हर माता पिता चाहते हैं कि वे अपने बच्चों को एक सेफ और सुरक्षित लाइफ दें। लेकिन कुछ पेरेंट्स इतने ज्यादा ओवर प्रोटेक्टिव होते हैं कि अनजाने में बच्चों को इतना लाचार बना देते हैं कि वह अपने फैसले खुद नहीं ले पाते हैं। ऐसे पेरेंट्स अपने बच्चों की लाइफ को एकदम सेफ और सिक्यौर बनाना चाहते हैं फिर चाहे उन्हें इसके लिए कुछ भी करना पड़े। ऐसे पेरेंट्स इस हद तक भी जा सकते हैं कि अगर बच्चों का उनके दोस्तों से झगड़ा हो जाए तो वह खुद उनसे बात करने लगते हैं और अगर स्कूल में स्पोर्ट्स टीम में उनका सलेक्शन न हो तो वह टीचर से रिक्वेस्ट कर इसे भी करा लेते हैं। सिर्फ यही नहीं स्नो प्लाओ पेरेंट्स अपने बच्चे का होमवर्क भी खुद कर देते हैं और घूस देकर मनचाहे कॉलेज में एडमिशन भी करा लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स भूल जाते हैं कि वह कहीं न कहीं अपने बच्चों को खुद के फैसले लेने में कमजोर बना रहे हैं।
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स्नो प्लाओ पेरेंटिंग के नुकसान
- 1. ऐसे पेरेंट्स के बच्चे जीवन की निराशा का सामना नहीं कर पाते हैं। बल्कि स्नो प्लाओ पेरेंटिंग वाले बच्चे जीवन के आखिर में दुखी, आश्रित और परेशान रहते हैं।
- 2. स्नो प्लाओ पेरेंटिंग के अंतर्गत पले बच्चे हमेशा अपने पेरेंट्स पर निर्भर रहते हैं और अपने जीवन की परेशानियों को सुलझाना नहीं जानते हैं।
- 3. एक्सपर्ट कहते हैं कि आजकल जो युवाओं में तनाव, अवसाद और आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं उनके लिए स्नो प्लाओ पेरेंटिंग भी कहीं न कहीं जिम्मेदार है।
- 4. स्नो प्लाओ पेरेंट्स के बच्चों में कॉन्फिडेंस की काफी कमी रहती है। उनके अंदर हमेशा यह डर रहता है कि अगर वह कुछ गलत बोल देंगे तो लोग उनकी हंसी उड़ाएंगे और उन्हें भला बुरा बोलेंगे।
- 5. ऐसे पेरेंट्स बच्चों की करियर च्वॉइस में भी अपनी पसंद थोपते हैं। इन्हें लगता है कि इनके बच्चे कुछ ऐसा प्रोफेशन चुनें जिन्हें अगर वो अपने रिश्तेदारों को या आसपड़ोस वालों को बताएं तो सब उनकी वाह-वाही करें!
स्नो प्लाओ पेरेंटिंग से निपटने के तरीके
- 1. अगर आप भी स्नो प्लाओ पेरेंट हैं लेकिन इससे छुटकारा पाना चाहते हैं तो बच्चों को इन डिपेंट होने दें। बच्चे की परेशान भी सुनें, उसकी बात पर सहमति भी दिखाएं और उस का विश्वास भी जीतें लेकिन समस्या का हल उसे खुद खोजने का अवसर दें। इस से बच्चे में स्वयं हल निकालने की क्षमता का विकास होगा और वह पूरी तरह से अपने पैरों पर खड़ा होगा।

- 2. अगर आपका बच्चा किसी बात से परेशान है या उसे समझ नहीं आ रहा है कि उसे क्या करना चाहिए तो सीधा कूदकर उसी मदद न करें बल्कि उसे तरह-तरह के रास्ते बताएं। बच्चे को बताएं कि क्या करने से उसे किस तरह के फायदे और नुकसान हो सकते हैं। और फाइनल फैसला लेने का हक उस पर छोड़ दें।
- 3. माता पिता जो भी करते हैं बच्चे उसी नकल करते हैं या कह सकते हैं इसका असर कहीं न कहीं उनके दिमाग पर छपता है। इसलिए कभी भी जिंदगी में हार न मानें और बच्चें को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
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