तलाक के बाद पत्नी के क्या-क्या अधिकार होते हैं? तलाक के बाद आप कब मेंटेनेंस के लिए मांग कर सकती हैं? आखिर किन कारणों से पति के लिए मेंटेनेंस देना जरूरी हो जाता है? भारत में अब तलाक के मायने बदल रहे हैं और इसे अब परिवारों में एक्सेप्ट किया जाने लगा है, लेकिन अभी भी तलाक को लेकर जानकारी लोगों को नहीं है। कई जरूरी कानून जो आपके हक में साबित हो सकते हैं उनके बारे में जानकारी लेना सही है।
सबसे कॉमन गलतफहमी होती है मेंटेनेंस को लेकर। पत्नी कब मेंटेनेंस का अधिकार मांग सकती है, क्या मेंटेनेंस लिव इन पार्टनर को भी मिलती है? क्या पति अपनी पत्नी से मेंटेनेंस का अधिकार मांग सकता है?
हमने इस बारे में जानने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट रवि एस गुप्ता से बात की। उन्होंने तलाक के बाद पत्नी को मेंटेनेंस मिलने के कानून के बारे में विस्तार से बताया।
हिंदू मैरिज एक्ट 1955 के सेक्शन 24 के तहत पति या पत्नी दोनों ही मेंटेनेंस को लेकर केस फाइल कर सकते हैं। मेंटेनेंस कब तक और कितनी मिलनी है इसका फैसला कोर्ट कई पैमानों को देखकर करता है। उदाहरण के तौर पर पति/पत्नी कितना कमाते हैं, बच्चों की कस्टडी किसके पास है, क्या घरेलू हिंसा की गई है? जैसे कई सवालों को कोर्ट में पूछा जाता है। इसके अलावा, पिछले तीन साल की कमाई का ब्यौरा लिया जाता है जिसके आधार पर मेंटेनेंस की रकम डिसाइड होती है।
इसे जरूर पढ़ें- ये लोग नहीं मांग सकते आधार कार्ड की जानकारी, सिर्फ कुछ जगहों पर ही है जरूरी
घरेलू हिंसा के मामले में भी मिल सकता है मुआवजा
एडवोकेट रवि के मुताबिक डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के सेक्शन 20 में यह बताया गया है कि कोर्ट महिला को हिंसा के आधार पर आर्थिक मदद देने का फैसला सुना सकता है। ऐसे मामले जहां घरेलू हिंसा के कारण महिला का किसी तरह का खर्च हुआ हो उन सभी में मॉनिटरी रिलीफ दी जा सकती है।
क्या मेंटेनेंस का अमाउंट बढ़ सकता है?
CRPC (Code of Criminal Procedure) के तहत कोर्ट मेंटेनेंस ग्रांट करता है। इसका सेक्शन 127 यह कहता है कि आप हालात में बदलाव के आधार पर मेंटेनेंस को कम या ज्यादा करवाया जा सकता है।
क्या पति के जॉबलेस होने पर मेंटेनेंस का केस लगेगा?
अगर पति की जॉब नहीं है, तो भी कोर्ट की तरफ से मेंटेनेंस का जजमेंट दिया जा सकता है। ऐसे मामलों में पति की एजुकेशन के आधार पर यह किया जा सकता है। मेंटेनेंस का केस जब फाइल होता है, तो कोर्ट आखिर के तीन सालों पर
हाल ही में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने एक केस के स्टेटमेंट में कहा है कि एक प्रोफेशनल भिखारी की भी कानूनी और सामाजिक ड्यूटी होती है। जिसके कारण उसे पत्नी को मेंटेनेंस देने का अधिकार होता है।
क्या लिव इन पार्टनर को होता है मेंटेनेंस का अधिकार?
एडवोकेट रवि का कहना है कि सेक्शन 125 CRPC के तहत मेंटेनेंस देना पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे माना है कि गर्लफ्रेंड को पत्नी की तरह ही अधिकार होते हैं।
गर्लफ्रेंड आपसे डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के सेक्शन 12 के तहत मेंटेनेंस का अधिकार मांग सकती है, लेकिन उसे अपने साथ हुई घरेलू हिंसा का विवरण देना होगा। लिव इन में मेंटेनेंस का अधिकार सिर्फ कुछ ही मामलों में दिया जाता है।
क्या पत्नी को मिल सकती है अंतरिम मेंटेनेंस?
भले ही पत्नी अपनी मर्जी से घर छोड़कर गई है, तो भी कोर्ट उसे अंतरिम मेंटेनेंस दे सकता है। शुरुआत में तो कोर्ट मेंटेनेंस ग्रांट कर देता है, लेकिन इसके बाद सबूतों के आधार पर देखा जाता है कि अंतरिम मेंटेनेंस आगे बढ़ेगा या नहीं, लेकिन इसके लिए आपको कोर्ट में प्रूफ करना होगा कि पत्नी ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा है।
इसे जरूर पढ़ें- Haqse: क्या फिजिकल रिलेशन ना बनाना भी मानसिक प्रताड़ना है, जानें क्या कहता है कानून
अगर पत्नी या पति को नहीं देना चाहते मेंटेनेंस तो?
कोर्ट पत्नी या पति दोनों को कोर्ट मेंटेनेंस का अधिकार दे सकती है। हालांकि, अगर आप पार्टनर को पैसे नहीं देना चाहते हैं, तो आपको इसके लिए जरूरी ग्राउंड्स देखने होंगे। आपके केस के आधार पर वकील आपको सजेस्ट कर सकता है कि किन ग्राउंड्स पर मेंटेनेंस की मनाही हो सकती है।
अगर हमारी स्टोरीज से जुड़े आपके कुछ सवाल हैं, तो आप हमें आर्टिकल के नीचे दिए कमेंट बॉक्स में बताएं। हम आप तक सही जानकारी पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे। अगर आपको यह स्टोरी अच्छी लगी है, तो इसे शेयर जरूर करें। ऐसी ही अन्य स्टोरी पढ़ने के लिए जुड़ी रहें हरजिंदगी से।
HerZindagi ऐप के साथ पाएं हेल्थ, फिटनेस और ब्यूटी से जुड़ी हर जानकारी, सीधे आपके फोन पर! आज ही डाउनलोड करें और बनाएं अपनी जिंदगी को और बेहतर!
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों