यह कहानी दिल दहला देने वाली है, और इसे बताते हुए हम पीड़िता की पहचान को गुप्त रखेंगे, ताकि उसके और उसके परिवार के सम्मान को बनाए रखा जा सके। कोलकाता में हुई एक महिला डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। यह घटना इतनी क्रूर और दर्दनाक है कि लोगों में गुस्सा और रोष की लहर दौड़ गई। वहीं, दूसरी ओर देश भर के सरकारी अस्पतालों में इस घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को फिर से सामने लाकर खड़ा कर दिया है।
मेडिकल कॉलेजों के साथ-साथ पब्लिक प्लेस पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की मांग पर जोर दिया जा रहा है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने इस मामले में कुछ लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें आरोपी डॉक्टर भी शामिल थे। स्थानीय पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और कुछ संदिग्धों को हिरासत में भी ले लिया है।

भारत में हर रोज औसतन 87 रेप की घटनाएं होती हैं दर्ज
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में भारत में रेप के मामलों में बढ़ोत्तरी देखी गई है। ये आंकड़े देश में महिलाओं की सुरक्षा की हालात पर चिंताजनक तस्वीर पेश करते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में प्रतिदिन औसतन 87 रेप की घटनाएं होती हैं।
क्या है कोलकाता रेप एंड मर्डर केस
यह घटना कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल मेडिकल कॉलेज की है, जहां एक महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार का मामला सामने आया है। 9 अगस्त, शुक्रवार सुबह महिला डॉक्टर की लाश सेमिनार हॉल में मिली थी। घटना के बाद पुलिस ने इसे हत्या का मामला माना था और अस्पताल प्रशासन ने सुसाइड करार दिया था, लेकिन पीड़िता के परिवार के जोर देने पर बलात्कार की धाराएं भी जोड़ी गईं।
कोलकाता रेप एंड मर्डर केस के अहम पहलू
पुलिस के मुताबिक, महिला डॉक्टर की हत्या और बलात्कार की यह घटना रात तीन से सुबह छह बजे के बीच हुई है। घटनास्थल से ऐसे सबूत मिले हैं, जो संकेत देते हैं कि पहले महिला डॉक्टर की हत्या की गई और फिर बलात्कार किया गया। पुलिस ने घटना के बाद एक असिस्टेंट पुलिस अधिकारी को लापरवाही के लिए हटा दिया है। अस्पताल प्रशासन ने भी ड्यूटी में लापरवाही के लिए दो सुरक्षाकर्मियों को उनके पद से हटा दिया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट पीड़िता के परिजनों को सौंप दी गई है। पुलिस कमिश्नर विनीत गोयल ने घटना स्थल का दौरा किया और प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से मुलाकात की।
परिजनों ने मीडिया से बातचीत में क्या कहा?
पीड़िता के पिता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनकी बेटी कभी वापस नहीं आएगी, लेकिन कम से कम जांच सही तरीके से होनी चाहिए। परिवार का अस्पताल प्रशासन पर भी आरोप है कि अस्पताल पहुंचने पर वहां तीन घंटे खड़े रखा गया और शव देखने तक नहीं दिया। परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लीपापोती का आरोप लगाया है। तीन घंटे बाद उन्हें सेमिनार हॉल में ले जाया गया, जहां पिता ने अपनी बेटी की तस्वीर अपने मोबाइल फोन में खींची।
परिजनों का कहना है कि उन्हें शुरू में मृतक का शव नहीं दिखाया गया और जब दिखाया गया तो मृतक के शरीर पर कई चोटों के निशान थे। पिता ने जब तस्वीर दिखाई, तो पीड़िता के चेहरे पर खून था। उसकी आंखों से खून बह रहा था, जिसे उसके चश्मे को बुरी तरह से कुचले जाने के कारण चोटें आई थीं। पीड़िता के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं था। उसके पैर 90 डिग्री के एंगल पर मिले, जो यह दर्शाता है कि उसके साथ बेहद अमानवीय तरीके से हत्या और रेप किया गया था। उसके पैरों की हालत और पेल्विक गर्डल के टूटने से यह साफ होता है कि क्रूरता और बर्बरता से घटना को अंजाम दिया गया है।गला घोंटकर पीड़िता की हत्या की गई है।
एक से ज्यादा लोगों के शामिल होने की है संभावना
कोलकाता की महिला डॉक्टर की हत्या और रेप के मामले में चौंकाने वाला खुलासा भी हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक महिला डॉक्टर के शरीर में कई चोटों के निशान पाए गए हैं। डॉक्टर सुबर्नो गोस्वामी ने बताया कि महिला डॉक्टर के प्राइवेट पार्ट से 151 ग्राम सीमेन मिला है, जिससे सामूहिक दुष्कर्म का संकेत मिलता है।
डॉक्टर गोस्वामी ने कहा कि इतनी मात्रा में सीमेन सिर्फ एक से ज्यादा लोगों के शामिल होने पर ही संभव है। इस केस के मुख्य आरोपी की पहचान संजय रॉय के तौर पर की गई, जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इस मामले में अब तक क्यों सेमिनार हॉल नहीं हुआ सील, जहां महिला डॉक्टर की हत्या और रेप किया गया, जिसमें अस्पताल प्रशासन सबूत मिटाने की कोशिश में है। डॉक्टरों के प्रोटेस्ट में यही सवाल उठा रहे हैं।
कोलकाता रेप एंड मर्डर केस में होगी सीबीआई जांच
कोलकाता हाई कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर की कथित तौर पर बलात्कार के बाद हत्या के मामले की जांच 13 अगस्त, मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपने का आदेश दिया है। इसके साथ ही राज्य सरकार से सवाल किया कि पुलिस ने शुरू में ही हत्या का मामला दर्ज क्यों नहीं किया।
आरोपी सीधे तौर पर अस्पताल से जुड़ा हुआ नहीं है, लेकिन उसका अस्पताल में आना-जाना इस मामले को और भी पेचीदा बनाता है। यह संभव है कि वह अस्पताल में होने की वजह से पीड़िता को जानता था या उसके पास पहुंचने में कामयाब हो सका। आरोपी का पुलिस के साथ काम करना इस मामले को और गंभीर बनाता है। यह सवाल उठता है कि क्या पुलिस ने आरोपी के बैकग्राउंड की जांच ठीक से की थी? क्या पुलिस को इस बात का पता था कि आरोपी के पास कोई आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं?
इस मामले में जांच में देरी हुई है, जिससे लोगों में गुस्सा और रोष बढ़ा है। लोगों का मानना है कि पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया। इस घटना ने महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाए हैं। क्या मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टरों और स्टाफ के लिए सुरक्षित हैं? देश भर में सड़कों पर प्रदर्शन कर रहें लोगों के सोशल मीडिया पर यही मांग की जा रही है कि इस मामले में दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
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Image Credit- freepik/cnbctv
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