आखिर क्यों अपने ही बेटे के हाथों मारे गए थे अर्जुन  

आज हम आपको महाभारत के उस किस्से के बारे में बताने जा रहे हैं जब अर्जुन के अपने पुत्र ने ही उनका वध कर दिया था।  

arjun killed by his own son

Why Arjun Killed By His Own Son: जब भी महाभारत की बात आती है तो अर्जुन का नाम जरूर मुंह पर आता है। ऐसा हो भी क्यों न, इस युद्ध में अर्जुन जैसा कोई धनुर्धर था भी तो नहीं। महाभारत ग्रंथ में अर्जुन के बारे में बहुत कुछ बताया गया है। जिसमें अर्जुन के जन्म से लेकर उनकी मृत्यु तक का संपूर्ण वर्णन मिलता है।

यूं तो प्रचलित मान्यता के अनुसार, अर्जुन की मृत्यु स्वर्ग की यात्रा के दौरान हुई थी लेकिन इसके अलावा एक और कथा है जिससे अर्जुन की दो बार मृत्यु का पता चलता है। हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स ने हमें इस विषय में बेहद ही दिलचस्प और हैरान कर देने वाली जानकारी दी।

हमारे एक्सपर्ट ने हमें बताया कि स्वर्ग के यात्रा के दौरान जब अर्जुन की मृत्यु हुई थी तब वह उनकी अंतिम यात्रा थी लेकिन इससे पहले भी एक बार अर्जुन को उनके अपने ही पुत्र ने मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि तब श्री कृष्ण की कृपा से अर्जुन पुनः जीवित हो गए थे।

  • पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद श्री कृष्ण (श्री कृष्ण की मृत्यु का रहस्य) और महर्षि वेदव्यास जी के कहने पर पाडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया और उसके घोड़े को समूचे भारतवर्ष में भ्रमण के लिए छोड़ दिया। यज्ञ के घोड़े की रक्षा का दायित्व अर्जुन को सौंपा गया।
  • घोड़ा जहां-जहां जाता उसके पीछे-पीछे अर्जुन भी जाते। विभिन्न देशों के राजाओं को अपने आधीन करने के बाद अर्जुन मणिपुर पहुंचे। मणिपुर में अर्जुन की पत्नी चित्रांगदा और उनका पुत्र बब्रुवाहन रहते थे। बब्रुवाहन मणिपुर का राजा था। अपने पिता की आने की खबर से बब्रुवाहन बहुत खुश था और उसने अपने पिता का स्वागत भी किया।
arjun death
  • बब्रुवाहन पिता के साथ कुछ समय बिता सके इसलिए उन्होंने अर्जुन के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोक दिया और पूरे सम्मान के साथ उसकी देखभाल करने का सोचा। चूंकि अर्जुन अश्वमेध यज्ञ की परंपरा से बंधे थे इसलिए उन्होंने अपने पुत्र को अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को रोकने की गलती पर युद्ध की चुनौती दे डाली।
shri krishna and arjun
  • अर्जुन अपनी परंपरा से बंधे थे और बब्रुवाहन योद्धा होने के कारण चुनौती अस्वीकार नहीं का सकते थे। लिहाजा दोनों में भयंकर युद्ध हुआ और दिव्य शक्तियों से पूर्ण बब्रुवाहन ने अर्जुन को न सिर्फ युद्ध में परास्त कर दिया बल्कि उसके हाथों अर्जुन की मृत्यु ही हो गई।
  • जब अर्जुन (अर्जुन को क्यों बनना पडा था स्त्री) की मृत्यु का चित्रांगदा को पता चला तो उन्होंने अपने पुत्र के साथ मिलकर श्री कृष्ण का आवाहन किया और अर्जुन को पुनर्जीवित करने की प्रार्थना की। श्री कृष्ण अन्तर्यामी हैं। वह तुरंत मणिपुर में उस स्थान पर प्रकट हुए जहां अर्जुन मृत्य पड़े थे और अपनी दिव्य शक्तियों से अर्जुन को दोबारा जीवित कर दिया। इस तरह अर्जुन अपने ही पुत्र के हाथों मरकर भी लौट आए थे।

तो ये थी अर्जुन के अपनी ही पुत्र के हाथों मारे जाने के पीछे की रोचक कथा। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

Image Credit: Pinterest

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