क्यों पार्लियामेंट में स्पीच या डिबेट देते वक्त खड़े होते हैं मिनिस्टर्स? जानें और क्या-क्या हैं सांसद के रिवाज

आपने अक्सर देखा होगा कि जब भी कोई मंत्री संसद में किसी बहस में भाग लेता है, तो वह खड़े होकर ही अपनी बात रखता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्यों होता है?
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भारतीय संसद केवल कानून बनाने का मंच नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जीवंत अभिव्यक्ति भी है, जहां हर बहस, हर तर्क और हर निर्णय का गहरा प्रभाव पड़ता है। आपने कभी गौर किया होगा कि जब कोई मंत्री सदन में बोलता है, तो वह हमेशा खड़े होकर ही अपनी बात रखता है। यह महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक परंपरा है जो संसदीय गरिमा, जवाबदेही और लोकतांत्रिक आदर्शों को दर्शाती है।

संसद में खड़े होकर भाषण देना सिर्फ सम्मान व्यक्त करने का तरीका नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए भी होता है कि हर सांसद स्पष्ट रूप से मंत्री की बात सुन सके। यह परंपरा ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित है, जो भारतीय लोकतंत्र की नींव में गहराई से जुड़ी हुई है।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि संसद में और भी कई दिलचस्प परंपराएं और नियम हैं, जो इसकी कार्यप्रणाली को अनोखा बनाते हैं? प्रश्नकाल से लेकर वॉइस वोट तक, हर प्रक्रिया का एक विशेष उद्देश्य होता है। तो आइए, जानते हैं कि मंत्री संसद में खड़े होकर ही क्यों बोलते हैं और संसद से जुड़े अन्य रोचक रिवाज कौन-कौन से हैं!

मंत्री संसद में खड़े होकर ही क्यों बोलते हैं?

why do members of parliament stand

1. पार्लियामेंट्री डेकोरम का पालन

भारतीय संसद में बहस और चर्चा के दौरान एक निश्चित डेकोरम (शिष्टाचार) बनाए रखना अनिवार्य होता है। जब कोई मंत्री किसी विषय पर अपना पक्ष रखता है या किसी सवाल का जवाब देता है, तो वह खड़े होकर बोलता है। यह सम्मान और औपचारिकता को दर्शाने के लिए किया जाता है।

2. सदन के प्रति सम्मान

लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रमुख स्तंभ हैं। जब मंत्री खड़े होकर बोलते हैं, तो यह सदन के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है। यह परंपरा ब्रिटिश संसद से ली गई है, जहां भी मंत्री और सांसद खड़े होकर ही अपना पक्ष रखते हैं।

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3. सबको स्पष्ट रूप से सुनाई दे

संसद में बहस के दौरान कई बार हंगामा और शोर-शराबा होता है। जब कोई मंत्री खड़े होकर बोलता है, तो उसकी आवाज सभी सांसदों तक आसानी से पहुंचती है और लोग उसे गंभीरता से सुनते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि उसकी बात को ठीक से सुना और समझा जा सके।

4. जवाबदेही और जिम्मेदारी का प्रतीक

मंत्रियों का खड़े होकर जवाब देना उनकी जवाबदेही और जिम्मेदारी का प्रतीक है। संसद में जब किसी मंत्री से सवाल पूछा जाता है, तो उसे खड़े होकर जवाब देना होता है ताकि वह सभी सांसदों के प्रति जवाबदेह बना रहे।

5. ऐतिहासिक परंपरा और नियमों का पालन

संसद के नियम और प्रक्रियाएं ब्रिटिश संसदीय प्रणाली से प्रेरित हैं, जहां यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। ब्रिटिश संसद में भी, कोई भी व्यक्ति जब अपने विचार प्रस्तुत करता है, तो उसे खड़े होकर ही बोलना पड़ता है। यही नियम भारतीय संसद में भी लागू किया गया है।

संसद से जुड़े अन्य रोचक रिवाज और परंपराएं-

parliament traditions

संसद में सिर्फ खड़े होकर भाषण देना ही नहीं, बल्कि और भी कई रोचक रिवाज और परंपराएं हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं। आइए जानते हैं संसद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण और दिलचस्प रिवाजों के बारे में-

1. ‘सर्वसम्मति’ से फैसले लेना

संसद में कई बार ऐसे विधेयक या प्रस्ताव आते हैं, जिनपर कोई मतभेद नहीं होता। ऐसे मामलों में वोटिंग की जरूरत नहीं होती और यह सर्वसम्मति से पास हो जाते हैं। इसे 'वॉइस वोट' (Voice Vote) कहा जाता है, जिसमें 'हां' या 'ना' कहकर फैसला लिया जाता है।

2. प्रश्नकाल (Question Hour) की अनिवार्यता

संसद के हर सत्र की शुरुआत प्रश्नकाल (Question Hour) से होती है, जिसमें सांसद सरकार से सीधे सवाल पूछ सकते हैं। सरकार को इन सवालों के जवाब देना जरूरी होता है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे।

3. जीरो आवर (Zero Hour)

प्रश्नकाल के बाद 'जीरो आवर' शुरू होता है, जो दोपहर 12 बजे से शुरू होता है। इसमें सांसद बिना किसी पूर्व सूचना के सरकार से सवाल पूछ सकते हैं और किसी भी जरूरी मुद्दे पर चर्चा कर सकते हैं।

4. सांसदों का कोड ऑफ कंडक्ट

सांसदों के लिए संसद में एक निश्चित कोड ऑफ कंडक्ट (आचार संहिता) होता है, जिसका पालन करना जरूरी है। यदि कोई सांसद इसे तोड़ता है, तो उसे सदन से निलंबित किया जा सकता है।

5. ‘स्पीकर’ और ‘चेयरमैन’ का विशेष सम्मान

लोकसभा में स्पीकर और राज्यसभा में चेयरमैन (जो कि उपराष्ट्रपति होते हैं) का विशेष सम्मान होता है। जब भी कोई सदस्य स्पीकर या चेयरमैन से बात करता है, तो उसे ‘माननीय अध्यक्ष महोदय’ कहकर संबोधित करना होता है।

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6. सांसदों को वेल (Well) में आने से रोकना

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कई बार सांसद विरोध करने के लिए संसद के केंद्र में आकर हंगामा करने लगते हैं, जिसे वेल (Well) में आना कहा जाता है। यह नियमों के खिलाफ है और ऐसा करने पर सांसदों को सदन से बाहर कर दिया जाता है।


भारतीय संसद सिर्फ कानून बनाने की जगह नहीं, बल्कि यह लोकतंत्र की मजबूत नींव है। इसमें हर नियम और परंपरा का एक विशेष महत्व है। हमें उम्मीद है कि ये जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। इस लेख को लाइक करें और अपने साथियों के साथ शेयर करना न भूलें। ऐसे ही लेख पढ़ने के लिए जुड़़े रहें हरजंदगी के साथ।

Image Credit: Google

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