दिल्ली शहर को आप कितना सुरक्षित मानती हैं? ये सवाल उन लोगों के लिए भी है जो दिल्ली में रहते हैं और उन लोगों के लिए भी जो यहां नहीं रहते और बस न्यूज आदि में इसकी बात सुनते रहते हैं। चलिए शुरुआत में ही अपनी सोच का दायरा बढ़ा लेते हैं और दिल्ली-एनसीआर को जोड़ लेते हैं। यहां की सड़कें कितनी सुरक्षित मानी जाती हैं? चलिए सड़कों पर अपराध को भी परे कर दीजिए। हम सिर्फ बात करते हैं रोड एक्सीडेंट की.. अब बताएं क्या अब आपको दिल्ली की सड़कें सुरक्षित लगती हैं?
31 दिसंबर की रात दिल्ली में एक ऐसा एक्सीडेंट हुआ जिसने लोगों को यहां की सड़कों की सुरक्षा के बारे में सोचने के लिए मजबूर कर दिया। सवाल वही है कि क्या दिल्ली सुरक्षित है?
मैं दिल्ली-एनसीआर में पिछले 6 साल से रह रही हूं। यहां स्कूटी भी ड्राइव करती हूं और अपने ऑफिस रोजाना आती-जाती हूं। मैं खुद यहां सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं। यहां मुझे सड़क पर पैदल चलने और स्कूटी चलाने दोनों में डर लगता है। दिल्ली की सड़कों को किलर रोड्स कहा जाता है और उसका कारण ये है कि यहां एक्सीडेंट बहुत ज्यादा होते हैं। अगर एक्सप्रेस वे और हाईवे को छोड़ दिया जाए तो भी दिल्ली की सड़कें सुरक्षित नहीं हैं।
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ये दिल्ली है मेरे यार। यहां सड़कों पर अपना दिल और दिमाग दोनों लेकर चलना पड़ता है। 2001 में आई Delhi Road Crash Fatalities Report ने इसकी सच्चाई बताई। दिल्ली में साल भर में 1199 एक्सीडेंट हुए थे जिसमें 1238 लोगों की मौत हुई थी। इसके हिसाब से एवरेज निकालें तो हर रोज़ चार लोग इसके कारण मारे जाते हैं। ये रिपोर्ट दिल्ली ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट की है और इसमें अगर पूरे दिल्ली एनसीआर का डेटा जोड़ दिया जाए तो ये आंकड़ा 10 तक पहुंच जाता है।
अब ये सोचने वाली बात है कि इतने एक्सीडेंट्स के बाद भी यहां की सड़कों को सुरक्षित का टैग क्यों दिया जाता है।
दिल्ली भारत के उन शहरों में से एक है जहां पर रोड रेज के मामले बहुत ज्यादा होते हैं। जब भी कोई घटना होती है तो अग्रेसिव ड्राइविंग, स्पीड, अल्कोहल, स्ट्रेस आदि को ब्लेम किया जाता है।
मयूर विहार के पास कुछ समय पहले दो महिला पत्रकारों को इसलिए पीटा गया था क्योंकि उन्होंने रैश ड्राइविंग करने वाले ट्रक ड्राइवर के खिलाफ आवाज उठाई थी। 2015 में दिल्ली के दरिया गंज इलाके में शाहनवाज नामक ये मोटरसाइकल वाले तो पांच लोगों ने जान से मार दिया था। शाहनवाज अपने दो बेटों के साथ बाइक पर वापस आ रहे थे और उन्हें कार ने टक्कर मार दी थी। विरोध करने पर उनकी जान ले ली गई।
दिल्ली में ऐसे रोड रेज के मामले भी बहुत होते हैं। "जानते हो किससे बहस कर रहे हो' वाली मेंटेलिटी को लेकर लोग यहां सड़कों पर चलते हैं।
एक्सीडेंट होने पर अगर विरोध किया जाए तो हाथा-पाई और उठा पटक तक बात पहुंच जाती है।
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ब्लू लाइन बसें याद हैं आपको? वही जिन्हें किलर ऑन व्हील्स कहा जाता था। लो फ्लोर वाली बसों के आने से पहले इन ब्लू लाइन बसों ने जितनी जानें ली हैं उसका लेखा-जोखा ठीक ठाक नहीं दिया जा सकता है। आपको शायद इसके बारे में जानकारी ना हो, लेकिन 2022 में आई एक रिपोर्ट बताती है कि पिछले तीन सालों में सिर्फ दिल्ली बसों से 76 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा ऐसे एक्सीडेंट्स पर 100 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं।
ऐसे ही लग्जरी कारों से घायल होने वालों की संख्या का आंकड़ा भी बहुत ज्यादा होगा। आए दिन दिल्ली की सड़कों पर किसी ना किसी के रोड एक्सीडेंट की बात सुनने मिलती है। दिल्ली के बारे में ये कहा जाता है कि गाड़ी के नीचे आने से अच्छा है कि गाड़ी के ऊपर चढ़ जाएं।
आपके हिसाब से दिल्ली की सड़कों का हाल कैसा है? हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। अगर आपको ये स्टोरी अच्छी लगी है तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
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