें। आइए जानते हैं, शादी से पहले मन में उठने वाले फ़ाइनेंशियल लाइफ़ से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के बारे में।
नेशनल सर्वे ऑफ़ फैमिलीज़ एंड हाउसहोल्ड द्वारा 4500 परिवारों में सर्वे करने के बाद यह पता चला है की अधिकतर तलाकों का कारण पैसों से सम्बन्धित समस्याएं होती हैं तो इनका समाधान शुरुआत में करना बेहतर होता है। जिससे आगे भविष्य सुखी बन सके। जो भी जोड़े अपने रिश्ते की शुरुआत कर रहे हैं उनको अपनी सैलरी, बचत और उधार के बारे में दूसरे को बताना चाहिये।
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अगर पहली वाली बातचीत के दौरान आपको यह एहसास होता है की पैसों को लेकर आप सही दिशा में नही जा रहे हैं तो आप कुछ महीनो के लिए एक दूसरे के पैसों का हिसाब रख सकते हैं। एक दूसरे के खर्चों को देखें और समझे की पैसे कहाँ कहाँ खर्च हो रहे हैं। यह समझे की कहाँ से पैसे आ रहे हैं और कहाँ खर्च हो रहे हैं और उसके बाद एक दूसरे से सलाह करें कि किस पर खर्च करना अनावश्यक है। आपकी कौन सी ज़रूरत उस खर्चे से पूरी हो रही है। यह सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन अगर कोई ऐसा खर्चा है जो एक जोड़े के रूप में आप दोनों को कोई फायदा ना दे रहा हो उसे आपको छोड़ना होगा।
पूरे जीवन में हम सबकी ज़रूरतें बदलती रहती हैं और यह हर साल होता है, तो अपनी ज़रूरतों का हिसाब रखना ज़रूरी होता है। हो सकता है आपको अपने क्रेडिट कार्ड का बिल भरना हो या नई गाड़ी खरीदनी हो या कॉलेज के लिए पैसे मंगवाने हो। या बाहर छुट्टियां मनाने के लिए पैसे बचाना चाहते हो। तो यह बहुत ज़रूरी है की आप दोनों साथ बैठकर अपने गोल्स पर काम करें।
चाहे आप अपने रिश्ते के किसी भी स्टेज पर क्यों ना हो यह सवाल बहुत मज़ेदार हो सकता है। आप अपने साथी से पूछ सकते हैं की बचपन में उनके लिए पैसे क्या मायने रखते थे और उनके लिए वे कितने ज़रूरी थे। हो सकता है आपके साथी एक ऐसे परिवार में प्ले बड़े हो जहाँ पैसों को लेकर हमेशा चिंता रहती थी, या उनकी माँ को हमेशा पैसे खर्चने की आदत हो, या उनके दादाजी को पैसे छुपाकर रखने की आदत हो। हर व्यक्ति के जीवन में पैसों को लेकर कोई ना कोई ऐसी कहानी होती है जिसका उनपर सकारात्मक या नकारात्मक असर पड़ा हो। यह सब जानने से आपको अपने साथी को समझने में आसानी होगी।
हर रिश्ते में जिस प्रकार सम्बन्ध और पैसों के विषय पर चर्चा करना महत्वपूर्ण होता है उसी प्रकार अपने सभी शर्मिंदगी भरे फैसलों के बारे में चर्चा करना भी ज़रूरी होता है। चाहे आपके क्रेडिट कार्ड का बिल बहुत अधिक हो या उनकी पैसों की बचत ना की हो, हर व्यक्ति के जीवन में पैसों से सम्बन्धित कोई ना कोई परेशानी अवश्य होती है। इन सभी समस्यों को खत्म करने के लिए आपको एक-दूसरे के साथ इस विषय पर प्रेम से बातचीत करनी चाहिये।
जब तक आप दोनों का काम, काम करने का समय और सैलरी एक जैसी नही होगी तब तक किसी एक व्यक्ति को घर के खर्चों में अधिक पैसे देने ही पड़ेंगे। इसलिए एक-दूसरे से बात करके देखें कि आप मिल बांटकर घर चलाने के फैसले से कितना सहमत हैं। क्या कुछ फिक्स्ड खर्चों के लिए आप एक अकाउंट बनाने से सहमत है या नही। क्या आप इस बात से खुश हैं कि आपका साथी अपनी सैलरी में से कुछ पैसे बाद के लिए सेव करके रखे। यह महत्वपूर्ण नही होता की कौन किस चीज़ के लिए कितने पैसे दे रहा है, ज़रूरी होता है की हर जोड़े को एक-दूसरे के पैसों से सम्बन्धित सभी बातें पता हो। पैसों को बांटने के बहुत से तरीके होते हैं और अगर आप सही तरीके से एक-दूसरे से बात करें तो यह बहुत आसान हो जायेगा और आपको एक-दूसरे की चीजों की खबर भी रहेगी।
शादी के बाद लोग फैमिली प्लानिंग के बारे में बात करने लगते हैं इसलिए पहले फैमिली प्लानिंग के बारे में अपने पार्टनर के विचार जरूरी करें। शादी की बात आगे बढ़ने से पहले ही इस बारे में पूछ ले कि वह शादी के बाद कब और कितने बच्चे चाहते हैं, या फिर प्लानिंग करनी है। इस तरह के सवाल से आपको पता चल जाएगा कि बेबी के लिए अभी टाइम हैं और फिर आप दोनों बेबी के लिए सेविंग भी कर पाएंगे।
शादी से पहले सबसे ज़्यादा जो सवाल परेशान करता है, वह यह कि शादी के बाद दोनों ही अपना अलग-अलग सेविंग अकाउंट खोलें या ज्वॉइंट अकाउंट रखेंगे। इसमें सबसे बड़ा फ़ायदा यह होता है कि यदि कभी अचानक पैसे की ज़रूरत पड़ जाए और दोनों में से एक व्यक्ति बाहर गया हो, तो दूसरे के साइन से पैसे निकाले जा सकते हैं और काम नहीं रुकता है यदि आप कामकाजी हैं, तो सैलरी का कुछ हिस्सा उसमें जमा कर सकती हैं, पर यदि हाउसवाइफ़ हैं, तो घर ख़र्च से की गई कुछ बचत उसमें जमा कर सकती हैं और ज़रूरत के वक़्त निकाल सकती हैं।
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इंश्योरेंस के बारे में एक दूसरे से पूछ लें क्योंकि अक्सर देखने में आता हैं कि पति के लाइफ़ इंश्योरेंस को अधिक महत्व दिया जाता है, पर पत्नी का नहीं। ऐसा ना हो इसके लिए जरुरी है कि उसकी ज़िंदगी को सुरक्षित बनाए और एक सही इंश्योरेंस पॉलिसी ले। ताकि उसकी ज़िंदगी सुरक्षित हो।
बातचीत करके इस बारे में पता करें हेल्थ पॉलिसी है कि नहीं। अगर नहीं है तो दोनों लोग हेल्थ व मेडिक्लेम पॉलिसी लें ताकि मेटरनिटी और मेडिकल संबंधी ख़र्च आसानी से कवर हो जाएं।
शादी के बाद काफ़ी वक़्त तो घूमने-फिरने, मौज-मस्ती में निकल जाता है इसलिएनॉमिनीवाली बात कर लें। इन बातों में देर न करें। ऑफ़िस के प्रॉविडेंट फंड, बैंक अकाउंट्स और अन्य इनवेस्टमेंट वाली जगहों पर, जहां पहले आपने परिवार के किसी अन्य सदस्य को नॉमिनी बनाया है, उपयुक्त जगहों पर बदलकर पार्टनर का नाम डलवा दें।
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