उफ्फ जा रहे हैं माह-ए-रमजान दिलों को पाक करके, लेकिन दुआ है कि अगले रमजान यूं ही हमें नसीब हों। अब वक्त आ रही गया रमजान को अलविदा कहने का क्योंकि अब अपने आखिरी पड़ाव पर है। देखते ही देखते जुम्मा-उल-विदा आ ही गया, जो बहुत ही मुबारक दिन है। जब सभी लोग अल्लाह से रोकर अपने रोजे, नमाज और इबादत को कुबूल करने की दुआ मांगते हैं।
वैसे ही इस्लाम धर्म में जुम्मे को बहुत ही अहमियत दी गई है। जुम्मे के दिन में से एक घड़ी कबूलियत की होती है, जिसमें अल्लाह हर दुआ को कबूल करता है। यह दिन तब और खास बन जाता है, जब महीना रमजान का हो। रमजान के आखिरी शुक्रवार यानी जुम्मा को खास प्रार्थनाओं, इबादतों और कुरान की तिलावत के साथ मनाया जाता है।
मुस्लिम लोग मस्जिदों में एक साथ इकट्ठा होकर जुम्मे की नमाज अदा करते हैं, अल्लाह से माफी मांगते हैं और रमजान के दौरान की गई इबादत के कबूलियत की दुआ मांगते हैं। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं कि इस बार का अलविदा-जुमा कब है और इसे खास क्यों माना जाता है।
कब है रमजान का अलविदा जुमा?
इस बार दिल्ली में रमजान का आखिरी जुमा 28 मार्च 2025 को होगा। इसकी नमाज दोपहर 12:33 बजे शुरू होगी और फिर जुहर की नमाज 1:30 से 2:00 बजे के बीच होगी। ध्यान दें कि लगभग शहरों और मस्जिदों में यह समय अलग-अलग हो सकता है।
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अलविदा जुमा किसे कहते हैं?
अलविदा जुमा जिसे जुमात-उल-विदा भी कहा जाता है। यह रमजान महीने का आखिरी जुमा होता है। यह दिन इस्लाम में बेहद अहम माना जाता है, क्योंकि यह रमजान के आखिरी जुम्मे की नमाज होती है और इसे खास रहमतों और बरकतों से भरा हुआ माना जाता है।
क्या है जुमा का मतलब?
जुमा अरबी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है इकट्ठा होना या एक तरह की सभा। इस्लाम में शुक्रवार को जुमा कहा जाता है, क्योंकि इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग सामूहिक रूप से मस्जिद में इकट्ठा होकर खास नमाज अदा करते हैं।
क्यों खास माना जाता है जुमा-उल-विदा?
यह आखिरी शुक्रवार होता है, इसलिए लोग इसकी एहमियत को जानते हैं। यह दिन हमें बताता है कि ऐ मुसलमान, रमजान का महीना जा रहा है। अगर कुछ बचा है, तो मांग लो क्योंकि यह मुबारक महीना जा रहा है।
इसलिए यह दिन बहुत ही खास और बरकतों वाला दिन माना जाता है। यह रमजान के पवित्र महीने की अलविदा नमाज होती है। इसमें दौरान लोग खुदा से तौबा करते हैं, मगफिरत की दुआ मांगते हैं और अगले रमजान की उम्मीद करते हैं।
जुमा उल विदा का महत्व
- यह रमजान का आखिरी शुक्रवार होता है, जो अल्लाह की रहमतों से भरपूर माना जाता है।
- इस दिन किए गए सजदे और मांगी गई दुआओं से पिछले गुनाहों की माफी की उम्मीद होती है।
- यह दिन गरीबों और जरूरतमंद की मदद करने का सबसे अच्छा अवसर माना जाता है।
- यह रातें भी खास होती हैं, क्योंकि इन्हीं दिनों में शब-ए-कद्र छुपी होती है, जिसे 1000 महीनों से बेहतर बताया गया है।
- यह रमजान की विदाई का दिन होता है, इसलिए हर मुसलमान दुआ करता है कि अल्लाह उसे अगले साल फिर रमजान का बरकत भरा महीना नसीब करे।
कैसे मनाते हैं जुमा-उल-विदा?
वैसे तो कुरान में इसका कोई खास तरीका नहीं बताया गया है, लेकिन कुछ सुन्नतें हैं जिसे फॉलो किया जा सकता है।
- सुबह अच्छी तरह नहा धोकर साफ और अच्छे कपड़े पहनें, क्योंकि हमें अल्लाह के आगे झुकना होता है।
- मस्जिद में जाकर जुमा की खास नमाज अदा की जाती है। आप भी वक्त पर जाएं और नमाज अदा करें।
- कुरान की तिलावत करें और अल्लाह से अपनों के लिए दुआ मांगें और इबादत करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को सदका और जकात दें। उनके घर जाकर हाल पूछें और उनकी दुआएं लें।
अलविदा जुमा की खास दुआ
اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنَّا
हिंदी में मतलब समझें
ऐ अल्लाह! तू बहुत माफ करने वाला है, माफ करने को पसंद करता है, हमें भी माफ कर दे।
कैसे मांगे दुआ?
या अल्लाह! रमजान की रहमतों और बरकतों से हमारे दिलों को रोशन कर दे। हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे और हमें नेक रास्ते पर चलने की तौफीक़ दे। हमें अगले साल फिर से रमजान की नेमतें और अलविदा जुमा की यह सआदत नसीब करना। हमारे घरों में खुशहाली, दिलों में सुकून और दुनिया में अमन-ओ-सलामती बख्श दे... आमीन।
अलविदा जुमा मुबारक! अल्लाह हम सबकी दुआएं कबूल करे। अगर हमारी स्टोरी से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के ऊपर दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़े रहें हरजिंदगी से।
Image Credit- (@freepik and shutterstock)
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