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रावण ने श्री राम को अपने कौन से 4 सपने बताए थे?

आज हम आपको लंकापति रावण के उन सपनों के बारे में बताएंगे जिन्हें खुद राक्षस राज ने मरते समय श्री राम से साझा किया था। माना जाता है कि रावण अगर अपने इन सपनों को पूरा कर लेता तो साइंस और ज्योतिष की परिभाषा ही बदल जाती।
Editorial
Updated:- 2025-02-05, 15:30 IST

रामायण काल का जिक्र आते ही मन में श्री राम की छवि और रावण के दुराचार की घटनाएं याद आने लगती हैं। यूं तो रावण से जुडी कई ऐसी कहानियां जिनके बारे में ज्यादातर लोग जानते हैं लेकिन आज हम आपको लंकापति रावण के उन सपनों के बारे में बताएंगे जिन्हें खुद राक्षस राज ने मरते समय श्री राम से साझा किया था। ऐसा माना जाता है कि अगर रावण की आयु थोड़ी और लंबी होती तो रावण अपने भौतिक विज्ञान से उन सपनों को पूरा कर साइंस की परिभाषा ही बदल देता और साथ ही, ज्योतिष में भी एक नया एवं आधुनिक बदलाव आ जाता। तो चलिए ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स से आइये जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

रावण का सपना था सोने में सुगंध पैदा करना

ravan ke kaun kaun se sapne the

रावण के पास सोने की लंका थी। दिखने में सोने की लंका बहुत आकर्षक थी लेकिन रावण को अपनी उस लंका में कमी नजर आती थी। रावण का मानना था कि अगर सोने में सुगंध होती तो लंका सिर्फ दिखने में ही आकर्षक नहीं लगती है बल्कि हर कोई इसकी सुगंध से इसकी तरफ खिंचा चला आता। रावण ने विज्ञान के आधार पर सोने में सुगंध पैदा करने का संकल्प तक लिया था, लेकिन मृत्यु हो जाने के कारण यह स्वप्न अधूरा रह गया।

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रावण का सपना था समुद्र के पानी को मीठा करना

समुद्र के किनारे बसी लंका में राक्षस प्रजाति को पानी के लिए मनुष्यों के बीच या फिर देवताओं के स्थान पर जाना पड़ता था। रावण का सपना था कि वह समुद्र के पानी को मीठा बना दे ताकि किसी भी लंका वासी को कभी भी पानी की कमी न हो। यहां तक कि पृथ्वी पर भी किसी को पानी के लिए भविष्य में परेशान न होना पड़े, मगर ये सपना भी लंकापति का अधूरा रह गया। ऐसा कहते हैं कि पानी को मीठा बनाने की प्रक्रिया रावण को पता थी।

ravan ke kitne sapne the

रावण का सपना था पिता के सामने पुत्र की मृत्यु न होना

रावण का तीसरा सपना था कि कभी किसी भी पिता के सामने उसके पुत्र की मृत्यु न हो। असल में रामायण युद्ध के दौरान मेघनाद और युद्ध से पहले हनुमान जी के हाथों उसके पुत्र अक्षय की मृत्यु हो गई। इस दुख ने रावण को अंदर तक झंझोड़ दिया था। कहा जाता है कि इसी के बाद रावण ने यह वचन दिया भगवान शिव को कि अगर वो इस युद्ध में जीवित बच गया तो ऐसी ज्योतिष गणना से ग्रहों की स्थिति का संचार करेगा जिससे पुत्र पिता से पहले न मरे।

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रावण का सपना था धरती से स्वर्ग तक सीढ़ियां बनाना

ravan ke sapno ke bare mein

रावण का तीसरा सपना था धरती से स्वर्ग तक की सीढ़ियां बनाना ताकि स्वर्ग जाने के लिए किसी को मृत्यु का इंतजार न करना पड़े, व्यक्ति जीवित ही स्वर्ग जा सके। ऐसा रामायण में एक छंद के रूप में लिखित है कि श्री राम और शिव जी जानते थे कि अगर रावण जीवित रहा तो वो निश्चित ही इन चारों सपनों को पूरा कर देगा और ज्योतिष एवं विज्ञान की परिभाषा ही बदल जाएगी। इसी कारण से श्री राम ने मात्र 84 दिनों में ही इतने बड़े युद्ध का अंत कर दिया था।

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