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कौन था कीचक जिसको भीम ने महाभारत युद्ध से पहले दे दी थी भयंकर मौत

आज हम आपको महाभारत के उस पात्र के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका वध युद्ध से पहले ही हो गया था।  
Editorial
Updated:- 2023-01-11, 11:56 IST

Mahabharat Katha: हम हर बार आपके लिए महाभारत से जुड़ी रोचक कथाएं और रहस्यमयी पात्रों के बारे में जानकारी ले कर आते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको हमारे ज्योतिष एक्सपर्ट डॉ राधाकांत वत्स द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर महाभारत के दिलचस्प और क्रूर पात्र कीचक के बारे में बताने जा रहे हैं। यह एक ऐसा पात्र था जिसके वध महाभारत युद्ध से पहले ही हो गया था और वो भी भीम के हाथों। आइये जानते हैं ये किस्सा।

  • महाभारत (महाभारत का पाठ क्यों नहीं करना चाहिए) ग्रंथ के अनुसार, जब पांडव 12 वर्ष का वनवास भुगतने के लिए मजबूर हो गए थे तब वन-वन भटकने के बाद उन्हें मत्स्य नरेश विराट की राजधानी में छिपने का मौका मिल गया था।

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  • वहां पांडवों ने भेस बदलकर रहना शुरू कर दिया। जहां एक ओर युधिष्ठिर मत्स्य नरेश विराट के सलाहकार बने तो वहीं, भीम रसोई का कार्यभर संभालने लगे, द्रौपदी राजा विराट की पत्नी की सेविका बन गयी।
  • सहदेव को पशुओं की देखभाल का काम मिला तो नकुल अश्वपाल का काम देखने लगे और अर्जुन बृहन्नला बनकर राजा विराट की पुत्री उत्तरा को नृत्य और संगीत का प्रशिक्षण देने लगे।

kichak in mahabharata

  • राजा विराट स्वभाव के जितने अच्छे थे उतने ही बुरे थे उनके साले कीचक। कीचक की द्रौपदी पर कुदृष्टि थी। पहले तो कीचक ने द्रौपदी को बातों से फुसलाने की कोशिश की लेकिन बाद में वह अभद्रता पर उतर आया।
  • द्रौपदी के सम्मान पर वार कने की कोशिश कीचक को भारी पड़ गयी। द्रौपदी ने भीम को अपने अपमान की बात बताई तो भीम ने कीचक के वध का पूरा षड्यंत्र रचा। इस खेल में अर्जुन (अपने ही पुत्र के हाथों क्यों मारे गए थे अर्जुन) ने भी भीम का साथ दिया।

kichaka in mahabharat

  • अगले दिन भीम के कहने पर द्रौपदी कीचक को महल के ऐसे स्थान पर ले आई जहां बहुत ही कम किसी का आना जाना था। वहां भीम पहले से ही उसकी राह देख रहे थे।

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  • जैसे ही कीचक ने कक्ष में प्रवेश किया अर्जुन ने जोर-जोर से मृदंग बजाना शुरू कर दिया जिसके बाद कीचक और भीम के बीच युद्ध छिड़ गया और मृदंग की ध्वनि के कारण लड़ने की आवाज बाहर नहीं जा पाई।
  • भीम ने कीचक का वध कर द्रौपदी के अपमान का बदला लिया। इसी प्रकरण के बाद राजा विराट के सामने पांडवों की असली पहचान सामने आ गई थी पर उन्होंने पांडवों का साथ दिया।

तो ये था कीचक का वध महाभारत युद्ध से पहले होने के पीछे का कारण। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी हो तो इसे फेसबुक पर जरूर शेयर करें और इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। आपका इस बारे में क्या ख्याल है? हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।

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