अगर नहीं है बच्चे की जल्दी और आपसे जब पूछा जाए, कब दे रही हो गुड न्यूज तो आप क्या जवाब देंगी?

अगर आपको बच्चों की जल्दी नहीं है और आप फैमिली प्लानिंग के बारे में हर तरफ से उठ रहे सवालों से बहुत ज्यादा परेशानी हो रही है तो इन सवालों के सही तरीके से जवाब देना सीखें।

 
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भारत में दो चीजों के बारे में सबसे ज्यादा बात की जाती है शादी और फैमिली प्लानिंग। घर-परिवार वाले और दोस्त शादी वाले जोक्स खूब सुनाते हैं और एक बार शादी हो जाए तो हर कोई फैमिली प्लानिंग के बारे में पूछता रहता है। शादी के कुछ महीने बाद महिलाओं से उनके मायके से लेकर इन-लॉज तक सभी इस बात के लिए चिंतित रहते हैं कि वह खुशखबरी कब सुना रही है। फैमिली प्लानिंग के बारे में हर कोई इतनी दिलचस्पी लेता है कि जैसे यह सबसे जरूरी काम है और टॉप प्रायोरिटी पर होना चाहिए। होममेकर्स को उनके मायके से इस बारे में और भी ज्यादा टिप्स और सलाह मिलती है कि वे जल्द से जल्द अपने फैमिली गोल्स पूरे करें।

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देरी से फैमिली प्लानिंग के लिए पहले खुद कन्विंस होना जरूरी

लेकिन आज के दौर में करियर ओरियंडेट महिलाओं के लिए सिर्फ फैमिली प्लानिंग ही नहीं अपना करियर भी महत्वपूर्ण है। यही नहीं, पढ़ी-लिखी और विचारवान महिलाएं शादी के बाद अपने पति के साथ पूरी तरह से क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करती हैं। लेकिन शादी के 6-7 महीने गुजर जाएं तो महिला के मम्मी-पापा से लेकर सास-ससुर तक उससे इशारों-इशारों में प्रेगनेंसी के बारे में पूछने लगते हैं। जो महिलाएं फैमिली प्लानिंग में इतनी हड़बड़ी नहीं दिखाना चाहतीं या जो अपनी मैरिड लाइफ का शुरुआती समय अपने करियर को देना चाहती हैं, ऐसी महिलाओं के लिए अपने घरवालों को फैमिली प्लानिंग के लिए कन्विंस करने में परेशानी महसूस होती है। अगर आप भी ऐसी ही स्थितियों से गुजर रही हैं तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है।

संजीदा तरीके से दें जवाब

रिलेशनशिप कोच पंकज दीक्षित कहते हैं, 'मुमकिन है कि आप अपने करियर या हेल्थ के बारे में सोच रही हों या फिर अपने पति के साथ एंजॉय करना चाहें, किसी भी वजह से आप अगर फैमिली प्लानिंग के लिए समय चाहती हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। अगर खुद में कन्विंस हैं तो आपके लिए दूसरों को समझाना आसान हो जाता है कि अभी आपके पास इसके लिए पर्याप्त समय है। जब आप खुद इस बात के लिए मानसिक तौर पर तैयार हों तो दूसरों को कॉन्फिडेंस में लेने में दिक्कत नहीं होती। माता-पिता की कुदरती इच्छा होती है कि उन्हें अपने-नाती-पोते के साथ खेलने का मौका मिले, इसमें बुरा मानने की जरूरत नहीं है। इस बात से आपको शिकायत नहीं होनी चाहिए कि वे आपसे इस बारे में क्यों पूछ रहे हैं। आप अपनी बातचीत से उन्हें स्पष्ट कर सकती हैं कि आप उनकी बातें बखूबी समझती हैं।'

पंकज दीक्षित आगे बताते हैं, 'बातचीत में बजाय मैनेज करने या टैक्टफुल होने के ईमानदारी से अपना पक्ष रखें। इसमें आप अपने पति का सहयोग भी लें। हो सकता है कि आपके मम्मी-पापा या सास-ससुर सांकेतिक तरीके से आपसे इस बारे में पूछें। हो सकता है कि वे आपसे फैमिली प्लानिंग में देरी के पक्ष से राजी ना हों, लेकिन आप अपनी बात रखें। साफ-साफ कहने में हर्ज नहीं है, लेकिन रुखे तरीके से ना कहें। वे बहुत खुशी से आपकी बात स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन धीरे-धीरे एक्सेप्ट कर लेंगे। दोस्तों और रिलेटिविस के लिए फैमिली प्लानिंग कैजुअल टॉक होता है, उन्हें आप हंसी-मजाक में भी टाल सकते हैं, क्योंकि इसमें उनकी कोई खास दिलचस्पी नहीं होती। अगर आपने घर के लोगों को विश्वास में ले रखा है तो बाकी लोगों के लिए तनाव लेने की जरूरत नहीं है।

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